अमेरिका के सैनिको के अफगानिस्तान से विदा होते ही अफगानिस्तान में तालिबानी शासन पूरी तरह से कायम हो गयी अब ये देखना है की भारत के लिए ये कितना अहम होसकता है।
अलकायदा के कश्मीर अजेंडे पर कैसे लगाम कसेगा तालिबान, जमीन पर उतरेगा भारत से किया वादा?
हमारे देश ने तालिबान को इशारो ही इशारो में ये बता दिया है कि कश्मीर से उसका कोई लेना-देंना नहीं है, यह भारत का आंतरिक मामला है और उस पर उसका ध्यान नहीं है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है क्योंकि तालिबान के गुजरे हुए कल को देखते हुए उसके बयान पर भरोसा करना मुश्किल है.अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान अब तक बेहद संयमित व्यवहार कर रहा है और जिस तरह से अपने यहां के लोगों के साथ नरमी बरते जाने की बात कह रहा है।
उसी तरह वह अपने पड़ोसी देशों के साथ पेश आने के आसार हैं. सूत्र बताते हैं कि तालिबान ने कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट किया है कि उनका ध्यान कश्मीर पर नहीं।
इस बीच अफगानिस्तान के हालात को लेकर चर्चा करने के लिए मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी की अहम बैठक बुलाई।
अफगानिस्तान में बदले हालात को देखते हुए एएनआई ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा चौकसी और बढ़ाई जाएगी हालांकि चीजें नियंत्रण में हैं अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के लौटने के बाद तालिबान ने हवा में धुआंधार गोलीबारी कर जीत का जश्न मनाया।
खबरों की मानें तो अब समूह का पूरा ध्यान नई सरकार के गठन पर है जिसके लिए लगातार बैठकें और बातचीत की जा रही है।
तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान का भारत और कश्मीर के प्रति क्या रुख होगा?
यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि तालिबान और पाकिस्तान के बीच करीबी संबंध हैं और पाकिस्तान का कश्मीर के प्रति रवैया जगजाहिर है।
कश्मीर में हस्तक्षेप नीति के खिलाफ
तालिबानी नेता अनस हक्कानी ने न्यूज 18 से बात करते हुए कश्मीर और भारत के प्रति तालिबान के रुख को स्पष्ट किया है।
हक्कानी ने कहा कि कश्मीर हमारे अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं है और इस मामले में दखल देना नीति के खिलाफ है। हम अपनी नीति के खिलाफ कैसे जा सकते हैं? ‘स्पष्ट है कि हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे।’
अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को लेकर हक्कानी ने कहा, ‘मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि अफगानिस्तान में सभी सुरक्षित हैं।’
भारत के साथ अच्छे संबंधों के लिए तैयार
भारत के साथ संबंधों के सवाल पर हक्कानी ने कहा कि हम भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई हमारे बारे में गलत सोचे।
भारत ने 20 साल तक हमारे दुश्मन की मदद की लेकिन हम सबकुछ भूलने के लिए और संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।
अफगानिस्तान में अधूरे पड़े भारतीय प्रोजेक्ट्स को लेकर तालिबानी नेता ने कहा कि हम आने वाले दिनों में सभी नीतियों को स्पष्ट करेंगे।
हम अफगानिस्तान के लोगों के लिए मदद चाहते हैं। हम भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का समर्थन चाहते हैं।हक्कानी नेटवर्क को मिल सकती है जगह
काबुल गुरुद्वारे पर 2020 में हुए हमले के लिए अमेरिका द्वारा हक्कानी नेटवर्क पर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए तालिबानी नेता ने कहा कि यह सिर्फ दुश्मन और मीडिया की ओर से फैलाया गया प्रोपेगेंडा है।
यह आरोप बिल्कुल गलत और झूठे हैं। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार में हक्कानी नेताओं को भी अहम भूमिका मिल सकती है।
बीते दिनों आईं तस्वीरों में कई बार तालिबानी और वरिष्ठ हक्कानी नेताओं को एक साथ देखा गया था। हक्कानी नेटवर्क के वरिष्ठ नेता काबुल में हैं और काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा हक्कानी नेटवर्क के हाथों में हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान का राज वापस आने के बाद खूंखार आतंकी संगठन अलकायदा ने अब दुनिया भर में इस्लामिक जमीन को कब्जाने की बात कही है।
अफगानिस्तान में 20 साल चली जंग के बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई है और अब अलकायदा के इस बयान ने लोकतांत्रिक दुनिया को फिर से सकते में ला दिया है।
अलकायदा ने अपने बयान के आखिरी पैराग्राफ में फलस्तीन, सीरिया, सोमालिया, यमन और कश्मीर को इस्लाम के दुश्मनों से आजाद कराने की बात कही है।
एक तरफ अलकायदा ने अफगानिस्तान में शरीयत का शासन लागू करने की बात कही है तो वहीं दुनिया भर में उम्माह के लिए जिहाद छेड़ने की बात कही है।
By: Pooja Sharma