RSS के ख़िलाफ़ Retired IPS officer M. Nageswara Rao

IPS अधिकारी एम नागेश्वर राव ने एक ट्वीट् ने RSS को ‘छद्म हिंदुत्ववादी धोखा’ करार देते हुए कहा  है कि इसकी वजह से इस्लाम धर्म का साहस बढ़ रहा है, और हिंदू धर्म को विनाश के सुनहरे रास्ते पर ले जा रहा है। साथ ही जोड़ा कि इस्लाम ‘जीतता’ है, क्योंकि वह ‘छोटी मानसिकता’ का बढ़ावा देता है।

आगे उन्होने अपने ट्विट पोस्ट में यह भी लिखा  है कि ‘हिंदुओं के लिए समान अधिकार और छद्म हिंदुत्व का पर्दाफाश’ उनका एकमात्र मिशन है। और ज्यादा हिंसा फैलाने के लिए प्रेरित कर इस्लाम की नजर में अब RSS की कमजोरी दिख रही है, जिससे उसे अपना काम आसान होता नजर आ रहा है। 

कौन हैं नागेश्वर राव? 

नागेश्वर राव तेलंगाना के वारंगल जिले से आते हैं। वे उस्मानिया यूनिवर्सिटी से कैमेस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। एम नागेश्वर राव 1986 बैच के उड़ीसा कैडर के अफसर हैं। नागेश्वर राव उड़ीसा पुलिस में एडिशनल डायरेक्टर जनरल पद पर तैनात थे।

वे 7 अप्रैल, 2016 को 5 साल के लिए CBI के ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पे बने रहें। नागेश्वर राव को 2019 में  अंतरिम सीबीआई प्रमुख नियुक्त किया गया था। स्वभाव से ये अपने तेजतर्रार अफसरों में गिने जाते है।  

गृह मंत्रालय की तरफ से  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली नियुक्त समिति की तरफ से सीबीआई में उनके कार्यकाल में कटौती करने और उन्हें गृह मंत्रालय मे भेजे जाने के आदेश के कुछ देर बाद दिया गया।  

हमेशा विवादों के बीच घिरे रहते है 

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब राव ने ऐसा कुछ किया है। सेवानिवृत्त  होने के बाद भी IPS अधिकारी पिछले कुछ वर्षों में कई बार विवादों में रह चुके हैं।उनके कई विवादित ट्वीट उन्हे सुर्खियों में रखते है।  

उन्होंने  यह भी दावा किया है कि ‘हिंदुओं के पतन’ के पहले चरण में ‘बड़े पैमाने पर इतिहास का विरूपण और उपेक्षा हुई  है और खूनखराबे से भरे इस्लामी आक्रमणों/शासन पर पर्दा डालने की’ कोशिशें भी की गई।  

RSS की शुरुआत:– 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 90 साल का हो चुका है। 1925 में दशहरे के दिन “डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार” ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी।सांप्रदायिक हिंदूवादी, फ़ासीवादी और इसी तरह के अन्य शब्दों से पुकारे जाने वाले संगठन के तौर पर आलोचना सहते और सुनते हुए भी संघ को कम से कम 7-8 दशक हो चुके हैं। 

दुनिया में शायद ही किसी संगठन की इतनी आलोचना की होगी इसका कोई अंदाजा भी नहीं था। वह भी बिना किसी आधार के यह तो किसी ने सोचा भी नही था। संघ के ख़िलाफ़ लगा हर आरोप आख़िर में पूरी तरह कल्पना और झूठ साबित हुआ है। 

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