तुर्की में मौजूद इस्तांबुल जिसे यूरोप और एशिया का गेटवे कहा जाता है और कहा जाता है इस्तांबुल मैं इस्लाम से ज्यादा वेस्टर्न कल्चर दिखाई देती है लेकिन पहले यह शहर तुर्की का हिस्सा नहीं था इसको किसी वक्त कुस्तुनतुनिया के नाम से जाना जाता था जिसको ऑटोमन एंपायर के सुल्तान मोहम्मद फतेह दुश्मनों को हराकर शहर और वहां के लोगों का दिल दोनों जीत लिया था क्योंकि उस वक्त कुस्तुनतुनिया में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था जिसकी वजह से वहां की प्रजा अपनी राजा के साथ नहीं थी।
कुस्तुनतुनिया मौजूदा इस्तांबुल जितने से पहले उनका नाम महमद सेकंड था जिन की पैदाइश 30 मार्च 1432 को एडरीन शहर में हुई जो उस वक्त उस्मानिया सल्तनत मौजूदा तुर्की की राजधानी थी।
सुल्तान मोहम्मद पाते या सुल्तान मोहम्मद उस्मानी का जन्म 30 मार्च 1432 को हुआ था। जिनका पहला शासनकाल 1444 से लेकर सितंबर 1446 तक था और दूसरा शासनकाल 3 फरवरी 1451 से लेकर 3 मई 1481 तक था।
सुल्तान के पिता का नाम मुराद द्वितीय और माता का नाम हुमा खातून था। सुल्तान 11 साल की उम्र में अमावस्या उनके वाली द्वारा भेज दिया गया जहां उन्हें राज्यसभा मिलने का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ।
हदीस ओ मेरे वायत है पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने अपनी जिंदगी में कुस्तुनतुनिया फतह की इच्छा व्यक्त की थी जो इस शहर को पता करेगा वह जन्नत का हकदार होगा और यह काम सुल्तान मोहम्मद फतेह ने 21 साल की उम्र में कर दिखाया।
उस्मानिया सल्तनत के सबसे ज्यादा फतह करने वाले सुल्तानों में से एक है। इनको विशाल जीत के लिए उस्मानिया के सुल्तान कैसर ए रूम के नाम से मशहूर है जिनको रूम के शासक का खिताब प्राप्त हुआ है।
यह वह दौर था जब 21 साल की उम्र में कुस्तुनतुनिया पर फतह करके बाजंतीनी साम्राज्य को हमेशा के लिए खत्म कर दिया।