Koil Aligarh Assembly Constituency पर Haji Zameerullah Khan को टिकट ना देने पर Akhilesh Yadav का कितना नुकसान होगा|UP Polls 2022

UP Election 2022 Koil Vidhansabha पर Haji Zameerullah Khan को टिकट ना देना Samajwadi Party को कितना नुकसान दे होगा?

आखिर क्या वजह रही होगी कि 2 बार के विधायक अलीगढ़ विधानसभा और कोल विधानसभा से 2007 मैं कांग्रेस के कद्दावर नेता विवेक बंसल उस वक्त के विधायक और 2012 बसपा के कद्दावर नेता को हराकर समाजवादी का परचम लहराया था और 2012 में अलीगढ़ में समाजवादी की कई सीटें निकली थी और उसी वक्त प्रदेश में समाजवादी की सरकार बनी थी.

उस वक्त Akhilesh Yadav युवा मुख्यमंत्री बने थे और उसी दौरान उस वक्त के विधायक हाजी जमीर उल्लाह ने कहा था कि मैं चाह कर भी मैं अपने ही सरकार में मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर कुछ नहीं कर सकता आखिर इसकी क्या वजह है कभी बात सामने नहीं आई.

Haji Zameerullah Khan के करीबी लोगों ने बताया कि विधायक जी को मुस्लिमों का दर्द और वंचित समाज का दर्द रहता है पर पार्टी के कुछ निर्देशों के पालन करने की वजह से एक विधायक चाह कर भी अपने समाज के लिए कुछ नहीं कर पाते है।

कुछ लोगों ने यह भी बताया फिर भी अलीगढ़ विधानसभा हो या फिर अलीगढ़ लोकसभा में या फिर आसपास के जिला हाथरस हो या कासगंज, जनपद एटा हो। जब भी कभी मुस्लिम समाज या किसी भी समाज जिसको जरूरत पड़ी हो हाजी जमील उल्ला उनके साथ खड़े दिखे हैं.

आपको बता दें 2007 में हाजी जमीर उल्लाह ने 10 साल के बाद समाजवादी का परचम लहराया था उसके पहले 1996 के चुनाव मैं अब्दुल खालिक ने विधायक बनकर पहली बार समाजवादी का परचम लहराया था।

और 2012 में सेफ सीट के तौर पर जफर आलम के खाते में चली गई और सीट तो समाजवादी पार्टी के पास ही रही पर विधायक हाजी जमीर उल्लाह की जगह जफर आलम बन गए और कुछ लोगों का यह कहना है उस वक्त के विधायक रहे हाजी जमीर उल्लाह की वजह से यह सब मुमकिन हो पाया।

और फिर उत्तर प्रदेश विधानसभा 2017 चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पार्टी के अंदर गृह क्लेश के चक्कर में हाजी जमीर उल्लाह उस वक्त के मौजूदा विधायक का टिकट काटकर किसी और को दे दिया और फिर समाजवादी के हाथ से यह सीट निकल कर कमल के खाते में चली गई और बीजेपी से विधायक अनिल पराशर हुए और यह सीट समाजवादी जीती हुई हार गई और इसके साथ-साथ अलीगढ़ विधानसभा का सीट भी हार गई और पूरे अलीगढ़ की सातों विधानसभा मैं समाजवादी को एक भी ना मिल सका, इसकी वजह हाजी जमीर उल्लाह को टिकट ना मिलने पर लोगों के अंदर नाराजगी है यह बात कुछ लोगों ने बताया।

हालांकि उस दौरान कॉल विधानसभा से हाजी जमीर उल्लाह ने निर्दलीय पर्चा भरा था जिसमें उनको करीब 10000 वोट मिले थे हालांकि अलीगढ़ का महल हमेशा से पार्टी के ऊपर रहा है उसके बावजूद एक कैंडिडेट को इतना मिलना लोगों ने बड़ी बात बताया।

कुछ लोगों का यह भी कहना है कि समाजवादी को हराने में हाजी जमीर उल्लाह हाथ था लेकिन डेटा यह बताता है कि समाजवादी और कांग्रेस का गठबंधन था और टिकट दोनों के खाते में चला गया और दोनों लड़े और इसी का फायदा बीजेपी को मिला।

जिस तरीके से संभल में सांसद शफीक उर रहमान बर्क ब्रांड है उसी तरीके से रामपुर में आजम खान ब्रांड है उसी तरीके से अलीगढ़ में हाजी जमीर उल्लाह ब्रांड है।

राजनीतिक विश्लेषको का मानना है अलीगढ़ कि हर एक विधानसभा में हाजी जमीर उल्लाह का अपना वोट बैंक भी है जो उनके लिया हर वक्त तैयार रहता है।

हालांकि इन दिनों दो बार के पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्लाह सपा छोड़ बसपा का हाथ थामा उस वक्त बसपा को अलीगढ़ से एक मेयर भी मिला जिसमें हाजी जमीर उल्लाह का बड़ा योगदान बताया जाता है फिर 2019 लोकसभा के दौरान कांग्रेस का हाथ थाम लिया और फिर कुछ महीनों बाद फिर से समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया।

हालांकि लोग उम्मीद कर रहे थे उत्तर प्रदेश विधानसभा 2022 में हाजी जमीर उल्लाह को टिकट मिलेगा पर ऐसा हुआ नहीं और फिर भी हाजी जमीर उल्ला नहीं है सब कुछ भुला कर अपने पार्टी के साथ खड़े रहने का फैसला किया।

कुछ लोगों ने बताया सपा प्रमुख अखिलेश यादव को मुस्लिम विधायक तो पसंद है पर मुसलमानों का नेता हो या कोई ऐसा मुस्लिम नेता हो जिसे हर वर्ग का लोग पसंद करें यह उन को बर्दाश्त नहीं होता इसका उदाहरण रामपुर संभल और अलीगढ़ के अलावा और कई जगह का देख सकते हैं।

आखिर क्या वजह है कि आजम खान के जेल जाने पर समाजवादी पार्टी का समर्थन ना करना और असद ओवैसी के बयान देते ही साइकिल यात्रा निकालना।

कई बार अखबारों में यह भी छपा है कि मुलायम सिंह यादव कहते हैं कि अखिलेश यादव मुस्लिम विरोधी है। पर अगर अखिलेश यादव मुस्लिम विरोधी होते तो मुसलमानों को टिकट क्यों देते इसमें बारीक अंतर है जो अपनी अपनी समझ हो सकती है।

यूपी विधानसभा 2022 की बात करें इस बार समाजवादी पार्टी के तरफ से अज्जू इसहाक को दोबारा से उम्मीदवार बनाया गया और कांग्रेस से विवेक बंसल को उम्मीदवार बनाया गया और बसपा से मोहम्मद बिलाल को उम्मीदवार बनाया गया और भाजपा ने अपने विधायक अनिल पराशर पर दोबारा भरोसा कर उनको उम्मीदवार बनाया।

रिपोर्टस के मुताबिक उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव जातीय समीकरण पर है यहां मुद्दों से ज्यादा जातीय समीकरण पर चर्चा होती है। लगातार कुछ इलेक्शन में देखा गया है बसपा भले ही सीट ज्यादा ना निकाल पा रही हो और सरकार से काफी समय से दूर हो पर इतिहास बताता है कि भाजपा को हर बार बसपा नहीं टक्कर दिया है।

कोल विधानसभा 75 और अलीगढ़ विधानसभा 76 की बात करें तो अलीगढ़ शहर विधानसभा जफर आलम साहब को 2017 के इलेक्शन को चंद हजार वोटों की वजह से गंवाना पड़ा और वहां अल्पसंख्यक समाज यानि मुस्लिम समाज का काफी असर है और यह भरपाई 2017 में शहर के मेयर को जीता कर पूरी कर लिया अगर इसी तरीके का समीकरण हुआ तो शहर विधानसभा से भाजपा के सत्ताधारी विधायक संजीव राजा की पत्नी भाजपा से प्रत्याशी मुक्ता राजा को जफर आलम साहब समाजवादी पार्टी से सीधे तौर पर टक्कर दे सकते हैं।

और बात Koil Vidhansabha 75 की करें तो यहां पर बसपा का बड़ा वोट बैंक है जो मौजूदा बसपा प्रत्याशी मोहम्मद बिलाल जो सत्ताधारी विधायक अनिल पराशर को सीधे तौर पर टक्कर दे सकते हैं यानी अल्पसंख्यक समुदाय का एक बड़ा वोट अगर बसपा की ओर जाता है तो यह सीट काफी समय बाद बसपा प्रत्याशी मोहम्मद बिलाल मौजूदा विधायक अनिल पराशर से जीत सकते है।

हालांकि कुछ लोगों को मानना है कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का हाजी जमीर उल्लाह को टिकट ना देना 2017 जैसे नतीजे पैदा कर सकते हैं क्योंकि कुछ नेता की अपनी पकड़ भी होती है यानी उसका अपना वोट बैंक होता है जो सीट जितने मैं काफी मदद करता है।

और सबसे बड़ा सवाल सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने ही पार्टी के पुराने और दिग्गज मुस्लिम चेहरे से परहेज क्यों करते हैं? आखिर एक तरफ मुस्लिम पुराने प्रत्याशी का टिकट काटते हैं जो और दूसरी तरफ मुस्लिम प्रत्याशी को नए को टिकट दे देते हैं।

अब कोई सवाल सपा प्रमुख अखिलेश यादव से खुद कर बैठे कि अगर आप यह तर्क देंगे कि मौका दूसरे को भी मिलना चाहिए तो फिर मौका दूसरे को भी मिलना चाहिए कि समाजवादी पार्टी का कमान कोई और संभाले और प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर चेहरा कोई और हो।

2019 लोकसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी के चेहरा के तौर पर उभर रहे आजम खान के जेल जाने से किसने सबसे फायदा उठाया है? यह बात किसी से छुपा नहीं है।

2017 विधानसभा मैं जब भाजपा की सरकार बनी थी तब सदन में आजम खान और आदित्यनाथ योगी का फोटो वायरल हुआ था और एक साथ हेलीकॉप्टर में भी बैठे देखे गए थे आखिर क्या वजह हो गई कि आजम खान को जेल जाना पड़ा और वह भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए मुद्दा बन गए?

आजम खान पर पूरी रिपोर्ट पढ़े। आखिर क्या वजह रही क्या आजम खान और उनका पूरा जेल चला गया और अखिलेश यादव और शिवपाल यादव और मुलायम सिंह यादव के साथ आदित्यनाथ योगी उनके घरों में मीटिंग करते हुए फोटो में देखे गए.

Samajwadi Bulletin पेज नंबर 45 पर Azam Khan के बारे मैं क्या छपा, मुद्दा उठाने वाले मुद्दा क्यों बन गए

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Mohammad Sajid.

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