महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामल में मुख्य आोरोपी आंनद गिरि राजस्थान के भीलवाड़ा का रहने वाला है.
आनंद गिरि वर्ष 2000 में संन्यास लेने के बाद नरेंद्र गिरि के सानिध्य में रहने लगा था.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत (Mahant Narendra Giri Suicide case) का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी नरेंद्र गिरि के शिष्य आंनद गिरि (Anand Giri) को गिरफ्तार कर लिया है.
नरेंद्र गिरि और आनंद के बीच का विवाद लंबा है (Narendra Giri and Anand Dispute). लेकिन एक वक्त था जब राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwada) का आशोक घर से भागने के बाद नरेंद्र गिरि से मिला. जिसके बाद उन्होंने ही उसकी शिक्षा-दीक्षा करवाई और उसे आंनद गिरि नाम दिया.
दरअसल आनंद गिरी भीलवाड़ा जिला के आसिन तहसील में आने वाले ब्राह्मण की सरेरी गांव का मूल निवासी है. आनंद गिरि करीब 20 साल से महंत नरेंद्र गिरि के साथ था. वह मूलत: राजस्थान के रहने वाला है. भीलवाड़ा जिले की आसिन तहसील में उसका गांव है.
आनंद गिरि वर्ष 2000 में संन्यास लेने के बाद नरेंद्र गिरि के सानिध्य में रहने लगे थे. अंग्रेजी की जानकारी रखने वाले नरेंद्र गिरि की पकड़ संस्कृत, वेद व योग पर भी है.
Narendra Giri Death Case: 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई थी. ये परिषद देश के प्रमुख 13 अखाड़ों की प्रतिनिधि संस्था है,
लेकिन मार्च 2015 में नरेंद्र गिरि को सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था.
महंत नरेंद्र गिरि की मौत पर उठते सवालों के बीच बड़ी खबर ये आ रही है कि बुधवार सुबह आठ बजे उनके पार्थिव शरीर का पोस्टमॉर्टम किया जाएगा. बहरहाल यूपी पुलिस हर एंगल से महंत की मौत की मिस्ट्री के तार खंगाल रही है. महंत नरेंद्र गिरि के कॉल रिकॉर्ड की भी जांच कर रही है.
बताया जाता है कि नरेंद्र गिरि ने मौत से पहले 6 लोगों से बातचीत की थी. सूत्रों के मुताबिक, स्थानीय बीजेपी नेता अनुराग संत से भी फोन पर बात की थी, तो यहां जानना जरूरी है कि महंत की मौत मिस्ट्री की जांच कितने एंगल से हो रही है.
क्या 11 पन्नों के सुसाइड नोट में छिपा है महंत की मौत का सच, महंत के सुसाइड नोट में लड़की और फोटो की मिस्ट्री क्या है या फिर आखिरी वीडियो में रिकॉर्ड है महंत की मौत का राज़, क्या महंत नरेंद्र गिरि की मौत की कहानी पहले ही लिखी जा चुकी थी, आखिर क्यों एक मजबूत इच्छाशक्ति वाले संत ने जान दे दी? करीब 28 घंटों से यूपी पुलिस इन सवालों के जवाब तलाश रही है.
पुलिस की जांच के मुताबिक मामला आत्महत्या का है, जबकि महंत के चाहने वालों के मुताबिक मामला साजिशन मौत का है, लेकिन सुसाइड लेटर के मुताबिक मामला एक महिला से जुड़ा दिखता है. पुलिस ने महेंद्र नरेंद्र गिरि का जो सुसाइड नोट जारी किया है. उसके मुताबिक,
‘मैं महंत गिरि आज मेरा मन आनंद गिरि के कारण विचलित हो गया है. हरिद्वार से ऐसी सूचना मिली कि आनंद गिरि कम्प्यूटर के माध्यम से एक लड़की के साथ मेरी फोटो जोड़कर गलत काम करते हुए बदनाम करेगा. आनंद गिरि का कहना है कि महाराज यानि मैं कहां तक सफाई देते रहेंगे. मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, अगर मेरी बदनामी हो गई तो मैं समाज में कैसे रहूंगा? इससे अच्छा मर जाना ही ठीक है, इससे दुखी होकर मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं.’
तो क्या मौत से पहले इसी वजह से परेशान थे महंत नरेंद्र गिरि? क्या वाकई एक महिला के नाम पर आनंद गिरि महंत नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल कर रहे थे? सुसाइड नोट में जिस महिला का जिक्र है. आखिर वो कौन है? बहरहाल, इस थ्योरी पर पुलिस का वर्जन सामने नहीं आया है, लेकिन पूरा संत समाज और देश महंत की मौत का सच जानना चाहता है.
महंत की मौत पर इतने सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि सबसे बड़ी धार्मिक संस्था के सबसे मजबूत संत थे महंत नरेंद्र गिरि. प्रयागराज से दिल्ली तक महंत नरेंद्र गिरि की गिनती उन चंद संतों में होती थी जो धर्म की सत्ता के प्रतीक थे. धर्म और देश की कई उलझनों को महंत नरेंद्र गिरि सुलझाते रहे थे, लेकिन आज इनकी मौत मिस्ट्री ही नहीं सुलझ पा रही है.
पुलिस के आला अफसर कह रहे हैं कि महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट के आधार पर उनके शिष्य आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया गया है. पूछताछ की जा रही है और FIR में भी सिर्फ आनंद गिरि का ही नाम है, जबकि सुसाइड नोट में आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी इन तीन लोगों के नाम लिखे हैं. आद्या तिवारी बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी हैं और संदीप तिवारी उनका बेटा है. सुसाइड नोट में इन तीनों पर महंत नरेंद्र गिरि को परेशान करने का जिक्र लिखा है.
महंत नरेंद्र गिरि को क्या ब्लैकमेल किया जा रहा था?
तो यहां सवाल यही उठता है कि FIR में सिर्फ आनंद गिरि का नाम क्यों? क्या वाकई अपने पूर्व शिष्य आनंद गिरि के कारण ही महंत नरेंद्र गिरि को जान गवांनी पड़ी? प्रयागराज के बाघम्बरी मठ में हमने इन सवालों की पड़ताल की, तो हमें वो लोकेशन मिल गई.
जिस ज़मीन को लेकर गुरु-शिष्य के बीच कुछ महीनों से विवाद चल रहा था. तो सुना आपने गुरु-शिष्य के बीच अदावत जमीन की थी, लेकिन सुसाइड नोट में जिक्र एक महिला का है, तो कहीं ऐसा तो नहीं कि आनंद गिरि महिला के नाम पर महंत नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल कर रहे थे और उसी के एवज़ में ज़मीन की मांग कर रहे थे.
महंत नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य के बीच विवाद की एक और वजह बताई जाती है. बड़े हनुमान मंदिर में चढ़ने वाला लाखों का चढ़ावा और महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में जिस आद्या तिवारी का जिक्र है वो बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी हैं और संदीप तिवारी उनका बेटा है.
बताया जाता है कि एक हफ्ते पहले मुख्य पुजारी आद्या तिवारी को महंत नरेंद्र गिरी ने फटकार भी लगाई थी. आद्या तिवारी के बेटे संदीप तिवारी के व्यवहार से भी महंत नरेंद्र गिरि नाराज थे, लेकिन इन सबके बीच सवाल ये उठ रहे हैं कि महंत नरेंद्र गिरि को किसी ने कभी किसी ने लिखते पढ़ते नहीं देखा, तो फिर इतने पन्नों का सुसाइड नोट किसने लिखा. नरेंद्र गिरि का पूर्व शिष्य आनंद गिरि भी यही दावा कर रहा है.
हालांकि इसको लेकर दावे ये भी हैं कि महंत नरेंद्र गिरि दस्तखत कर लेते थे. थोड़ा बहुत लिख लेते थे. इस बात की तस्दीक सुसाइड नोट को देखकर भी होती है. क्योंकि इसमें कई जगह लिखकर काटा गया है. यहां चौंकाने वाली बात ये भी है कि मौत से पहले महंत नरेंद्र गिरि ने एक वीडियो भी बनाया था. बताया जाता है कि उसमें भी मौत की वजह रिकॉर्ड है.
बहरहाल फॉरेंसिक डिपार्टमेंट ने महंत नरेंद्र गिरि के मोबाइल फोन से मिले वीडियो की जांच कर ली है. किसी भी वक्त उसकी रिपोर्ट आ सकती है, जिससे कुछ और सनसनीखेज खुलासे हो सकते हैं.
महंत मौत केस के रडार पर कई लोग हैं. कुछ देर पहले उनके सरकारी गनर को भी हिरासत में लिया गया है. इस जांच के दायरे में यूपी पुलिस के एक एडिशनल एसपी. समाजवादी पार्टी और बीजेपी के एक-एक नेता भी हैं. बताया जा रहा है कि इन्हीं तीन लोगों ने करीब 5 महीने पहले आनंद गिरि और नरेंद्र गिरी के बीच समझौता करवाया था.
और अब पुलिस इनसे पूछताछ करेगी. बहरहाल आज रिपोर्टिंग के दौरान हमें ये भी पता चला कि कल महंत नरेंद्र गिरि ने दोपहर की चाय के लिए मना कर दिया था. ये खुलासा उनके रसोइये ने किया.
अब सवाल है कि आखिर कौन थे महंत नरेंद्र गिरि, जिनका संत समाज से लेकर सत्ता के गलियारों तक काफी प्रतिष्ठा थी. हम आपको एक रिपोर्ट दिखाते हैं. जिसे देखकर ये पता चलेगा कि महंत नरेंद्र गिरि की शख्सियत के कितने पहलू थे और क्यों वो सिर्फ संत समाज के ही नहीं बल्कि हर आम और खास के करीबी थे. एक संत, बाघंबरी मठ के कद्दावर महंत. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव. बस इतनी भर पहचान नहीं थी महंत नरेंद्र गिरि की. वो संत समाज से लेकर सत्ता के गलियारे तक अपनी प्रतिष्ठा और धाक के लिए जाने जाते थे, जिनसे मिलना धार्मिक संवाद करना और आशीर्वाद लेना हर आम और खास के लिए खुशकिस्ती से कम नहीं था.
महंत नरेंद्र गिरि ने कई कड़े और सख्त निर्णय लिए
महंत नरेंद्र गिरि का कद बहुत बड़ा था. उन्होंने धर्मक्षेत्र में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के रूप में कई कड़े और सख्त निर्णय लिए थे. जैसे फर्जी संत-महात्माओं की सूची जारी करना, स्वयंभू शंकराचार्यों का खुलकर विरोध करना, किन्नर और परीक्षा अखाड़ा को 14 वे अखाड़े के रूप में मान्यता देना, घर से सम्बन्ध रखने वाले महात्माओं को अखाड़े से बाहर करना, मठों-मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण का विरोध करना, तीन तलाक़ और धर्मांतरण का विरोध, ईसाई मिशनरियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग, बक़रीद के मौके पर जीव हत्या का विरोध, उज्जैन, प्रयागराज और हरिद्वार कुम्भ में 13 अखाड़ों को आर्थिक मदद दिलाना.
वैसे 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई थी. ये परिषद देश के प्रमुख 13 अखाड़ों की प्रतिनिधि संस्था है, लेकिन मार्च 2015 में नरेंद्र गिरि को सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था. पूर्व अध्यक्ष ज्ञानदास के कार्यकाल के बाद उनकी ताजपोशी हुई थी. साल 2019 में उन्हें दोबारा अध्यक्ष चुना गया. अध्यक्ष के तौर पर ये महंत नरेंद्र गिरि का दूसरा कार्यकाल था.
अखाड़ा परिषद ही एक तरह से महामंडलेश्वर और बाबाओं को सर्टिफिकेट दिया करती है. अखाड़ों में महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर पदों पर नियुक्ति में भी महंत नरेंद्र गिरि की काफी बड़ी भूमिका रहती थी. हरिद्वार में दक्षिणेश्वरी काली मंदिर के पीठाधीश्वर महंत कैलाशानंद महाराज को हरिद्वार कुंभ में निरंजनी अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर नरेंद्र गिरि के सहयोग से ही बनाया गया था.
प्रयागराज कुंभ मेले में भी उनकी अहम भूमिका थी. मेले के लिए वो समय-समय पर शासन और प्रशासन का मार्गदर्शन करते रहते थे. अखाड़ों के मसले पर वो हमेशा मुखर रहते थे और धर्म के मसलों को लेकर हमेशा संतों से संवाद बनाए रखते थे.
मंहत नरेंद्र गिरि ने रामजन्म भूमि आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था. वैसे वो निरंजनी अखाड़े के सचिव भी थे. निरंजनी अखाड़े से जुड़े ज्यादातर फैसलों में उनका दखल होता था. अगर बात निरंजनी अखाड़े की संपत्ति की की जाए, तो निरंजनी अखाड़े की सिर्फ हरिद्वार में ही करोड़ों की संपत्ति है. यही नहीं प्रयागराज के बाघंबरी मठ और संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर की भी करोड़ों रुपए की संपत्ति है. मठ के पास हरिद्वार और प्रयागराज शहर के अलावा नोएडा में भी कई एकड़ जमीन है जिसकी कीमत अरबों में है.
1996 में महज 12 साल की उम्र में छोड़ दिया था आंनद गिरि ने घर
राजस्थान भीलवाड़ा निवासी नरेंद्र गिरि का असली नाम अशोक चोटिया (Ashok Chotiya) है. अशोक अपने पिता की चौथी संतान है. अशोक साल 1996 में महज 12 वर्ष की उम्र में घर से छोड़कर हरिद्वार चला गया था. जहां अशोक की मुलाकात नरेंद्र गिरी से हुई. घर से जाने के बाद सन 2001 में एक भक्ति चैनल पर प्रवचन के दौरान परिवार ने अशोक को पहचाना.
2012 में घर लेजाकर दिलवाई दीक्षा और आंनद गिरि नाम दिया
साल 2012 में नरेंद्र गिरी अशोक को भीलवाड़ा में उसके गांव लेकर आये, उसे परिवार के सामने नरेंद्र गिरी ने दीक्षा दिलवाई और वही उसका नाम आंनद गिरी दिया. शिक्षा दिलवाने के बाद उससे पूछा क्या करना चाहते हो-तो उसने कहा पढ़ाई करना चाहता हूं. जिसके बाद नरेंद्र गिरी ने उसे आगे पढ़वाया. आनंद गिरी बेहद गरीब परिवार का है. यहां तक की उसका एक भाई अब भी सब्जी का ठेला लगाता है. वहीं उसका एक भाई गुजरात के भांगर में जॉब करता है।
आनंद गिरि को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया
महंत नरेंद्र गिरि के कथित आत्महत्या मामले में तीसरी गिरफ्तार हुई है. लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी के बेटे संदीप तिवारी को पुलिस ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया है. अब तक हुई गिरफ्तारी में सभी का नाम सुसाइड नोट में है.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर साधु संतों के बयान लगातार आ रहे हैं. इस मामले पर निरंजनी अखाड़ा के रविंद्र पुरी ने ‘आज तक’ से बात करते हुए बड़ा बयान दिया है. रविंद्र पुरी ने कहा कि फांसी में सिर के पीछे चोट कैसे हो सकती है? ना जुबान चढ़ी, न आंखें.. तो ये फांसी कैसे हो सकती है.
महंत नरेंद्र गिरि के कथित आत्महत्या मामले में प्रयागराज कोर्ट ने उनके शिष्य आनंद गिरि और लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
अब देखना ये है कि ये मामला कितना खींचता है और गिरफ़्तारी के बाद इस मामले में और क्या -क्या सामने अत है?
By: Poonam Sharma
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