सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की सरकार यानी मोदी सरकार को फटकार ते हुए कहा कि आप किस आधार पर ₹800000 की सालाना आय की सीमा तय की है सुप्रीम कोर्ट ने कहा आखिर इसके आधार पर कोई सामाजिक क्षेत्रीय या कोई और सर्वे या डाटा तो सरकार ने जुटाया होगा?
अन्य पिछड़े वर्ग यानी ओबीसी में जो लोग ₹800000 सालाना से कम आय वर्ग में हैं तो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े माने जाते हैं लेकिन संविधानिक योजनाओं में ओबीसी को सामाजिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़ा नहीं माना जाता कोर्ट ने कहा यह नीतिगत मामले हैं जिनमें अदालत पढ़ना नहीं चाहती.
सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय समेत कई मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए कहा उसे बताना होगा ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के लिए नीट एग्जाम में अखिल भारतीय स्तर पर आरक्षण के क्या मानदंड हैं ओबीसी आरक्षण में क्रीमीलेयर के लिए ₹800000 मानदंड हैं?
OBC और EWS श्रेणियों के लिए समान पैमाना कैसे अपनाया जा सकता है जबकि ईडब्ल्यूएस में कोई सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को फटकार ते हुए कहा कुछ जनसंख्या की या सामाजिक या सामाजिक आर्थिक आंकड़ा होना चाहिए ₹800000 की सीमा लागू करके आप आसमान को समान बना रहे हैं ओबीसी में आठ लाख से कम आय के लोग सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के शिकार हैं संविधानिक योजना के तहत ईडब्ल्यूएस सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े नहीं है पीठ ने एक समय तो यह भी कह दिया था कि वह ईडब्ल्यूएस आरक्षण की अधिसूचना पर रोक लगा देगा.
सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने इसके लिए 4 हफ्ते की मोहलत मांगी थी तब तक मीट की ऑल इंडिया कोटा में काउंसलिंग भी नहीं कराई जाएगी.
मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग लोगों के लिए आरक्षण के मानदंडों यानी ईडब्ल्यूएस कोटा की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद करवाने का फैसला किया है 3 सदस्य कमेटी भी गठित की गई है जिसमें पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडे को इसका प्रमुख बनाया गया है समिति को अपनी सिफारिशें तीन हफ्तों के भीतर सौंपने को कहा गया है.