सूरी एंपायर के संस्थापक शेर शाह सूरी कालिंजर किला फतह करने के दौरान आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कहा था

सूरी एंपायर के संस्थापक शेरशाह सूरी का असल नाम फरीद खान है। बिहार के सासाराम उस दौर के दिल्ली सल्तनत में उनका जन्म हुआ। मुगल सल्तनत किस शुरुआत में भारत के अजीम बादशाह बाबर की फौज में शामिल हुए थे फरीद खान शेर शाह सूरी। और बाद में बाबर के इंतकाल के बाद शेरशाह सूरी हुमायूं के लिए चुनौती साबित हुई और हिंदुस्तान पर हुकूमत की।

आज के दिन ही, 22 मई सन् 1545 ई. में बुंदेलखंड में कालिंजर के किले के मुहासरे के दौरान बारूद में विस्फोट होने की वजह से शेर शाह सूरी का इंतकाल हो गया था।

दरअसल कालिंजर का हुक्मरान कीरत सिंह ने शेर शाह के हुक्म के बरख़िलाफ़ जा कर महाराजा वीरभान सिंह बघेला को पनाह दे रखी थी। इसी कारण नवम्बर, 1544 ई. में शेर शाह सूरी ने कालिंजर किले का मुहासरा कर लिया था।

लगभग 6 महीने तक क़िले को घेरे रखने के बाद भी जब कामयाबी के आसार नहीं दिखे तो शेर शाह सूरी ने क़िले पर गोला, बारुद के प्रयोग का हुक्म दिया। क़िले की दीवार से टकरा कर लौटते हुए एक गोले के विस्फोट से शेर शाह सूरी का इंतकाल हो गया।

शेर शाह सूरी को उनकी वफ़ात के बाद उनके पैदाइशी शहर सासाराम में दफनाया गया। उसके बाद उनके बेटे इस्लाम शाह सूरी ने कालिंजर का किला फतह किया और फ़तह के लगभग 3 महीने बाद उनके मकबरे की तामीर का काम शुरू हो गया। चारों तरफ से खूबसूरत तालाब के बीचो-बीच मौजूद शेरशाह का मकबरा हिन्दोस्तान के ख़ूबसूरत मक़बरों में शुमार किया जाता है।

“शेर शाह सूरी के दौर में मुसाफ़िरों को पहरेदारी की ज़रूरत नहीं थी और न ही उन्हें सफ़र के दौरान बीहड़ और बियाबाँ में रुकने में डर लगता था।”

“रेगिस्तान हो या सुनसान इलाक़ा, जहाँ रात हो जाती थी, ये मुसाफ़िर वहीँ ठहर जाते थे। अपना सामान ज़मीन पर रख कर, अपनी सवारी को चरने के लिए छोड़ देते थे और ऐसे सुकून से सोते थे जैसे अपने ही घर में हों।

शेर शाह सूरी के हुक्मरान के दौरान उनके जान और माल की हिफ़ाज़त इलाक़े के ज़मींदार की ज़िम्मेदारी हुआ करती थी। मुसाफिरों के साथ किसी तरह की अनहोनी होने पर उस इलाक़े के ज़मींदार की गिरफ़्तारी और सज़ा होती थी जिसके डर से ज़मींदार मुसाफ़िरों की हिफ़ाज़त का इंतेज़ाम किया करते थे।”

बिहार में जन्मे हिंदुस्तान की बिहार में एक बड़ा नाम शेरशाह सूरी के हुक्मरानी के दौरान जमाने में”एक बूढी औरत भी सोने के ज़ेवर की पोटली सर पर लिए अकेले सफ़र पर जा सकती थी।

शेर शाह की सज़ा का ऐसा ख़ौफ़ था की किसी चोर या डाकू की हिम्मत नहीं होती थी की बूढी औरत के नज़दीक भी आ सके।”

आजाद हिंदुस्तान की सरकार में बैठे राजनेता बनी सड़कों की सही मरम्मत नहीं करा पाते हैं आज से 500 साल से भी पहले सूरी एंपायर के संस्थापक फरीद खान शेर शाह सूरी ने भारत का सबसे बड़े रोड का निर्माण कराया था जिसे आप जीटी रोड के नाम से जानते हैं.

इसकी जानकारी फेसबुक पेज हिस्ट्री आवर से ली गई है

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