अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने आज आयोजित आनलाइन दीक्षांत समारोह में टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड के चैयरमैन श्री नटराजन चन्द्रशेखरन को डीएससी की मानद् उपाधि से सम्मानित किया।
अमुवि कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने आनलाइन दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति की ओर से श्री चन्द्रशेखरन को मानद् उपाधि दी।
श्री नटराजन चन्द्रशेखरन को यह मानद् उपाधि भारत के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के नियोक्ता तथा फोर्ब्स द्वारा दुनिया की सबसे अभिनव कंपनियों में से एक टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में उनके उल्लेखनीय योगदान और उदार, परोपकारी कार्यों एवं राष्ट्रहित की उपलब्धियों के लिये दी गई है।
अमुवि द्वारा प्रदान की गई मानद् उपाधि स्वीकार करते हुए श्री चन्द्रशेखरन ने कहा कि टाटा समूह में मेरे सभी सहयोगियों की ओर से इस सम्मान को स्वीकार करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है – इस समूह के मशाल वाहक हमारे संस्थापक, जमशेदजी टाटा का दृढ़ विश्वास था कि व्यवसाय में समुदाय न केवल एक हितधारक है, बल्कि वास्तव में किसी भी उद्यम के अस्तित्व का कारण है।
उन्होंने कहा कि 28 मार्च, 2020 को, महामारी के शुरुआती प्रकोप के दौरान, टाटा समूह के एमेरिटस अध्यक्ष, श्री रतन टाटा के अनुसार टाटा ट्रस्ट और टाटा समूह की कंपनियां अतीत में राष्ट्र की जरूरतों की पूति के लिए आगे रहीं हैं। परन्तु यह समय किसी भी अन्य दौर की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। उनके मार्गदर्शन में, टाटा समूह ने महामारी के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई में भारत सरकार और नागरिकों के समर्थन से परिस्थिति पर काबू पाने के लिये त्वरित कार्यवाही की।
उन्होंने कहा कि यदि भारत 3 ट्रिलियन डालर से 12 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनना चाहता है तो प्रत्येक भारतीय को ‘मिनीपैड’ प्रदान किया जाना चाहिए। जो डेटा और कनेक्टिविटी से लैस एक स्मार्ट डिवाइस है, जिससे उनकी पहुंच शिक्षा, स्वास्थ्य और तक आसानी से संभव हो।
उनके अनुसार टाटा समूह की कंपनियों ने सदैव समुदायों के हितों को आगे रखा है। हमारे समूह ने समुदायों के उत्थान के लिए मुख्य सिद्धांतों के रूप में स्वास्थ्य देखभाल, आजीविका और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है। श्री चंद्रशेखरन ने शिक्षा को किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी बताया।
उन्होंने कहा कि भारत में 14 साल से कम उम्र के 250 मिलियन से अधिक लोग हैं जो यूनाइटेड किंगडम की पूरी आबादी के दोगुने से भी ज्यादा हैं। हर महीने, एक मिलियन से अधिक भारतीय कामकाजी आबादी में शामिल होते हैं। हमें इन मानव संसाधनों को एक जबरदस्त क्षमता के रूप में देखना चाहिए। हम अपने लोगों को कैसे शिक्षित, प्रशिक्षित और प्रेरित करते हैं, यह हमारे देश की समृद्धि की कुंजी होगी।
श्री चंद्रशेखरन ने कहा कि प्रौद्योगिकी तेजी से विकसित हो रही है, पर्यावरण और सतत मानक हमारे जीने और काम करने के तरीके को प्रभावित कर रहे हैं और यह नवाचार और अनुसंधान की सीमाओं को बढ़ा रहे हैं। यह अभिनव नवाचार विभिन्न क्षेत्रों के मध्य भी हो रहा है और एक नई अर्थव्यवस्था विकसित हो रही है। इसमें भारत के लिए एक रोमांचक अवसर है। लेकिन हमें इस प्रतिस्पर्धा में न केवल भाग लेने के लिए बल्कि विश्व नेता बनने के लिए अपनी शिक्षा प्रणाली को उन्नत करने की आवश्यकता है।
हमें पारिस्थितिकी तंत्र और खुलेपन और सहयोग की संस्कृति के निर्माण के लिये अनुसंधान और अभिनव नवाचार में निवेश करना होगा। यदि हम ऐसा कर सकते हैं, तो मानव संसाधन के बड़े पूल के साथ, हम न केवल दसियों लाख नौकरियां पैदा कर सकते हैं बल्कि दशक के अंत तक हमारे सकल घरेलू उत्पाद को प्रति व्यक्ति 5,000 डॉलर से अधिक तक पहुंचाया जा सकता है। हम लोगों को कैसे शिक्षित, प्रशिक्षित और प्रेरित करते हैं, यह हमारे देश की समृद्धि की कुंजी होगी।
उन्होंने कहा कि भारत को अपने अनुसंधान और विकास खर्च में वृद्धि करनी चाहिए और प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा स्वामित्व में निवेश करना चाहिए। भारतीय विश्वविद्यालयों को आपस में और अन्य विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करने के लिए प्रोत्साहित करें। हमें कनेक्टिविटी, स्किल इकोसिस्टम और रिस्क कैपिटल तक पहुंच बनाने के साथ टेक सिटी क्लस्टर बनाने की आवश्यकता है जहां भारतीय प्रतिभाऐं भारत में ही प्रशिक्षण प्राप्त करें और देश को बदल दें। हमें अब आधुनिक तकनीकों और डेटा पर ध्यान देने की जरूरत है। भारत साफ्टवेयर सेवाओं में अग्रणी है और इसे इस क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बनना चाहिए। हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5जी, क्वांटम कंप्यूटिंग और इलेक्ट्रानिक्स पर जोर देने और गोपनीयता, डेटा स्टोरेज, टैक्सेशन, मार्केट एक्सेस, इमिग्रेशन और साइबर सिक्योरिटी जैसे विषयों पर पार्टनरशिप के लिये सामान्य मानक और प्रोटोकाल बनाने की जरूरत है।
श्री चंद्रशेखरन ने एक मजबूत अनुसंधान और विकास संस्कृति विकसित करने के लिए अकादमिक और निजी क्षेत्र के बीच अधिक सहयोग का आह्वान किया जो नवाचार की जबरदस्त शक्ति को आन्दोलित कर सके। भारतीय शिक्षा की एक ऐसी ही प्रणाली की कल्पना कर, जो चुस्त और डिजिटल रूप से देशी समस्या-समाधानकर्ताओं को पोषित करती है, भारत के भविष्य के लिए हम सबसे बड़ा निवेश कर सकते हैं।
उन्होंने इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए माननीय एएमयू चांसलर, डाक्टर सैय्यदना मुफद्दल सैफुद्दीन, कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर और एएमयू का आभार व्यक्त किया।
स्वागत भाषण में, एएमयू के कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने जोर देकर कहा कि कई वर्षों से एएमयू के कई छात्रों को टीसीएस सहित टाटा समूह की विभिन्न कंपनियों में नियोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एएमयू के छात्रों के लिए आपके निरंतर सहयोग एवं संरक्षण के लिए अमुवि आशान्वित है। हम अपने छात्रों की उद्यमशीलता क्षमता का उपयोग करने और इंजीनियरिंग और प्रबंधन अध्ययन में इंक्यूबेशन और स्टार्टअप सेल को समर्थन देने में आपके मार्गदर्शन के लिए भी आशान्वित हैं।
कुलपति ने कहा कि एएमयू को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए विशेष शैक्षिक उपाय करने का गौरव प्राप्त है। यह विश्वविद्यालय देश में सबसे कम फीस स्ट्रक्चर वाले विश्वविद्यालयों में से एक है और मैं श्री चंद्रशेखरन से टाटा समूह की कार्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी परियोजनाओं के तहत अमुवि को सहयोग करने का अनुरोध करता हूं।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि श्री चंद्रशेखरन हम सभी के लिए और विशेष रूप से भविष्य के उद्यमियों के लिए एक महान आदर्श हैं। उनकी जीवन यात्रा ईमानदारी से की गई मेहनत, अटल लक्ष्य और समर्पण के मूल सिद्धांतों पर स्व-निर्मित सफलता का एक चमकदार उदाहरण है। सबसे बड़े कार्पोरेट नेताओं में से एक के रूप में उनका नेतृत्व ईमानदारी, नैतिकता, उत्कृष्टता और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति समर्पण के मूल्यों पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि एएमयू द्वारा पूर्व में मानद् उपाधि दिये जाने वाले महानुभावों में श्री चंद्रशेखरन को शामिल करने का अमुवि को गौरव प्राप्त हुआ है। पूर्व में पंडित जवाहरलाल नेहरू, डा राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ सीवी रमन, डा एपीजे अब्दुल कलाम और सऊदी अरब, मलेशिया, जर्मनी, ईरान, मिस्र आदि जैसे देशों के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और राजाओं को यह गौरव प्राप्त हुआ है।
प्रो मंसूर ने कहा कि श्री चंद्रशेखरन के व्यक्तित्व की पहचान उनकी दृष्टि, विनय, लचीलापन, मिलनसार स्वभाव, सभी दृष्टकोणों को सुनना, विभिन्न दृष्टिकोणों को समाहित करना और आम सहमति बनाना है। वह न केवल भारत की कुछ सबसे बड़ी कार्पोरेट संस्थाओं को, बल्कि आईआईएम लखनऊ जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों और दुनिया भर के अन्य महत्वपूर्ण निकायों को भी सक्षम नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं.
उन्होंने जोर देकर कहा कि श्री रतन टाटा जैसे प्रतिष्ठित व्यक्ति का उत्तराधिकारी होना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है, और मुझे यकीन है कि विभिन्न क्षेत्रों में आगे भी सफलता श्री चंद्रशेखरन के कदम चूमेगी और वह नए संस्थानों को आकार देने में और हमारे राष्ट्रीय वाहक-ऐयर इंडिया के कायाकल्प और गौरव की बहाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। श्री रतन टाटा के शब्दों में ‘टाटा संस द्वारा लिया गया निर्णय पूरी तरह से समूह के अध्यक्ष, श्री चंद्रशेखरन के नेतृत्व में सम्बन्धित लोगों द्वारा किए गए अध्ययन पर आधारित था।
कुलपति ने कहा कि श्री चंद्रशेखरन के कार्पोरेट नेतृत्व के दृष्टिकोण की विशिष्टता यह है कि भविष्य के लिए उनकी दृष्टि में अच्छाई और मानव कल्याण है। उन्होंने कहा कि वह सफलता के लिए भारत के रोडमैप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल परिवर्तन की भूमिका महत्व को समझ रहे हैं। उनकी पुस्तक ‘ब्रिजिटल नेशन’ इस बात पर एक शक्तिशाली दृष्टि प्रस्तुत करती है कि हम प्रौद्योगिकी को कैसे देखते हैं। प्रौद्योगिकी को मानव श्रम के अपरिहार्य विकल्प के रूप में देखने के बजाय यह इसे सहाययक के रूप में उपयोगी दर्शाता है और नौकरियों को छीनने के बजाय, यह नई नौकरियां पैदा कर सकता है।
एएमयू के इतिहास पर बोलते हुए कुलपति ने कहा कि सर सैयद अहमद खान द्वारा एमएओ कालेज की स्थापना की गई थी जिसे 1920में विश्वविद्यालय में अपग्रेड किया गया था। एमएओ कालेज विशाल हृदय, सहिष्णुता, शुद्ध नैतिकता, स्वतंत्र सोच और सांप्रदायिक सद्भाव का स्मारक था और यह विश्वविद्यालय इस धरोहर को आज भी समेटे हुए है।
उन्होंने कहा कि आज हम शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार में एक अग्रणी संस्थान हैं और एक आत्मनिर्भर, तकनीकी रूप से मजबूत और आधुनिक भारत के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में सकारात्मक भूमिका निभाते हुए सतत विकास के लिए नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षा की एक एकीकृत आधुनिक प्रणाली का निर्माण करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एएमयू लगातार विभिन्न रैंकिंग एजेंसियों से उच्च रैंक प्राप्त कर रहा है। शिक्षा मंत्रालय के एनआईआरएफ ने हाल ही में अमुवि को भारतीय विश्वविद्यालयों में 10 वां और भारत में विश्वविद्यालयों के बीच अनुसंधान में चौथा स्थान दिया है।
हमारे जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज (जेएनएमसी) को 600 से अधिक मेडिकल कालेजों में 15वां स्थान मिला है और ला फैकल्टी को 10वां स्थान प्राप्त हुआ है। इस बीच, जीव विज्ञान के संकाय को टाइम्स हायर एजुकेशन ने भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान पर रखा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 दिसंबर 2020 को अपने शताब्दी समारोह के भाषण के दौरान एएमयू को ‘मिनी इंडिया’ की संज्ञा दी थी।
उन्होंने कहा कि हाल ही में विश्वविद्यालय ने कोविड-19 महामारी के दौरान उपचार, परीक्षण और वैक्सीन परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विश्वविद्यालय के मेडिकल कालेज ने आधे मिलियन से अधिक आरटीपीसीआर परीक्षण किए और यह भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा प्रायोजित तीसरे चरण के कोवेक्सीन परीक्षणों के लिए 1000 स्वयंसेवकों को नामांकित करने वाला पहला संस्थान था।
विश्वविद्यालय ने देश में समाज के विभिन्न वर्गों के बीच टीका लगवाने में लोगों की झिझक को दूर करने के लिए भी प्रयास किए हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि एएमयू विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवीनतम प्रगति को बनाए रखने के लिए सभी प्रयास कर रहा है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक इंजीनियरिंग, भूकंप और आपदा प्रबंधन, हरित और नवीकरणीय ऊर्जा, नैनो प्रौद्योगिकी, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, डेटा विज्ञान, साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक, सामरिक अध्ययन, कार्डियोलाजी, नर्सिंग, पैरामेडिकल साइंसेज, क्रिटिकल केयर एण्ड पेन मैनेजमेंट आदि के क्षेत्र में नए पाठ्यक्रम और शैक्षिक केंद्र शुरू किए हैं।
प्रो मंसूर ने कहा कि एएमयू ने कोविड-19 महामारी काल में विशेष रूप से आनलाइन लर्निंग और अनुसंधान के क्षेत्र में नई चुनौतियों का सामना किया है।
उन्होंने कहा कि हम आशा और प्रार्थना करते हैं कि जिस प्रकार देश में बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा है, जल्द ही शैक्षणिक संस्थानों सहित सभी क्षेत्रों में पूर्ण सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।
कुलपति ने कहा कि मैं श्री चंद्रशेखरन को भविष्य में अमुवि परिसर का दौरा करने और हमारे इतिहास तथा विरासत को देखने के लिए आमंत्रित करता हूं।
एएमयू के चांसलर, हिज होलीनेस डा. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने श्री चंद्रशेखरन का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा मनुष्य के अन्तर्मन को स्वच्छ करती है और उसे और उसके परिवार को जीविका प्राप्त करने में भी मदद करती है। उन्होंने कहा कि अल्लाह उन लोगों को पसन्द करता है जो मानव समाज के लाभ के लिए कार्य करते हैं और व्यापार को अल्लाह द्वारा मानव जाति को प्रदान किया गया एक वरदान कहा गया है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा एक पवित्र और संतुष्ट जीवन जीने का मंत्र है और इसे प्राप्त करना सभी पुरुषों और महिलाओं का कर्तव्य है।
कार्यक्रम में एएमयू कोषाध्यक्ष पद्मश्री, प्रोफेसर (हकीम) सैयद जिल्लुर रहमान भी उपस्थित थे।
परीक्षा नियंत्रक, श्री मुजीब उल्लाह जुबेरी ने श्री चंद्रशेखरन के लिए प्रशस्ति पत्र पढ़ा, जबकि एएमयू रजिस्ट्रार, श्री अब्दुल हमीद (आईपीएस) ने कार्यक्रम का संचालन किया।