सुप्रीम कोर्ट ने आने वाले त्योहारों विशेषकर दीवाली में जलाएं जाने वाले पटाखों को लेकर एक बहुत बड़ा फैसला किया है। पीठ ने कई तरह की बातो को स्पष्ट किया है , जो इस प्रकार हैं –
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि हम किसी विशेष त्योहार या उत्सव के ख़िलाफ़ नहीं हैं, लेकिन हम उत्सव की आड़ में दूसरों को जीवन के अधिकार के साथ खेलने की अनुमति नहीं दे सकते.
हमने पटाखों पर 100 प्रतिशत रोक नहीं लगाई है. हर कोई जानता है कि पटाखों से होने वाले प्रदूषण के कारण दिल्ली के लोगों पर क्या बीत रही है.
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने स्पष्ट किया कि वे चाहते हैं कि न्यायालय के आदेशों का पूरी तरह से पालन किया जाए. जिम्मेदार अधिकारियो को जमीनी स्तर पर ये देखना होगा कि नियम कानून जो बनाये गए हैं लागु किये जा रहे है या नहीं।
पीठ ने कहा, ‘हम किसी विशेष त्योहार या उत्सव के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम उत्सव की आड़ में दूसरों को जीवन के अधिकार के साथ खेलने की अनुमति नहीं दे सकते.’
पीठ ने स्पष्ट किया की हम किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हैं, जिस तरह की सोच बनायीं या दिखाई जा रही हैं समाज में वो धरना गलत है।
हम किसी के मौलिक अधिकारों के रास्ते में नहीं आ सकते, न्यायालय ने कहा कि आनंद की आड़ में वह नागरिकों के अधिकारों के उल्लंघन की इजाजत नहीं दे सकता है।
न्यायालय ने कहा कि उन अधिकारियों को कुछ जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए, जिन्हें आदेश को जमीनी स्तर पर लागू करने का अधिकार दिया गया है. पीठ ने कहा कि आज भी पटाखे बाजार में खुलेआम मिल रहे हैं.
पीठ ने कहा, ‘हम संदेश देना चाहते हैं कि हम यहां पर लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हैं. हमने पटाखों पर सौ प्रतिशत रोक नहीं लगाई है. हर कोई जानता है कि दिल्ली के लोगों पर क्या बीत रही है (पटाखों से होने वाले प्रदूषण के कारण).’
By: Poonam Sharma
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