लखीमपुर हिंसा: अब तक क्या हुआ है, जानिए पूरा घटनाक्रमकहीं बीजेपी का चुनावी गणित ना बिगाड़ दे लखीमपुर-खीरी की घटना, रणनीति बनाने में जुट गए किसान संगठन

लखीमपुर ज़िला मुख्यालय से क़रीब 75 किलोमीट दूर नेपाल की सीमा से सटे तिकुनिया गाँव में हुई हिंसा और आगज़नी में अब तक आठ लोगों की मौत हो गई है. 

इनमें चार किसान और चार अन्य लोग शामिल हैं. चार अन्य लोगों में दो बीजेपी कार्यकर्ता और दो ड्राइवर हैं. इनके अलावा 12 से 15 लोग घायल भी हैं.उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को भड़की हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की कार ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया, जिससे 4 की मौत हो गई. वहीं, इसके बाद भड़की हिंसा में 4 लोग और मारे गए. इस पूरे बवाल के बाद सियासत भी तेज हो गई है. विपक्षी नेता केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का इस्तीफा मांग रहे हैं. लखीमपुर हिंसा में अब तक क्या-क्या हुआ? आइए जानते हैं…

कैसे शुरू हुआ विवाद?

रविवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तय कार्यक्रम के तहत लखीमपुर खीरी के दौरे पर थे. उन्हें रिसीव करने के लिए गाड़ियां जा रही थीं. ये गाड़ियां केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की बताई गईं. रास्ते में तिकुनिया इलाके में किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. इससे झड़प हो गई. बाद में ऐसा आरोप लगाया गया कि आशीष मिश्रा ने किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी, जिससे 4 लोगों की मौत हो गई. किसानों की मौत के बाद मामला बढ़ गया और हिंसा भड़क गई. हिंसा में बीजेपी नेता के ड्राइवर समेत चार लोगों की मौत हो गई. कुल मिलाकर इस हिंसा में अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है.

इस हिंसा में किस-किसकी मौत हुई?

1- रमन कश्यप ( स्थानीय पत्रकार)

2- दलजीत सिंह (32) पुत्र हरजीत सिंह- नापपारा, बहराइच (किसान)

3- गुरविंदर सिंह (20) पुत्र सत्यवीर सिंह- नानपारा, बहराइच (किसान)

4- लवप्रीत सिंह (20) पुत्र सतनाम सिंह- चौखडा फार्म मझगईं (किसान)

5- छत्र सिंह पुत्र अज्ञात (किसान)

6- शुभम मिश्र पुत्र विजय कुमार मिश्र, (बीजेपी नेता)

7- हरिओम मिश्र पुत्र परसेहरा, फरधान (अजय मिश्रा का ड्राइवर)

8- श्यामसुंदर पुत्र बालक राम सिंघहा, कलां सिंगाही (बीजेपी कार्यकर्ता)

हिंसा के बाद क्या हुआ?

इस हिंसा के बाद हालात न बिगड़ें, इसे ध्यान में रखते हुए इंटरनेट बंद कर दिया गया. वहीं, केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ तिकुनिया थाने में केस दर्ज करवाया गया है.

आरोपों पर क्या बोले मंत्री और उनका बेटा?

अपने ऊपर लगे इन आरोपों को केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे ने खारिज कर दिया है. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने आजतक से बातचीत में कहा कि कुछ लोगों ने काफिले पर हमला कर दिया था, जिससे ड्राइवर घायल हो गया. उन्होंने कहा कि हमारे तीन कार्यकर्ता और एक ड्राइवर की मौत हो गई है और गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया है. उनका कहना है कि वो भी इस मामले में केस दर्ज करवाएंगे.

वहीं, उनके बेटे आशीष मिश्रा ने दावा करते हुए कहा कि वो सुबह 9 बजे से बनवानीपुर में थे. उन्होंने कहा, हमारी 3 गाड़ियां एक कार्यक्रम के लिए उप-मुख्यमंत्री की अगवानी करने गई थीं. रास्ते में कुछ बदमाशों ने पथराव किया, कारों में आग लगा दी और हमारे 3-4 कार्यकर्ताओं को लाठी से पीटा. उन्होंने इस हिंसा की न्यायिक जांच की मांग भी की है.

योगी सरकार का क्या है कहना?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हिंसा को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. इस घटना के बाद सीएम योगी ने ट्वीट करते हुए कहा कि लखीमपुर खीरी में हुई ये घटना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि इसमें जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

विपक्ष का क्या है कहना?

इस पूरी घटना को लेकर विपक्ष भी हमलावर हो गया है. देर रात ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा लखनऊ पहुंचीं और यहां से लखीमपुर के लिए रवाना हो गईं. प्रियंका सोमवार तड़के लखीमपुर पहुंच भी गई थीं, लेकिन उन्हें हरगांव के पास हिरासत में ले लिया गया. उन्हें सीतापुर गेस्ट हाउस में ठहराया गया है. 

वहीं, सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी सुबह लखीमपुर खीरी जाने वाले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इसके बाद अखिलेश सड़क पर ही धरने पर बैठ गए. अखिलेश ने कहा कि ये सरकार किसानों पर जैसा जुल्म कर रही है, वैसा जुल्म तो अंग्रेज भी नहीं करते थे. उन्हों केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे की मांग की है.

इस दौरान लखनऊ में अखिलेश के धरनास्थल के नजदीक थाने के सामने ही पुलिस की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया. अखिलेश ने आरोप लगाया है कि ये गाड़ी पुलिस ने ही जलाई होगी.

वहीं लखीमपुर जा रहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को सीतापुर में हिरासत में लिया गया है.

राकेश टिकैत को भी रोका गया

किसान नेता राकेश टिकैत ने भी लखीमपुर की घटना के बाद वहां के लिए रात ही रवाना हो गए थे, लेकिन उनका काफिला भई पहले ही रोक लिया गया. टिकैत ने इससे पहले अपने बयान में कहा कि इस घटना ने सरकार के क्रूर और अलोकतांत्रिक चेहरे को एक बार फिर उजागर कर दिया है. सरकार भूल रही है कि अपने हक के लिए हम मुगलों और फिरंगियों के आगे भी नहीं झुके, किसान मर सकता है पर डरने वाला नहीं है. सरकार होश में आए और किसानों के हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी सुनिश्चित करे.

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके तीन मांगें की है.पहली मांग में किसानों ने अजय मिश्रा को मंत्री पद से बर्ख़ास्त करने को कहा है.

दूसरी मांग में केंद्रीय मंत्री के पुत्र को गिरफ़्तार करने को कहा है.

तीसरी मांग मारे गए लोगों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये का मुआवज़े देना के लिए कहा गया है.

चौथी मांग में कहा गया है कि मारे गए लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी दी जाए.

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि उनकी कमिटी ने यह फ़ैसला लिया है कि जब तक यह मांगें नहीं मानी जाएंगी तब तक मारे गए लोगों के शवों को लखीमपुर खीरी से नहीं उठाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि हर ज़िले की तहसील और मुख्यालयों में किसान प्रदर्शन के लिए तैयार हैं, अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे.

लखीमपुर खीरी में रविवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक कार्यक्रम के विरोध में प्रदर्शन हो रहे थे जिस दौरान यह घटना हुई. इस घटना में पांच लोगों की मौत हुई है.

प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि इस घटना के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे ज़िम्मेदार हैं जबकि केंद्रीय मंत्री का कहना है कि उनके बेटे प्रदर्शन स्थल पर ही नहीं थे.

लखीमपुर खीरी कांड के बाद लखनऊ पहुंचे ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमिन के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पूरी घटना को सोची समझी साजिश बताया। ओवैसी ने उन किसानों को न्याय दिलाने की मांग की, जिनकी जान लखीमपुर खीरी में गई है।

विधानसभा चुनाव से पहले इस घटना ने पार्टी के भीतर हलचल पैदा कर दी है.

अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक लखीमपुर खीरी की घटना ने यूपी बीजेपी के प्रमुख नेताओं को बैकफ़ुट पर धकेल दिया है. वे चाहते हैं कि ये मामला जैसे तैसे ख़त्म हो.

अख़बार से योगी सरकार के एक कैबिनेट मंत्री ने बात करते हुए कहा कि ‘रायता फैल गया है.’

तिकुनिया में इतने बड़े बवाल पर जिम्मेदार पूरी तरह से चुप्पी साध गए। जिन जिम्मेदारों को स्थिति स्पष्ट करनी थी उन्होंने फोन उठाने की बंद कर दिए। देर रात तक पत्रकार जिम्मेदारों से बात करने की कोशिश में लगे रहे लेकिन न तो डीएम ने किसी का फोन उठाया और ना ही एसपी ने फोन उठाकर स्थिति स्पष्ट की। यहां तक कि जिले में धारा 144 प्रभावी होने की बात भी मीडिया को नहीं बता सके। जिम्मेदारों की लापरवाही से दो दिनों तक अफवाहों का दौर चलता रहा।

लखीमपुर हिंसा मामले में प्रशासन की तरफ से मांगें मान लिए जाने के बाद बवाल थमता नजर आ रहा है। किसानों की अधिकांश मांगों को मान लिया गया लेकिन एक सवाल जो अधिकांश लोगों के मन में है कि आखिर इस प्रकार की हिंसा की जिम्मेदारी कौन लेगा। यही सवाल सुप्रीम कोर्ट ने भी पूछ लिया।

By ; Poonam Sharma

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