2021 का अंत बहुत ही खतरनाक संकेत के साथ हुआ है। हमने देश को करोना महामारी से लड़ते तड़पते देखा।
सरकार की लापरवाही से गंगा में बहती लाशों को देखा आक्सीजन की कमी से बिलखते हुए हिंदुस्तानियों को देखा।
और पूरी दुनिया ने देखा भारत में वैश्विक करोना महामारी के समय जिससे पुरा विश्व जुझ रहा था भारत की मिडिया ने केसे मुसलमानों को करोना बम कहके निशाना बनाया । और उस पर सत्ता पछ की घीनोनी नफरत से भरी राजनीति देखी।
और साथ हमने उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक धर्म विशेष की आड़ में विभाजनकारी रणनीति के साथ चुनाव में उतरते देखा । और अभी हाल ही में हरिद्वार में धर्म संसद के नाम पर बहती हुई गटर गंगा को भी देखा। 2021 कई अर्थों में बहुत भयानक साबित हुआ है।
क्या नफरत की राजनीति 2022 में भी जारी रहेगी
2021 के जाते जाते भाजपा के लिए सियासी साधुओं ने एक शानदार नफरत से भरी पिच तैयार कर दी है। नफरत की आड़ में हुए 17 दिसंबर से लेकर 19 दिसंबर तक चलने वाले इस धर्म संसद में मुसलमानों का नरसंहार करने की बात खुले मंच से की गई।
देश के इंसाफ पसंद लोगों को यह उम्मीद थी की प्रधानमंत्री इस पर कुछ बोलेंगे वह नहीं बोले हम उम्मीद करते थे की कम से कम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस पर कुछ बोलेंगे वह भी नहीं बोले । और पुलिस प्रशासन भी बिल्कुल निष्क्रिय बैठा हुआ है। यहां तक की विपक्षी पार्टी भी इसे अपना मुद्दा बनाना नहीं चाहती।
कब तक विपक्षी पार्टियां भाजपा हराओ के नारे के साथ देश के एक बड़े वर्ग का वोट लेती रहेंगी। यहां समझ नहीं आता हिंदुस्तान के सेक्यूलर दल नफरत के खिलाफ हैं या नफरत के साथ हैं। एक तरफ तो वो नफरत को हराने की बात करते हैं। दूसरी तरफ नफरत के खिलाफ आवाज सिर्फ इसलिए नहीं उठाते कहीं उनका बहुसंख्यक मत खिसक ना जाए ।
धर्म संसद से उत्तर प्रदेश के इलेक्शन (UP Vidhan sabha chunao 2022 ) पर प्रभाव
अभी मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। उत्तर प्रदेश देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है भारतीय जनता पार्टी हर संभव कोशिश करेगी यहां से चुनाव जीतने की अपनी कोशिशों को अमलीजामा पहनाने की कयास में भारतीय जनता पार्टी लगातार मेहनत कर रही है।
यूं ही अपने पुराने अंदाज में राम मंदिर के नाम पर सत्ता हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने अब नया सोशा छोड़ा है । राम मंदिर के बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री का नारा अयोध्या तो झांकी है काशी मथुरा बाकी है। भारतीय संविधान के हिसाब से इसे देखें तो यह संविधान के खिलाफ जाता है ।
भारतीय संविधान का Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991 हमको यह बताता है 15 अगस्त 1947 से पहले देश के जो भी धार्मिक स्थल थे वह यथास्थिति में बने रहेंगे। बाबरी मस्जिद को इस एक्ट में नहीं रखा गया। अब उत्तर प्रदेश में देखना यह है की क्या सेक्युलर दल जो विपक्ष की भूमिका में है।
सेक्युलर दल अपने आपको बंद कोठरी में रखेंगे या बाहर निकल कर नफरत और गलत के खिलाफ आवाज बुलंद करके असुरक्षित महसूस कर रहे देश के मुसलमानों का वोट सिर्फ BJP हराओ के आधार पर लेंगे या फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में असुरक्षित महसूस कर रहे मुसलमानों की सुरक्षा की गारंटी के साथ-साथ उसके बुनियादी मुद्दों को भी सेक्यूलर पार्टियां अपना मुद्दा बनाती हैं या नहीं।
ये हाल देख कर कभी-कभी तो ऐसा लगता है देश में यह देश विरोधी गतिविधियां सोची-समझी होती। आमतौर पर चुनाव से पहले धर्म की आड़ में होने वाली गतिविधियां सिर्फ इसलिए होती है कि लोग रोटी कपड़ा मकान शिक्षा नौकरी की जगह सिर्फ अपनी सुरक्षा की मांग करें। एक लोकतांत्रिक देश के लिए इससे बड़ी शर्म की बात कोई नहीं हो सकती जिसमें उस देश का नागरिक अपने ही देश में खुद को असुरक्षित महसूस करे । खुले मंच से मुसलमानों के नरसंहार के नारे लगने के बाद भी देश का प्रधानमंत्री चुप रहे ।
क्या प्रधानमंत्री के सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास वाले जुमले के सब में मुसलमान नहीं है। देश में मुस्लिम समुदाय को समय-समय पर टारगेट किया जा रहा है और ऐसे मामलो मे भारतीय जनता पार्टी के समय में बढ़ोतरी हुई है।
क्या देश गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहा है
हाल ही में धर्म संसद होने के बाद बोलीवुड अभिनेता नसरुद्दीन शाह ने The wire को दिए इंटरव्यू में कहा हैं देश में गृह युद्ध हो सकता है।
नसरुद्दीन शाह यही नहीं रुके उन्होंने कहा देश का 20 करोड़ मुसलमान डरेगा नहीं लड़ेगा। देश में ऐसी सभाएं जहां कहीं भी होती है। उसमें सत्ता पक्ष का पूरा पछ नजर आता है।
आज पूरे 11 दिन बीत जाने के बाद भी भारत के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री राज्यपाल सांसद विधायक किसी का इस धर्म संसद के मुस्लिम नरसंहार वाली धमकी पर किसी एक की प्रतिक्रिया नहीं आई ।
जिस समुदाय को निशाने पर लेकर यह धर्म संसद आयोजित की गई वह मुस्लिम समुदाय आज देश में अपने आप को असुरक्षित अकेला महसूस कर रहा है। अगर ऐसी धर्म संसद लगातार देश में होती रही तो देश की अखंडता को चोट पहुंचेगी और इसका सीधा-सीधा जिम्मेदार सत्ता पक्ष होगा।
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By: Mohammad Paras