2022 यूपी विधानसभा चुनाव मे अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की जोड़ी नाकाम रही जिस तरीके से 2017 में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी नाकाम रही.
लोकसभा चुनाव के दौरान 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी जोड़ी नाकाम रही.
और डॉक्टर मन्नान के मुताबिक मुसलमान अपना बड़ा वोट बैंक अपने मुद्दे के लिए नहीं सिर्फ बीजेपी हराने के लिए इस्तेमाल करता है और नतीजा वही है कि हर बार बीजेपी सेहार का मजा कांग्रेस और समाजवादी और बसपा को चखना पड़ रहा है.
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में जहां समाजवादी पार्टी को 111 सीटें मिली वहीं भाजपा को 255 मिली हालांकि समाजवादी की सीटें पहले से 3 गुना बड़ी और भाजपा की थोड़ी कम हुई लेकिन फिर भी सत्ता के लिए पर्याप्त मात्रा में सीट भाजपा की झोली में आ गिरी.
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के कवरेज के दौरान एक चीज महसूस करने को मिला है कि जनता ने तय कर लिया है कि अब वह किसी से नाराज होकर किसी को वोट नहीं करेगा बल के जिस के लिए 5 साल जमीन पर दिखाई देगा उसी के साथ वह भी खड़ा होगा.
लोगों ने तो समाजवादी को सपोर्ट करने की जहां कोशिश की वहीं अखिलेश के नेतृत्व को नकार भी दिया और 2014 से लेकर 2022 तक के चुनाव के नतीजे बता रहे हैं यह लोग भाजपा के मुकाबले में समाजवादी के ही विकल्प देख रहे हैं यूपी में पर अखिलेश के नेतृत्व को स्वीकार नहीं करना चाह रहे हैं.
चुनावी नतीजे पर ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन उत्तर प्रदेश के बलरामपुर उतरौला विधानसभा से चुनाव लड़ रहे डॉक्टर मनान फेसबुक पर लिख कर जनता को आगाह करने का काम किया.
डॉक्टर मन्नान ने पुरानी बातों का जिक्र करते हुए कहा बात 2008 की है । हम लोगो ने आजादी के बाद की राजनीति को देखते हुए, डा अयुब साहब के नेतृत्व में पीस पार्टी का गठन किया । इस पार्टी के गठन के बाद पूरब के कुछ जिलों में हम लोगो ने रैलियां करना शुरू कर दिया ।
डा अयुब साहब राष्ट्रीय अध्यक्ष और मैं प्रदेश अध्यक्ष ।
नतीजा ये रहा कि पीस पार्टी से कौम बड़ी तेजी से जुड़ी।
एम आई एम नेता डॉक्टर मन्नान ने कहा पुरानी बातों को याद करते हुए के जब कौम इस पार्टी से जुड़ रही थी तो उसी टाइम पर दलित, अगड़ा, पिछड़ा हिंदू भाई भी इस पार्टी से बहुत तेज़ी से जुड़े ।
जिसमें राजेश सिंह,दयाशंकर पटवा,सचिदानंद पांडे ,राजेश्वर मिश्रा ,प्रभाकर सिंह ,बाबू रामपाल सिंह ,गीता सिंह ,अखिलेश सिंह ,बबलू सिंह ,सोनू सिंह ,मोनू सिंह ,सीताराम जैसे सैकड़ों बड़े नेता विधान सभा और लोकसभा का चुनाव लड़े और सबको अच्छा वोट भी मिला ।
ये सिलसिला दो चुनाव 2009 के लोकसभा चुनाव और 2012 के विधान सभा चुनाव तक चला । उसके बाद नगर पालिका के चुनाव में भी हमने 1 दर्जन चेयरमैन बनाए जिसमे बहराइच के चेयर मैन रेहान आढ़ती जैसे लोग प्रमुख हैं ।
उसके बाद नरेंद्र मोदी बीजेपी के तरफ से 2014 में प्रधान मंत्री के कैंडिडेट घोषित हो गए।
डॉक्टर मन्नान ने कहा फिर तो कौम के आलिम ,दानिश्वर ,लीडर सब ये कहने लगे की कुछ नही अब तो हमे मोदी को हराना है ।कोई कांग्रेस के पीछे हो गया ,कोई माया के तो कोई अखिलेश के ।नतीजा मोदी की 2014 में सरकार बन गई।
फिर 2017 का विधान सभा चुनाव आया लोगो ने कहा अब अखिलेश भय्या और राहुल भैया आ गए अब तो हम सिर्फ मोदी को हराएंगे।बस एआईएमआईएम और पीस वाले दूर रहो ।
हमे अखिलेश भैय्या को मुख्य मंत्री बना लेने दो ।नतीजा अखिलेश राहुल बुरी तरह पराजित हुए और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन गए ।उसके बाद 2019 का पार्लियामेंट चुनाव आया।
लोगो ने कहा अब तो अखिलेश और मायावती ने गठबंधन कर लिया ।अब तो मोदी को पक्का हरा देंगे।नतीजा मोदी फिर प्रचंड बहुमत से जीत गए।
आखिर में चुनाव आया 2022 का ।
एमआईएम नेता उतरौला विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी डॉ मन्नान ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 का जिक्र करते हुए कहा इस बार तो अखिलेश भैय्या को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरे यूपी का मुसलमान ,चाहे वोटर हो या नेता,आलिम हो जाहिल,दानिश्वर हो या समाज सेवी सारे मुसलमानो ने अखिलेश यादव के लिए अपनी जान लगा दी ।
डॉक्टर मन्नान कहते हैं कि नतीजा वही अखिलेश यादव बुरी तरह पराजित हुए और योगी आदित्य नाथ मुख्य मंत्री बन गए ।
अब ये तमाशा कब खत्म होगा ?
एमआईएम नेता बलरामपुर उतरौला के पूर्व प्रत्याशी डॉक्टर मन्नान साहब ने फेसबुक पर लिखकर बताया कि आलिम ,दानिश्वर,नेता ,जनता से मेरा सवाल है ।
आप अकेले कब तक बीजेपी को हराओगे और दलित भाई, अगड़ा, पिछड़ा सब मिलकर बीजेपी को जिताएंगे ?
डॉक्टर मन्नान नें पूछा आखिर आप ने ओवैसी साहब ,अयुब साहब को नकार दिया चलो ठीक है ।
मैं तो पत्थर था मुझे फेंक दिया ठीक किया।
आज उस शहर में शीशे का मका कैसे हैं ।