पदम श्री विनोद दुआ नहीं रहे,पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के आलोचक रहे थे।

विनोद दुआ वरिष्ठ पत्रकार और उनकी पत्नी पद्मावती चुन्नी दुआ करो ना महामारी के दूसरी लहर के वक्त पॉजिटिव हो गए थे दोनों ही एक अस्पताल में भर्ती कराए गए और लंबी बीमारी के कारण जून में चीनी दुआ का देहांत हो गया और आज 4 दिसंबर 21 को हिंदी जगत के वरिष्ठ पत्रकार दुनिया को अलविदा कह गए।

 

बेटी मालिक दुआ इंस्टाग्राम पर पोस्ट लिखकर अवगत कराया कि उनके पिता नहीं रहे अब उनके माता पिता स्वर्ग में साथ घूमेंगे भोजन पका एंगे और संगीत का आनंद लेंगे और उनके निधन को लेकर सोशल मीडिया में भी संदेशों का तांता लगा रहा।

 

जन्म 11 मार्च 1954 को डेरा इस्माइल खान खैबर पख्तूनख्वा पाकिस्तान से आया एक बच्चा दिल्ली के शरणार्थी कॉलोनी में बढ़ा हुआ समान ने बैंक कर्मी का बेटा था।

 

विनोद दुआ अपने कॉलेज की पढ़ाई हंसराज कॉलेज से अंग्रेज़ी साहित्य में डिग्री प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय से साहित्य में मास्टर की डिग्री की उपाधि ली।

 

दूरदर्शन पर तस्वीरें हिंद 1997 से 98 विनोद दुआ का कार्यक्रम रहा, सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर चुनावी चुनौती मार्च 1998, ज़ी न्यूज़ पर इलेक्शन एलआईसी 1999, सहारा टीवी पर प्रतिदिन और परख 2000 से 2003, स्टार न्यूज़ पर कौन बनेगा मुख्यमंत्री 2003 और एनडीटीवी इंडिया पर जैका इंडिया का जैसे कई प्रोग्रामों को प्रजेंट किया।

 

उन्होंने 1985 से एंकरिंग शुरू की 1987 में टीवी टुडे से मुख्य निर्माता के रूप में शामिल हुए और देश की पहली वीडियो पत्रिका न्यूज़ ट्रैक का संपादन शुरू किया।

 

1996 में प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया और विनोद दुआ को भारत सरकार द्वारा 2008 में पत्रकारिता के लिए पदम श्री से सम्मानित किया गया।

 

वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने अपने कार्यक्रम मैं कहा था कि उनके एक दोस्त है खुशवंत सिंह जो कि कहा करते थे कि अपने देश में एक रिवाज बन गया है कि जब कोई व्यक्ति का देहांत हो जाता है तो उसकी बढ़ा चढ़ाकर तारीफ की जाती है हालांकि सही और गलत दोनों बताया जाना चाहिए.

 

विनोद दुआ वरिष्ठ पत्रकार रह चुके हैं उन्होंने अपने प्रोग्राम में कहा था कि अटल बिहारी वाजपेई जो भाजपा से भारत के पहले प्रधानमंत्री थे उन्होंने अपने विदेश मंत्री जसवंत सिंह को मसूद अजहर को लेकर कंधार भेजा था छोड़ने के लिए और 5 दिसंबर 1992 में विवादित भाषण दिया था.

 

वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने अटल बिहारी वाजपेई के बारे में यह तक कहा कि जब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान स्वतंत्रा सेनानी की मीटिंग चल रही थी तब इन्होंने अंग्रेजों को एक माफीनामा या कबूलनामा दिया था कि वह इस मीटिंग में शामिल नहीं थे।

 

अपने कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने कहा कि वाजपेई के परमाणु परीक्षण की वजह से पाकिस्तान को भी मौका मिला और उसने भी परमाणु परीक्षण किया जो कि उस वक्त और सूझबूझ उनके तरफ से दिखाएं जाना था।

 

गोधरा दंगे के दौरान जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस वक्त अटल बिहारी जब वहां पहुंचे उन्होंने कहा की आपको राज धर्म निभाना चाहिए तब पलटकर जवाब मिला वही तो कर रहे हैं साहब तो विनोद दुआ ने सवाल करते हुए कहा कि उस वक्त उन्हें कड़ा निर्णय लेते हुए मुख्यमंत्री पद से हटा देना चाहिए पर ऐसा हुआ नहीं।

 

वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ हमेशा से सही को सही और गलत को गलत बोलने के लिए जाने जाते हैं उन्होंने अपने कार्यक्रम में कहा था की अटल बिहारी वाजपेई जो देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे थे भले वह गांधीवादी के धर्मनिरपेक्षता के वह विरोध थे हिंदुत्व के चेहरा थे संघ के साथ में जाया करते थे पर एक उदारवादी व्यक्तित्व के आदमी थे वह सबको साथ लेकर चलना भी चाहते थे।

 

जून 2020 में विनोद दुआ पर एक कार्यक्रम को लेकर बीजेपी नेता अजय सामने शिकायत की जिसके वजह से विनोद दुआ पर आईपीसी के तहत राजद्रोह सेक्शन 124a सवार जन 712 सेक्शन 268 मानहानि सेक्शन 501 और सेक्शन 505 लगाए गए थे हाला के 1 साल बाद 6 जून 2021 को आखिरकार देश के सबसे बड़े अदालत सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ देशद्रोह के आरोप को खारिज कर दिया।

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