अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर तारीख मंसुर को भाजपा द्वारा विधान परिषद में एमएलसी बनाए जाने पर कुछ छात्र विरोध कर रहे हैं जिस पर पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष मोहम्मद नदीम अंसारी ने दे डाली सलाह।
प्रोफेसर तारीक मंसूर ने 17 मई 2017 को पांच साल की अवधि के लिए कुलपति के रूप में पदभार ग्रहण किया था. उनका कार्यकाल पिछले साल मई में समाप्त होना था लेकिन महामारी से उत्पन्न असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया था.एएमयू VC प्रोफेसर तारिक मंसूर राज्य विधान परिषद में राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी और राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष मोहसिन रजा के बाद बीजेपी के तीसरे मुस्लिम सदस्य होंगे.जानकारी के मुताबिक बता दें कि निर्वाचन अनुभाग से जारी इस अधिसूचना में कहा गया है कि राज्यपाल ने विधान परिषद की रिक्तियों में छह व्यक्तियों को उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया है. जारी अधिसूचना के मुताबिक रजनीकांत माहेश्वरी, साकेत मिश्रा, लालजी निर्मल, तारिक मंसूर, रामसूरत राजभर और हंसराज विश्वकर्मा को मनोनीत किया गया है.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर तारीक मंसुर भाजपा कोटे से बनें एमएलसी।
AMU कुलपति प्रोफ़ेसर तारीक मंसूर के जाने के बाद छात्रों का एक तबका खुशी मना रहा है और आरोप लगा रहा है इस पर एएमयू छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष मोहम्मद नदीम अंसारी का कहना है कथित छात्र नेता उस वक्त कहां थे जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति के तौर पर प्रोफ़ेसर तारीख मंसुर थे।एएमयू के कुछ छात्र नेता का कहना है भाजपा द्वारा विधान परिषद के लिए नाम भेजा गया इस बात का उन्हें फल मिला है जो आज तक r.s.s. के बड़े-बड़े नेताओं से मिलना जुलना बढ़ा रहे थे और भाजपा को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रमोट कर रहे थे।छात्रों का कहना है नागरिकता कानून के दौरान जिस तरीके से वाइस चांसलर के कहने पर पुलिस का इस्तेमाल हुआ और छात्रों के साथ जानमाल का नुकसान हुआ इसके लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति तारीक मंसुर को याद रखा जाएगा।एएमयू कुलपति का जिस तरीके से सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के जरिए विरोध हो रहा है उस पर छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष मोहम्मद नदीम अंसारी का कहना है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति पहले दिन से भाजपा के नेताओं से मिलजुल रहे थे और उनका नाता संघ परिवार से था यह किसी से छुपा भी नहीं था फिर उनका विरोध तब क्यों नहीं हुआ तब लोग उनके खिलाफ मार्च क्यों नहीं निकाले यह क्या हुआ कि कोई अपने निजी कारण से एक समय पूरा करके नई राजनीति की ओर बढ़ रहा है और आप उसका विरोध कर रहे हो आखिर यह क्यों और किसके इशारे पर किया जा रहा है।पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष नदीम अंसारी का कहना है जब कुलपति एक्सटेंशन बढ़ा दिया गया था, तभी कथित तौर पर जमीर परस्त लोग आकर विरोध कर सकते थे पर ऐसा हुआ नहीं इससे पता चलता है कि जो जा चुका है उसके बारे में चर्चा करके आने वाले कुलपति के ऊपर से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है।
पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष नदीम अंसारी ने कहा विरोध जरूरी है और हमने भी किया है बेहतर तो तब है कि आप विरोध तब करते जब ऐसे कई मौके आए थे और करनी चाहिए थी पर एक बात तो यह है कि हर किसी को अपनी पड़ी है और यहां विरोध में सिर्फ अपने लिए किया जा रहा है ताकि लोग जान जाए कि हां हम लोग भी विरोध कर रहे थे पर उस विरोध का फायदा किया जिसका कार्यकाल पूरा हो चुका हो।
मोहम्मद नदीम अंसारी ने आमजन छात्राओं से निवेदन किया है कि आप इस बात पर चर्चा करें कि आपका आने वाला कुलपति विशेष पार्टी और संगठन प्रेरित ना हो और छात्र हित और एएमयू बिरादरी हित में सोचें पर जाते हुए कुलपति के आलोचना करने में वक्त बर्बाद करने से बेहतर है आने वाले कुलपति पर चर्चा होनी चाहिए।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारीक मंसुर अपने कार्यकाल से कुछ ज्यादा वक्त बिता कर अपनी नई राजनीति पारी की शुरुआत कर रहे हैं इस पर तो सब कोई आलोचना कर रहा है और शायद एक हद तक सही भी है पर बेहतर तो तब है कि उस पर गौर किया जाए जो सोशल मीडिया पर और कई जगहों से नाम चर्चा में है क्या वह संघ कार्यालय और भाजपा कार्यालय पर दर-दर नहीं भटक रहे हैं क्या वह जी हजूरी नहीं कर रहे हैं तो बेहतर है कि छात्रों को आने वाले कुलपति के लिए चल रहे चर्चे वाले नामों पर ध्यान देना चाहिए उनके रवैया पर देना चाहिए कि वह किन किन कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं अगर यही हाल रहा तो मेरा यह मानना है कोई पूर्व अधिकारी इस यूनिवर्सिटी की अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति के तौर पर कार्यभार संभाले क्योंकि जो नाम चर्चा में चल रहे हैं और जिसके जाने के बाद जिसका नाम चर्चा में है सबका पता एक ही है, छात्रों को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए।