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up vidhan sabha chunav 2022 के चंद रोज पहले इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों का मऊ जिला से ताल्लुक रखने वाले सपा के राष्ट्रीय महासचिव राजीव राय के ठिकानों पर छापेमारी हो रही है इस कार्रवाई से समाजवादी पार्टी के अंदर हड़कंप मच गया सपा कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव राय के आवास पर सुबह शनिवार को भारी संख्या में पुलिस बल के साथ आयकर विभाग आईटी के अधिकारी पहुंच गए.
सूत्रों के हवाले से खबर है कि मैनपुरी में आरसीएल ग्रुप के मालिक मनोज यादव के घर पर भी छापेमारी हुई है.
खबर है कि अखिलेश यादव सपा प्रमुख के साथियों के कई ठिकानों पर छापेमारी हुई है.
आपको बता दें हाल ही में चाचा भतीजा या नहीं समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव के साथ अखिलेश यादव ने एक फोटो ट्वीट कर गठबंधन का ऐलान कर दिया है.
16 दिसंबर को अखिलेश चाचा के घर पहुंचे मुलाकात और लंबी गुफ्तगू के बाद यह फैसला लिया गया है.
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अलग-अलग जातियों से ताल्लुक रखने वाले छोटे-छोटे दलों को अपने साथ लेने की कोशिश की है हालांकि अभी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन से गठबंधन करने से इनकार किया है.
समाजवादी का गठबंधन राष्ट्रीय लोक दल ,सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, महान दल जनवादी पार्टी सोशलिस्ट, अपना दल Kamerwadi और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी शामिल है.
अखिलेश यादव ने यह तक कहा किया हर पार्टी के झंडे के रंग के साथ को लेकर चलेंगे और समाजवादी विचारधारा यही है लेकिन अभी सवाल बना हुआ है इस समाज की बात करने वाले ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन असद ओवैसी से गठबंधन करेंगे क्योंकि उत्तर प्रदेश में एक बड़ा तबका उनके तरफ भी खींच सकता है.
हालांकि अभी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा प्रमुख ने छापेमारी को लेकर कहा कि जो काम पहले कांग्रेस पार्टी किया करती थी आज वही भारतीय जनता पार्टी कर रही है और हम समाजवादी इससे डरने वाले नहीं हैं.
आपको बता दें शिवपाल और अखिलेश यादव के मनमुटाव के बाद 29/08/2018 को प्रगतिशील पार्टी बना ली गई और 2019 में जहां सपा और बसपा मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रही थी वही शिवपाल की प्रगतिशील पार्टी अकेले लड़ रही थी जिसके वजह से भाजपा को फायदा भी हुआ और वही 2017 में सपा और कांग्रेस मिलकर लड़ी जिसका कोई फायदा नहीं हुआ और भाजपा को जबरदस्त बहुमत मिली ना तो उस वक्त शिवपाल की पार्टी थी ना तो असद ओवैसी की पार्टी थी.
ऐसे में राजनीतिक ज्ञानियों का माना जा रहा है के शिवपाल और अखिलेश दोनों को लगता है कि उत्तर प्रदेश में हम सरकार बनाने में सक्षम होंगे जिसकी वजह से उन्होंने गठबंधन किया हालांकि यही चीज 2019 लोकसभा सेंट्रल में सरकार बनाने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं देखी और सिर्फ उत्तर प्रदेश की सीटों से बना भी नहीं सकते थे शायद इसलिए गठबंधन नहीं किया होगा.