लेखिका गीतांजलि श्री को बुकर प्राइज दिलाने में अनुवाद की अहम भूमिका-डॉ. प्रेमलता   एएमयू में पांच दिवसीय (ज्ञान) कोर्स का सफल समापन

अलीगढ़, 31 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वीमेन्स कॉलेज के हिंदी सेक्शन और ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स (ज्ञान) के पांच दिवसीय पाठ्यक्रम बीते समय संपन्न हो गया
पांच दिन तक चलने वाले इस कोर्स में देश भर से आए प्रतिभागियों ने भाग लिया।

समापन समारोह में मिशिगन यूनिवर्सिटी से आईं एक्सपर्ट प्रेमलता वैश्नवा ने कहा कि आज अनुवाद की जरूरत हर देश में है। विभिन्न देशों की विविधरूपी संस्कृति और परंपरा को समझने के लिए हमें अनुवाद की बहुत अधिक आवश्यकता है। आज के इस दौर में अनुवाद क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर रोजगार की आपार संभानाएं हैं।

अनुवादक न केवल लेखक होता है बल्कि कलाकार भी होता हैं जो अपनी कला के माध्यम से स्रोत भाषा की सामग्री को लक्ष्य भाषा में इस प्रकार से परिवर्तित करता है कि वह उसकी मौलिक कृति जैसी लगती है। उन्होंने बताया कि भारत की विभिन्न पुस्तकों के अनुवाद ने अमेरिका में भारतीय साहित्य ने एक विशिष्ट पहचान बनाई है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में बुकर प्राइज से सम्मानित भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री इसका जीता-जागता उदाहरण है। उनका उनन्यास ‘रेत की समाधि’ नाम से भारत में प्रसिद्ध था, लेकिन अमेरिकी अनुवादक डेसी रॉकवेल ने इस उपन्यास को अंग्रेजी में ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ नाम से अनुवादित किया जोकि विश्व भर में चर्चित हुआ। वैश्विक स्तर पर इस उपन्यास को प्रसिद्धि दिलाने में अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर राशिद निहाल ने बताया कि अनुवाद करते समय एक समान अर्थ वाले शब्द हमेशा कई तरह के भ्रम पैदा करते हैं, इसलिए अनुवाद करते समय हमंे इस प्रकार के शब्दों के प्रयोग का ध्यान रखना होगा।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और जाने माने अनुवादक प्रोफेसर पीसी टंडन ने बताया कि मशीनी अनुवाद ने समाज में किस तरह से जगह बनाई, लेकिन बिना इंसान के मशीनी अनुवाद का कोई अस्तित्व नहीं है। कई स्थानों पर मशीनी अनुवाद अर्थ का अनर्थ कर देता है। मशीनी अनुवाद पर लगातार खोज चल रही है।

स्कूल ऑफ ट्रांसलेशन स्टडीज एंड ट्रेनिंग इग्नू से आई डॉ. ज्योति चावला ने अपने लेक्चर के दौरान बताया कि ऑडियो विजुयल इंडस्ट्री में अनुवाद रोजगार का साधान बनता जा रहा है। फिल्म इंडस्ट्री में अनुवादक के लिए रोजगार की आपार संभानाएं हैं।

ज्ञान के स्थानीय समन्वयक प्रो. एम.जे. वारसी ने कहा कि ज्ञान के तहत होने वाले इस प्रकार के कोर्स एकेडेमिक स्तर पर काफी महत्वपूर्ण हैं, जो हर नौकरी में लाभदायक हैं। उन्होंने कहा कि एएमयू के शिक्षकों के जिस प्रकार से ज्ञान के प्रस्ताव पास हो रहे है, वो बहुत की गर्व की बात है।

ज्ञान की पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. नाजिश बेगम ने बताया कि ज्ञान कोर्स में देश भर से आए प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसमें उनको अनुवाद के दौरान आने वाली समस्याओं से अवगत कराया और दुनिया में इससे उत्पन्न होने वाले रोजगार के बारे में जानकारी दी गई ताकि अनुवाद को पढ़ने वाले लोग देश के साथ-साथ विदेश में नौकरी हासिल कर सकें।

डॉ. शगुफ्ता नियाज ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि शायद यह पहला मौका होगा, जब एएमयू में इतने बड़े स्तर पर अनुवाद को लेकर चर्चा की गई है। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट वितरण किए गए। इस मौके पर प्रोफेसर कमलानंद झा, प्रोफेसर शाहआलम, डा हुमैरा अफरीदी, प्रोफेसर नाजिया हसन, प्रोफेसर रूबीना इकबाल, डा राहिला, डा सना फातिमा, डा नीलोफर उस्मानी, डा शाहिना, डा शबनम, डा फौजिया वहीद समेत विभाग के रिसर्च स्कॉलर और छात्र-छात्राएं मौजूद रहेे।

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