श्रीलंका पूर्व क्रिकेटर जयसूर्या गलत नीतियों के खिलाफ खड़े तो भारतीय खिलाड़ी आवाज क्यों नहीं उठाते।

श्रीलंका के पूव क्रिकेटर जयसूर्या आम आदमी के साथ खड़े होकर प्रोटेस्ट करने के लिए पहुंचे है. जयसूर्या 1996 वर्ल्ड कप का हीरो रह चुके हैं, 1996 में श्रीलंका पहली बार वर्ल्ड कप जीता था.

जयसूर्या ने पूरी दुनिया को बताया था कि पहले 15 ओवर में कैसे बल्लेबाजी करना चाहिए. सिर्फ जयसूर्या नहीं श्रीलंका के कई खिलाड़ी सरकार की आलोचना कर रहे हैं और प्रोटेस्ट में शामिल हुए हैं.

इस बार आईपीएल खेल रहे श्रीलंका के खिलाड़ी भी अपने देश के लोगों के साथ खड़े थे और सरकार के खिलाफ ट्वीट कर रहे थे. क्या भारत में आपने किसी भी खिलाड़ी को सरकार के खिलाफ बोलते हुए देखा है ?

मौजूदा खिलाड़ियों को छोड़ दीजिए पूर्व खिलाड़ी भी नहीं बोलते हैं नहीं तो पेंशन बंद हो जाएगी. कमेंट्री नहीं कर पाएंगे, क्रिकेट बोर्ड का सदस्य नहीं बन पाएंगे. देश उसके नागरिक से बनता हैं नाकि किसी भी सरकार से, इसीलिए सरकारें मैं बैठी सत्तापक्ष पार्टी आपस में लड़ाती रहती हैं ताकि जनता देश हित में ना सोच सके और खुद कुर्सी पे बैठ के वो सत्ता का लाभ उठाकर जनता के दिए गए टैक्स से मलाई खाते रहे।

बहुत छोटा सा एक उदाहरण है, जो भाजपा हरियाणा में जाटों के खिलाफ यादव सहित दूसरी जातियों को एकजुट करके उनसे वोट लेती हैं तो वहीं यूपी में यादवों के खिलाफ जाटों और दूसरी जातियों को अपने साथ ले जाते हैं। अगर आप इस बात को बारीकी से समझने की कोशिश करें की कोई भी पार्टी का नेता ना धार्मिक होता हैं ना जातिवाद से उसे मतलब, जिस धर्म और जाती को वो खींच सकता हैं उसी की बात वो करता हैं। जिसकी वजह से वह सत्ता का सुख भोग सके। बहुत सिम्पल सा लॉजिक हैं !

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