विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम ‘रामगंगा’ रखने की चर्चा चल रही है।

पार्क के निदेशक ने कहा था की, 3 अक्टूबर को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री अश्विनी कुमार ने पार्क की मुलाकात ली थी पार्क को एक नया नाम- ‘रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान’ देने की की बात की थी|
अश्विनी कुमार चोबे ने धनघारी संग्रहालय की आगंतुक पुस्तिका में पार्क का नाम ‘रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान’ लिखा है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, हिमालय की तलहटी में स्थित, नैनीताल के सुरम्य हिल स्टेशन के पास, 1936 में स्थापित किया गया था और तब इसे हेली नेशनल पार्क कहा जाता था। यह साइट 1973 के प्रोजेक्ट टाइगर की साइट रही है। राष्ट्रीय उद्यान 520 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसमें पहाड़ियाँ, दलदल, नदी के किनारे, घास के मैदान और एक विशाल झील है, जो इसे बाघों के लिए एक आदर्श आवास बनाती है।
कॉर्बेट पार्क ने वन्य जीवन और वन संरक्षण के मामले में स्थापना के 85 वर्ष पूरे कर लिए हैं। हालांकि, 153 साल पहले वन विभाग ने इस क्षेत्र में वन संरक्षण की जिम्मेदारी संभाली थी। 1858 तक यह वन क्षेत्र भी ब्रिटिश शासन के अधीन था। जैसे-जैसे वन संसाधनों का दोहन बढ़ता गया, इसे बचाने की कवायद 1858 में शुरू हुई।उत्तराखंड का प्रसिद्ध अभयारण्य जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व अब रामगंगा नेशनल पार्क के नाम से जाना जाएगा. बीते तीन अक्टूबर को केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री अश्विनी चौबे ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का दौरा किया था. तभी अश्विनी चौबे ने नेशनल पार्क का नाम बदलकर रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान करने का ऐलान किया था. केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान कॉर्बेट नेशन पार्क का भ्रमण किया और धनगढ़ी स्थिति म्यूजियम में रखे गए विजिटर बुक में भी उनके संदेश में पार्क का नाम उन्होंने रामगंगा नेशनल पार्क ही लिखा है.
साल 1936 में इस पार्क की स्थापना के समय इस पार्क का नाम हेली नेशनल पार्क रखा गया था. यह संयुक्त प्रांत के गवर्नर मैल्कम हेली के नाम पर था. आजादी के बाद इस पार्क का नाम बदलकर रामगंगा नेशनल पार्क रख दिया गया. इसके बाद प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट की मौत के दो साल बाद साल 1957 में इस पार्क का नाम जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया था. बता दें कि यह पार्क पर्यावरण व वन्यजीवों के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. इस पार्क में बंगाल टाइगर, तेंदुए, जंगली सुअर, स्लोथ बीयर, मगरमच्छ जैसे कई अहम जीव हैं.महाराष्ट्र के आवास मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम बदलकर रामगंगा नेशनल पार्क करने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है. जिम कॉर्बेट ने अपना पूरा जीवन कुमाऊं के जंगलों में बिताया. भारत उनके खून में था. भारतीय वनों के बारे में उनसे ज्यादा कोई नहीं जानता था. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण नहीं बल्कि केवल मूर्खता है.
उत्तराखंड में टाइगर रिजर्व के लिए विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम भविष्य में बदलकर ‘रामगंगा नेशनल पार्क’ किए जाने की चर्चा है.अश्विनी चौबे ने दिए बदलाव के संकेत
केंद्रीय वन और पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भारत के पहले नेशनल पार्क के नाम में बदलाव के संकेत दिए, जो करीब 521 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है. उन्होंने हाल ही में पार्क के अपने दौरे पर एक संग्रहालय अतिथि पुस्तक में इसका उल्लेख किया था.
Pppउन्होंने लिखा कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम बदलकर रामगंगा नेशनल पार्क किया जाए. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक राहुल ने इसकी पुष्टि की लेकिन आगे कोई और टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
हालांकि, पार्क के संभावित नाम परिवर्तन पर वन्यजीव प्रेमियों ने नाराजगी व्यक्त की है. वन्यजीव प्रेमी प्रकाश किमोथी ने कहा, ‘हमें नाम बदलने से ज्यादा अपनी विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान देना चाहिए.’
अगर जिम कॉर्बेट पार्क का नाम बदला जाता है तो यह पहली बार नहीं होगा. 1936 में अपनी स्थापना के समय इस पार्क का नाम हैली नेशनल पार्क रखा गया था, दो दशक बाद इसका नाम शिकारी से संरक्षणवादी बने जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया. हालांकि, कुछ समय के लिए इसे रामगंगा नेशनल पार्क का नाम भी दिया गया क्योंकि गंगा की एक सहायक नदी रामगंगा इससे होकर गुजरती है. अधिकांश पार्क नैनीताल जिले में पड़ता है और बाघों के अच्छी खासी संख्या के लिए प्रसिद्ध है.
By ; Poonam Sharma
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