त्रिपुरा में पिछले दिनों हो रही सांप्रदायिक घटना की रिपोर्टिंग करने में दो महिला पत्रकारों को असम में हिरासत लेने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है।
विश्व हिंदू परिषद की एक FIR में इन दोनों का नाम है। न्यूज नेटवर्क के एक बयान में कहा है कि उसकी दो पत्रकार समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को असम के सिलचर जाते वक्त हिरासत में लिया गया है।
नेटवर्क ने अपने बयान में बताया कि असम पुलिस ने कहा कि पत्रकारों के खिलाफ कोई केस नहीं है लेकिन त्रिपुरा पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेने के लिए कहा। सकुनिया और स्वर्णा झा के खिलाफ IPC की धारा 120B, 153A और 504 के तहत FIR दर्ज की गई है। यह FIR विश्व हिंदू परिषद के एक सदस्य की शिकायत के बाद दर्ज की गई थी।
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बता दें कि दोनों पत्रकार कथित सांप्रदायिक तनाव को कवर करने के लिए गुरुवार को दिल्ली से यहां पहुंची थी। वहीं महिला पत्रकारों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके होटल में आई और उन्हें डराया-धमकाया गया। दोनों पर धार्मिक आधार पर दो समूहों के बीच उकसाने– फैलाने का आरोप लगा है।
जानकारी के मुताबिक विहिप नेता कंचन दास की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत पर पुलिस ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। शिकायत में कहा गया कि पत्रकारों ने पॉल बाजार इलाके में मस्जिद जलाने के लिए विहिप और बजरंग दल को जिम्मेदार ठहराया था।
त्रिपुरा पुलिस को संदेह है कि उनके द्वारा अपलोड किये गये वीडियो में तथ्यों से छेड़छाड़ की गई है। सकुनिया ने 11 नवंबर को एक ट्वीट में लिखा था, ‘त्रिपुरा हिंसा दरगा बाजार: 19 अक्टूबर को रात करीब ढाई बजे, कुछ अज्ञात लोगों ने दरगा बाजार इलाके में मस्जिद जला दी।
आस पड़ोस के लोग इस बात से बहुत परेशान हैं कि उनके पास नमाज अदा करने के लिए नजदीक में कोई जगह नहीं है।’ त्रिपुरा पुलिस प्रमुख वी एस यादव ने दावा किया गया है कि सकुनिया द्वारा किए गए पोस्ट सही नहीं थे और इसने समुदायों के बीच नफरत की भावना को बढ़ावा दिया।
सकुनिया ने रविवार को ट्वीट किया कि उन्हें असम के करीमगंज के नीलमबाजार पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया। त्रिपुरा पुलिस का कहना है कि कथित रूप से झूठी खबर प्रकाशित करने के आरोप में हिरासत में ली गईं दो महिला पत्रकारों को “पहले उत्तरी त्रिपुरा के फातिक्रोय पुलिस स्टेशन के तहत आने वाले पॉल बाजार में सांप्रदायिक नफरत फैलाने में शामिल पाया गया था” एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने यह कहते हुए ट्वीट किया कि वह गिरफ्तारी की निंदा करता है और “उनकी तत्काल रिहाई और यात्रा करने की उनकी स्वतंत्रता की बहाली की मांग करता है” वहीं एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क ने एक बयान में कहा कि वह पत्रकारों की तत्काल जमानत के लिए कोर्ट में अपनी ओर से वकील पेश करेगा और कोर्ट से रिहाई की मांग करेगा।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव संजय कपूर ने डीडब्ल्यू से कहा कि गिल्ड पिछले कुछ दिनों की भयावह घटनाओं का फॉलोअप कर रहा है और उसे लगता है कि त्रिपुरा प्रशासन पत्रकारिता को अपराध मानता है। सूत्रों के मुताबिक, “वास्तव में परेशान करने वाली बात यह है कि स्थानीय पुलिस ने महिलाओं को गिरफ्तार करने और उन्हें देर रात हिरासत में लेने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित सभी मानदंडों की अवहेलना की।
इससे भी बुरी बात यह है कि उन्होंने मीडिया के कुछ तबके का इस्तेमाल उन्हें बदनाम करने के लिए भी किया है” दोनों महिला पत्रकारों ने त्रिपुरा में हुई हिंसा की जमीनी रिपोर्टिंग की थी। दोनों महिला पत्रकारों को पहले त्रिपुरा पुलिस ने राज्य छोड़ने की अनुमति दी थी, लेकिन बाद में उन्हें असम में हिरासत में ले लिया गया। रविवार की देर रात उन्हें वापस त्रिपुरा ले जाया गया और वहां गिरफ्तार कर लिया गया। पिछले महीने त्रिपुरा में भीड़ ने कई जगह मुस्लिम इलाकों में हिंसा की थी।
बांग्लादेश में हुई हिंदू-विरोधी हिंसा के जवाब में कई हिंदू संगठनों ने राज्य में रैलियां निकाली थीं। आरोप है कि उसी दौरान भीड़ ने कम से कम चार मस्जिदों और मुस्लिम इलाके में दर्जनों घरों व दुकानों पर हमले किए थे। पिछले हफ्ते त्रिपुरा के अधिकारियों ने कम से कम 102 सोशल मीडिया खाताधारकों के खिलाफ आपराधिक मामले में जांच शुरू की थी। यह जांच फर्जी खबर फैलाने के आरोपों के तहत की जा रही है।
पिछले कुछ हफ़्तों में त्रिपुरा के कई जगह हिंसा संबंधित खबरों को ऑनलाइन पोस्ट करने को लेकर पुलिस ने दो वकीलों और 102 ट्विटर यूजर्स के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया।
BY: Tanwi Mishra