Samajwadi Bulletin पेज नंबर 45 पर Azam Khan के बारे मैं क्या छपा, मुद्दा उठाने वाले मुद्दा क्यों बन गए

आजम खान आज के वक्त में रामपुर से सांसद हैं पूरे उत्तर प्रदेश में ऐसा मुस्लिम चेहरा जिसे सभी वर्ग के लोग पसंद करते हैं लेकिन जिस नाम के आगे खान लग जाए वह कहीं ना कहीं कानूनी शिकंजे में फंसी जाता है चाहे उसके चाहने वाले कितने भी हो ऐसा मानना है आजम खान के समर्थकों का।

समाजवादी पार्टी के जीरो से शिखर तक पहुंचाने में जितना योगदान मुलायम सिंह यादव जी का है उतना ही आजम खान साहब का भी है यह बात खुद समाजवादी के लोग बोलते हैं कि मुलायम सिंह का नाम बगैर आजम खान अधूरा है।

आपको बता दी जाए जब 2015 बिहार इलेक्शन के दौरान जब लालू यादव जी ने मुलायम सिंह जी को बिहार में चुनाव लड़ने के लिए न्योता दिया था और महागठबंधन का अध्यक्ष बना दिया था तब किसी दबाव के संकेत को देखते हुए बीच में ही गठबंधन तोड़ और रिश्तेदारी के प्रवाह किए यूपी लौट गए लोगों का मानना था कि केंद्र में बैठे बीजेपी सरकार मोदी जी द्वारा जांच कराए जाते, इस बात का डर उन्हें सता रहा था खैर सच क्या है यह चर्चा का विषय है।

2019 में रामपुर से सांसद बने आजम खान जिस तरह से गरीबों की आवाज लोकसभा में बन रहे थे शायद यह बात विरोधियों को तो अच्छी ना लगती हो पर खान साहब इस बात को जानने में चूक गए के उनके अल्फाज और उनकी स्पीच भले जनता में पॉपुलर हो रहा हो पर हो सकता है उनके करीबी और पार्टी के लोगों को पसंद ना हो क्योंकि युवराज का चेहरा दबे यह कौन चाहेगा! ऐसा कुछ लोगों का मानना है पर यह भी चर्चा का विषय है।

उत्तर प्रदेश और पूरे भारत में पहचाने जाने वाले आजम खान और जगह-जगह उनके समर्थक दीवाने रामपुर के सांसद के ऊपर 2019 से पहले जहां एक केस भी नहीं था, वहां 80 मुकदमे लग गए पर कुछ लोगों का यह भी कहना है कि खान साहब को तो फसा लिया पर मुलायम सिंह और अखिलेश यादव जी को क्यों जाने दिया। खैर हो सकता है कि विरोधी पार्टियों द्वारा प्रोपेगेंडा हो के समाजवादी पार्टी के अंदर आपसी मतभेद कराएं पर सही क्या है यह चर्चा का विषय हो सकता है साफ तौर पर कुछ कह नहीं सकते।

अब आपको हम बता दें कि समाजवादी बुलेटन पेज नंबर 45 पर क्या छपा है।

क्या समाजवादी पार्टी आजम खान साहब का एक मुद्दा बनाना चाहती है मुस्लिम वोट के लिए या फिर सही मानव में आजम खान से प्यार है


लिखा है, आजम साहब से हो रहे बर्ताव पर जनता में रोष चुनावी मुद्दा बन रहा उत्पीड़न।

समाजवादी पार्टी के संस्थापकों में से एक वरिष्ठ नेता व रामपुर के सांसद मोहम्मद आजम खान साहब के खिलाफ भाजपा सरकार का मनमानी भरा रवैया विधानसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा बन रहा है।

आम लोग आजम साहब वह उनके परिजनों के साथ हो रहे सरकारी उत्पीड़न को भाजपा सरकार द्वारा सत्ता का बेजा इस्तेमाल किए जाने का विस्तार ही मान रहे हैं।

लोगों का कहना है कि एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार के प्रति सियासी बदले की भावना से की जा रही कार्रवाई नहीं मानी जा सकती क्योंकि सरकार का यह काम नहीं होता। लिहाजा लोग सरकार की मनमानी का जवाब चुनाव में वोट के जरिए देने का मन बना चुके हैं।

आजम साहब के प्रति सरकार के रवैया से यदि जनता के मन में नाराजगी है तो वहीं बीते 2 साल से तमाम प्रतिकूल हालातों में भी हौसला ना गांवाने के आजम खान साहब के व्यक्तित्व से समाजवादियों को खासी प्रेरणा भी मिल रही है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव कई मौके पर कह चुके हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं सांसद मोहम्मद आजम खान के साथ जो व्यवहार भाजपा सरकार कर रही है वह अनैतिक एवं अमानवीय है।

लोकतंत्र में सरकार का आचरण बिना राग उद्देश का होना चाहिए। भाजपा सरकार द्वारा समाजवादी पार्टी के नेताओं को अपमानित करने और यातना देने के लिए झूठे केस में फसाया जाता रहा है। भाजपा समझती है कि इससे समाजवादी पार्टी का मनोबल तोड़ा जा सकता है भाजपा इसमें कभी सफल नहीं हो सकेगी।

उल्लेखनीय है कि आजम साहब ने 10 को लोकतंत्र के लिए संघर्ष किया है आपातकाल में 2 वर्ष तक उन्होंने जेल की यातना सही वह 9 बार विधायक और 5 बार मंत्री और एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं।

इस समय वह लोकसभा के सदस्य हैं उन्होंने तालीम के क्षेत्र में मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय रामपुर में स्थापित कर ऐतिहासिक काम किया है।

समाजवादी पार्टी की सरकार में उन्होंने इलाहाबाद कुंभ के आयोजन को सफलतापूर्वक पूरी जिम्मेदारी से निभाया जिसकी प्रशंसा विदेशों तक में हुई थी।

कुंभ मेले में आए अखाड़ों के साधु संतों ने भी आजम साहब के कार्यों की प्रशंसा की थी उनकी उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है। लिहाजा शासन प्रशासन की इन हरकतों से श्री आजम खान व शानदार इतिहास नहीं धूल जाएगा जिसमें विधायक कई दशकों से रामपुर और आसपास की राजनीति का चेहरा बदल देने वाले नायक के तौर पर नजर आते हैं। ऐसी शख्सियत है जिन्होंने दशकों लोकतंत्र के लिए संघर्ष किया है आपातकाल में 2 वर्षों तक उन्होंने जेल की यातना सही है।

ऐसी शख्सियत के खिलाफ सत्तारूढ़ पार्टी के कहने पर पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही मनमानी कार्रवाई के खिलाफ समाजवादी पार्टी लगातार मुखर रही है। खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने उनकी गिरफ्तारी के मुद्दे पर लगातार सरकार को घेरा है। श्री अखिलेश यादव ने आजम साहब की रिहाई की मांग करते हुए रामपुर से लखनऊ तक चली साइकिल यात्रा की रामपुर में साइकिल चलाकर शुरुआत भी की थी। श्री अखिलेश यादव ने हमेशा कहा है कि समाजवादी पार्टी हर दुख दर्द में उनके व उनके परिवार के साथ खड़ी रहेगी।


आप समाजवादी बुलेटिन 45 नंबर को पढ़ेंगे तो समझ में आएगा की आजम खान के लिए दर्द कम और पार्टी के किसी एक युवा चेहरा को चमकाने की ज्यादा कोशिश की जा रही है क्योंकि आप इतिहास देखेंगे तो आजम खान नंबर दो के चेहरे बने रहे तब मुलायम सिंह यादव नंबर 1 के चेहरे थे और आज भी जो 5 बार मंत्री रहा हो 9 बार विधायक रहा हो राज्यसभा और लोकसभा सांसद रहा हो वह आज भी नंबर दो है और कुछ लोग बाईपास से आकर नंबर 1 की पोजीशन हासिल कर बैठे हैं।

पूर्वांचल की जनसभा जौनपुर में 20 जनवरी 2021 को जब असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम आजम खान से मिल सकते हैं तब 22 मार्च 2021 को अखिलेश यादव ने रामपुर से लखनऊ तक के लिए आजम खान के समर्थन में 350 किलोमीटर का साइकिल यात्रा का आयोजन किया। वरना उसके पहले सिर्फ लोग अंदाजा लगा रहे थे अखिलेश यादव कब बोलेंगे और कब जेल मिलने जाएंगे पर यह असर तब हुआ जब असद ओवैसी ने एक बयान दे दिया।

सबसे बड़ा सवाल आजम खान जो दूसरों के लिए मुद्दा उठाया करते थे आज उनकी पार्टी ने उनको अपने पार्टी का खुद एक मुद्दा बना दिया है इससे आप कितना सहमत हैं कमेंट में जरूर बताएं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान इस तरह की रिपोर्ट पढ़ने के लिए हमारे सोशल मीडिया को फॉलो जरूर करें।

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