Supreme Court: सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि हमने सिर्फ ग्रीन क्रैकर को मंजूरी दी थी, लेकिन बाजार में सब उपलब्ध है। आगे ये भी कहा कि हम लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए बैठे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिम बंगाल सरकार के साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थायी वकीलों को पहले ही प्रति दी जा चुकी है। हालांकि उनकी तरफ से कोई भी पेश नहीं हुआ।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि हम जश्न मनाने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन यह दूसरों के जीवन की कीमत पर नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि देश में सबसे बड़ी समस्या प्रतिबंधों को लागू करने की है। कोई भी व्यक्ति किसी एक वर्ग को नाखुश नहीं करना चाहता। जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि हमारे पहले के आदेशों का पालन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, आप आज किसी भी जश्न में जाएं, आप देखेंगे कि पटाखे फूट रहे हैं। खास तौर से लड़ी वाले पटाखे। हमने पहले ही लड़ी वाले पटाखों पर रोक लगा दिया था लेकिन बाजारों में बड़ी तादाद में बेचे जा रहे हैं और इस्तेमाल भी किया जा रहा है।”
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पटाखे के इस्तेमाल और बिक्री को लेकर क्या कहा है पढ़िए:
केंद्र और राज्य सामुदायिक आतिशबाजी को बढ़ावा देने के तरीके तलाशें ताकि ज्यादा प्रदूषण कम से कम हो। इसके लिए विशेष स्थान पहले से तय किए जाएं।
बता दें, याचिका में दावा किया गया है कि कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पारित पटाखों पर बैन लगाने का आदेश पूरी तरह से गलत था। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों की अनुमति सीमा में ग्रीन क्रैकर्स जलाने की छूट दी है।
किन त्योहारों पर लगा पटाखों पर बैन?
पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाईकोर्ट ने जिन त्योहारों के लिए बैन लगाया गया है, उनमें काली पूजा, दिवाली, छठ पूजा और क्रिसमस हैं। इससे पहले, पश्चिम बंगाल सरकार ने दिवाली पर दो घंटे (8-10), छठ पूजा पर 6-8, नए साल के मौके पर 35 मिनट पटाखों को फोड़ने की अनुमति दी थी।
हालांकि, कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन मौकों पर पटाखों के इस्तेमाल और सेल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया।
अगर किसी इलाके में प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री होती है तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित पुलिस थाने के थानाध्यक्ष की होगी
By: Tanwi Mishra
Current News और रोचक खबर पढ़ने के लिए hindrashtra के सोशल मीडिया को फॉलो करें।