अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर गांधी जी के भस्म पात्र के दर्शन के लिए उमड़ी हज़ारो लोगो की भीड़, बापू के अनुरोध से प्रसन्न होकर छात्रों ने जलाई विदेशी वस्त्रों की होली।
British Colonial rule के खिलाफ Indian Independence movement के सबसे बड़े नेता मोहनदास करमचंद्र गाँधी ने Non Violent Civil Disobedience को नियोजित किया। जो भारत को स्वतंत्रता की ओर ले गया और नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया।
30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश की आंखों में आंसू आए थे और उनके अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ों लोग अलीगढ़ से दिल्ली गए।
अब्दुल मजीद ख्वाजा जो कि AMU के पूर्व छात्र है उन्होंने दिल्ली में बापू के अंतिम संस्कार से पहले सर्वधर्म सभा में कुरान का पाठ किया था। अब्दुल मजीद ख्वाजा ने 1920 में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल को AMU का दर्जा मिलने के बाद वहां पर, लॉ डिपार्टमेंट में पढ़ाया भी और इन्होंने इसी कॉलेज से अपनी पढ़ाई की थी। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में भी इन्होंने गांधी जी का साथ दिया था।
अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर गांधी जी के भस्म पात्र के दर्शन के लिए वहां पर, हजारों लोगों की भीड़ पहुंची थी। लेफ्टिनेंट चिंतामणि ने अपनी किताब में लिखा हैं की, जब रेलवे ट्रैक पर ट्रेन रुकी तो भस्म पात्र पर लोगों ने फूलों की वर्षा कर श्रद्धांजलि दी।
गांधीजी तीन बार अलीगढ़ गए थे। पहली बार वह 1916 में MAO कॉलेज गए और आमिर मुस्तफा शेरवानी के घर ठहरे। 12 अक्टूबर 1920 में गांधीजी दूसरी बार अलीगढ़ गए उस दौरान वह AMU भी गए थे, तब छात्रों ने बापू को छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी थी।
उस समय बापू हबीब बाग में रुके जहां अब्दुल मजीद ख्वाजा का मकान था। तीसरी बार बापू जी 5 नवंबर 1929 को अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ गए और उन्होंने वहां के छात्रों से खादी के इस्तेमाल के लिए अनुरोध किया।
गांधी जी के अनुरोध से प्रसन्न होकर वहां के छात्रों ने विदेशी वस्त्रों की होली जलाई थी। मोहम्मद हरसत मोहानी जो कि एएमयू के पूर्व छात्र थे उन्होंने रसलगंज में खादी भंडार खोलकर स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया। गांधीजी द्वारा अब्दुल मजीद ख्वाजा और छात्र संघ के पूर्व सचिव अब्दुल बारी को लिखे गए कई पत्र AMU की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में संरक्षित है।
By:- Kriti Raj Sinha