टोक्यो पैरालंपिक में दिखा भारत का जलवा। भारतीय खिलाड़ियों ने अब तक 15 पदक की जीत हासिल कर ली है।
इन सभी प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने ये साबित कर दिया है कि मन में हौसला हो तो कैसे भी हम अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंच सकते है।
शारीरिक विकलांगता सामान्य लोगो के लिए बहुत ही बड़ी कमी मानी जाती है। पर विकलांगता इस मुकाम को चूम रही है तो कुछ और क्यों ही सोचना। इन सभी ने ये साबित कर दिया है कि मन में दृढ़ संकल्प होना चाहिए बस। फिर आपको आगे बड़ने से कोई नहीं रोक सकता।
सुहास और साहस
IAS officer Suhas Yathiraj सेमीफाइनल में पहुंचे बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास एल वाई। नोएडा यानि गौतमबुद्ध नगर के डीएम भी हैं । लगातार 2 मैच जीतने के बाद सेमीफाइनल में एंट्री मिली।
IAS officer Suhas Yathiraj कर्नाटक के छोटे से शहर शिगोमा में जन्मे सुहास एलवाई ने अपनी तकदीर को अपने हाथों से लिखा है। जन्म से ही पैर से विकलांग सुहास शुरुआत से IAS नहीं बनना चाहते थे। बचपन से ही को खेल को लेकर बेहद दिलचस्पी थी । उन्हें पिता और परिवार का भरपूर साथ मिला। पैर पूरी तरह फिट नहीं था। पर फिर भी उनका खेल से लगाव बचपन से ही था।
IAS officer Suhas Yathiraj के पिता उनके सबसे बड़े मार्गदर्शक और ताकत दोनो ही थे। बंगलौर में जॉब छोड़ने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तयारी शुरू कर दी थी, और उसी दौरान उनके पिता ने उनका साथ छोड़ा। इस बात से सुहास बिल्कुल टूट चुके थे, पर उन्होंने खुद को संभाला और तैयारी में जुट गए।
IAS officer Suhas Yathiraj पहले पीटी, फिर मेन्स और फिर इंटरव्यू में सफलता हासिल कर सुहास साल 2007 में यूपी कैडर से IAS अधिकारी बन गए।
UPSC की परीक्षा पास करने के बाद उनकी पोस्टिंग आगरा में हुई। फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस , महाराजगंज प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बनें।
सुहास सरकारी पदाधिकारी बन चुके थे। तेज तर्रार अधिकारी का दर्जा प्राप्त था, सुहास अपने दफ्तर की थकान को मिटाने के लिए बैंडमिंटन खेलते थे, लेकिन जब कुछ प्रतियोगिताओं में मेडल आने लगे तो फिर उन्होंने इस प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरू किया।
IAS officer Suhas Lalinakere Yathiraj 2016 में उन्होंने इंटरनेशनल मैच खेलना शुरू किया। गेम के दौरान पूरा खेल मेंडल प्रेशर का होता है, जो इसे पार कर लेता है वो मैच जीत जाता है।
सुहास की पत्नी रितु सुहास भी एक पीसीएस ऑफिसर हैं। सुहास को पिछले साल 1 दिसंबर को उत्तर प्रदेश की सरकार ने यश भारती अवॉर्ड से नवाजा था। 3 दिसंबर 2016 को ‘वर्ल्ड डिसेबिलिटी डे’ के अवसर पर सुहास को स्टेट का बेस्ट पैरा स्पोर्ट्सपर्सन चुना गया था।
सुहास एलवाई मेहनत के साथ-साथ तकरीद को भी मानते हैं। उनका विश्वास भगवान में है। सुहास जब भी टूर्नामेंट में मैच खेलने जाते हैं तो कोट में उतरने से पहले भगवान हनुमान की मूर्ति को रखकर जाते हैं। उनका कहना है कि भगवान की मूर्ति पास होने से उन्हें ताकत और आत्मविश्वास मिलता है।
Tokyo Paralympics भारत के अन्य खिलाड़ी जिन्होंने पदक हासिल किए:
भाविना पटेल उन्होंने महिला एकल क्लास-4 वर्ग के फाइनल में रजत पदक जीता।
निषाद ने पुरुषों की ऊंची कूद टी-47 स्पर्धा के फाइनल में सिल्वर मेडल जीता।
विनोद कुमार ने पुरुषों की डिस्कस थ्रो एफ-52 स्पर्धा के फाइनल में कांस्य पदक अपने नाम किया।
अवनि लेखरा ने महिलाओं की 50 मीटर राइफल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
टोक्यो पैरालंपिक में अवनि का यह दूसरा पदक है। इससे पहले वह गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गयीं है।
प्रवीण कुमार ने ऊंची कूद में रजत पदक जीता ।
सिंहराज अधाना ने दूसरा पदक जीता, मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल SH1 फ़ाइनल में सिल्वर मेडल से नवाजे गए , इससे पहले ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं सिंहराज
मनीष सरकार और सिंहराज का धमाका, भारत को एकसाथ दिलाया गोल्ड और सिल्वर,
शूटिंग स्पर्धा में मनीष नरवाल ने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर देश को गौरवभूषित किया है।
“दिन आज का विशिष्ठ यूं बन जाता है….
देश के विभिन्न प्रतिभाओं को सराहा जाता है…”
इस रोचक जानकारी को लिखने वाली तन्वी मिश्रा है।