पहली तस्वीर गांधी जी के क़त्ल के तीन दिन पहले की। दंगाइयों ने महरौली में हज़रत बख्तियार काकी रहमतुल्लाह एलैह के दरगाह में तोड़ फोड़ की और एक हिस्से में आग लगा दी थी। डर की वजह से लाखों मुसलमान पलायन कर रहे थे गांधी जी उन्हें समझाने पहुचे थे। अपनी ज़मीन अपना घर छोड़कर कहीं ना जाएं सबकुछ ठीक हो जाएगा।
लेकिन कुछ भी ठीक नही हुआ। ना तो महरौली में मुसलमान रहे और ना ही गांधी जी तीन दिन बाद 30 जनवरी 1948 को गांधी जी का क़त्ल कर दिया गया।
हिंदूवादी संगठन हमेशा से आतंकी गोडसे का बचाव करते आए हैं तर्क देते है की गांधी ने देश का बंटवारा कराया था इसलिए गोडसे ने मारा। इनसे कोई पूछे की 1946 और 1944 में गोडसे ने गांधी पर चाकू से जानलेवा हमला किया तब कौन सा बंटवारा हुआ था?
हत्या के बाद गृह मंत्री सरदार पटेल ने गोलवलकर को लिखे एक पत्र में साफ तौर पर कहा था कि ‘उनके सभी भाषण सांप्रदायिक जहर से भरे थे। इस जहर के परिणामस्वरुप देश को गांधीजी के प्राणों की क्षति उठानी पड़ी और कुछ हिंदूवादी संगठन के लोगों ने गांधीजी की मृत्यु के बाद खुशी जाहिर की और मिठाइयां बांटीं।
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