मुजफ्फरनगर दंगों के कारण और उसके परिणाम के जिम्मेदार कौन?

मुजफ्फरनगर में 27 अगस्त 2013 को शाहनवाज और सचिन गौरव की हत्या कर दी गई थी यह दोनों व्यक्तिगत हत्याओं को सत्ता प्राप्त करने के लिए धार्मिक तथा राजनीतिक सत्ता ने धार्मिक रंग देकर अपने अपने जातिवाद के लिए धार्मिक उन्माद भड़काया

 

 

2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के 8 साल हो गए परंतु विडंबना तो यह है कि केवल 11 लोग अब तक आरोपी सिद्ध हुए आंकड़े बताते हैं कि इस दंगे के परिणाम स्वरुप 60 मौतें हुई थी तथा 40000 लोग विस्थापित हुए थे! मुजफ्फरनगर दंगों के 77मामलों को उत्तर प्रदेश सरकार ने बिना कारण बताए वापस लिया।

 

उत्तर प्रदेश सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित 77 मामलों को बिना कोई कारण बताए वापस ले लिया है।

अपनी रिपोर्ट में, श्री हंसारिया ने कहा कि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े 77 मामले, जिसके लिए अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा हो सकती थी, उत्तर प्रदेश सरकार यानी योगी सरकार ने बिना कोई कारण बताए वापस ले लिया।

 

आपको बता दें हिंद राष्ट्र को इंटरव्यू देते हुए परचम पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सैयद अली अमीर ने कहा था कि आर एस एस ने अन्य पार्टियों के साथ मिलकर मुसलमानों को राजनीतिक अछूत बना दिया गया है।

 

और उन्होंने इंटरव्यू में यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी मुसलमानों को अपने तरफ करने के लिए मुजफ्फरनगर में जो कुछ होने दिया वह नहीं होना चाहिए सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि मुसलमान एक तरफा समाजवादी से जुड़े और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल खत्म हो और जाट अकेला रह जाए।

 

और जाट का भरपूर साथ दिया भारतीय जनता पार्टी ने जिसकी वजह से वह केंद्र में बहुमत के साथ आएं और कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भाजपा और समाजवादी पार्टी ने मिलकर राष्ट्रीय लोकदल को खत्म कर दिया लेकिन किसान आंदोलन के दौरान फिर से जाट मुसलमान एक हुए और फिर से सद्भावना बहाल हुई जिसके वैसे राष्ट्रीय लोकदल फिर से मजबूत हो गई।

 

जिस दौर में मुजफ्फरनगर दंगा हुआ था ,उस वक्त केंद्र में और राज्य में सरकार किसकी थी और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी किन हाथों में थी यह किसी से छिपा नहीं है।

 

और उन्होंने यह भी कहा की आजादी के वक्त भी जाट और मुसलमानों में कोई दंगा नहीं हुआ पर राजनीतिक साजिशों ने मुजफ्फरनगर दंगा तोहफे में दिया।

डर दिखा कर एक दूसरे का सत्ता में कैसे बना जाए यह बीते कुछ सालों में गौर करेंगे तो उसकी कई झलकियां देखने को मिल जाएंगी।

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Mohammad Sajid Ali

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