मजलूमों के साथ राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल हमेशा खड़ी हुई- मुबारक खान

राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल बुंदेलखंड प्रभारी मुबारक खान की अध्यक्षता मे एक मीटिंग हुई जिसमें आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों ने विचारो को सबके वीच रखा जिसमें सभी ने एक राह होकर बुंदेलखंड प्रभारी को कहा कि राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल और Aimim के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए।जिससे न सिर्फ वोट का विभाजन होगा बल्कि समाज और सोच मे परिवर्तन होगा।

राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल नेता मुबारक खान ने कहा कि उनकी पार्टी लगातार राज्य की तमाम मुस्लिम कयादत बाली पार्टियों, छोटे दलों सहित तंजीम से इस मसले पर सबसे पहले तैयार है और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी साहब पहले भी कई बार सभी को खत लिखकर इत्तेहाद के लिए कोशिश कर चुके लेकिन कुछ लोग अपने आप को मुस्लिम कयादत की राजनीति पसंद न कर गैरो की गुलामी ही पसंद करना अपना सियासी शौक समझते है।

राष्ट्रीय ओलमा कौन्सिल का जन्म अन्याय की कोख से हुआ जो संघर्ष करती हुई आज देश मे मजलूमों की आवाज बनकर देश के कैमी मसलो,निर्दोषों को न्याय दिलाने,अन्याय के खिलाफ खड़े होकर बिना किसी डर के पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओ सड़को पर डटे,पुलिस के लाठी,डंडे,मुकद्दमे भी दर्ज हुए,सरकारो ने सत्ता मे दलाली का भी लालच दिया लेकिन एक संघर्षशील सोच से बनी राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी साहब को देश की कोई ताकत झुका नहीं पाई,आज उत्तर प्रदेश की जनता को मौलाना आमिर रशादी साहब की कुर्बानी को याद करना चाहिए साथ ही उन सभी कौम के सियासी लोगों को मौलाना आमिर रशादी साहब को साथ लेकर विधानसभा चुनाव में तामाम समाज विरोधी पार्टीओ को जबाब देनी की जरुरत है।

राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल पहले दिन से ही इत्तेहाद का समर्थन करती है लेकिन और राजनैतिक पार्टीे इत्तेहाद के लिए तैयार नहीं है इससे यहाँ की समाज को सोचने की जरुरत है कि उन्हें किसके साथ जाने की जरुरत है साथ अन्य राजनैतिक पार्टीओ को भी इस पर सोचने की जरुरत है कि वह अकेले इस हालातो मे क्या कर सकते है।

अंत मे मुबारक खान ने कहा कि Aimim नेताओं से यह सवाल भी पूछें जिससे उनकी असलियत सामने आए।

देश की जनता यह जानना चाहती है कि मजलिस इत्तेहादुलमुस्लिमीन अगर मुस्लिम इत्तेहाद चाहती है तो मुल्क की अन्य क़ौमी पार्टियों से इत्तेहाद क्यों नहीं करती।

इत्तेहादुलमुस्लिमीन नाम क़ौम व मिल्लत की भलाई के लिए है या सिर्फ वोट जुटाने के लिये है ?

इत्तेहदुलमुस्लिमीन वहाँ चुनाव अपने प्रत्याशियो को क्यों लडाती है जहाँ अन्य मुस्लिम सियासी पार्टी का प्रत्याशी मैदान मे मजबूती के साथ लड़ रहा हो

अपने पदाधिकारियों के साथ खड़े होने मे Aimim क्यों दूर भगती है उनके न्याय के लिए साथ देने की जगह पार्टी से क्यों निकाल देते है.

Aimim के नेता राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के विश्वास के साथ धोखा क्यों देते है, क्यों NRC, CAA के मसले मे AIMIM नेता गिरफ्तारी देने से डर गए केवल राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के लोगों ने बुंदेलखंड मे ऐतिहासिक गिरफ्तारी दी और सरकार के प्रतिनिधिमण्डल को शाहीन बाग़ मे जाने को मजबूर किया.

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