महिला और राजनीतिक सक्रियता 

महिलाओं को राजनीति में मौके मिल नहीं रहें या वो इसमें अपनी भागीदारी दे नहीं रही?  

महिलाओं की राजनीति में भागीदारी सिर्फ़ इसलिए ज़रूरी नहीं है कि आबादी में उनकी हिस्सेदारी लगभग आधी है, या इसलिए की आज के दौर में वो किसी भी काम में, क्षेत्र में पीछे है, लेकिन यह इसलिए भी कि उनका नज़रिया अलग होता है, और इस नज़रिए की समाज को ज़रूरत है। उत्तराखण्ड की महिला और बाल विकास मंत्री वीना महाराणा बताती हैं कि राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी समाज को ज़्यादा संवेदनशील बनाती है और यह एक तरह से बराबरी भी कायम करती है। सही रूप से लोकतंत्र भी तभी कायम हो सकता है जब समाज के हर हिस्से को बराबर प्रतिनिधित्व मिले। मिसाल के तौर पर सीपीएम पोलित ब्यूरो की पहली महिला सदस्य, वृन्दा करात बताती हैं कि भारत में महिलाओं को पार्टियों की तरफ़ से चुनाव लड़ने के लिए टिकिट मिलना ही मुश्किल होता है। तो वे उम्मीदवार ही नही बन पाती हैं। इसलिए वे मानती हैं कि सकारात्मक कदम उठाने के साथ साथ महिलाओं को सहयोग देना भी ज़रूरी है। 

 

चुनाव प्रणाली में बदलाव:  

भारतीय संविधान में 73वें और 74वें संशोधन द्वारा महिलाओं के लिये स्थानीय निकाय की एक-तिहाई सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है लेकिन राजनीति में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये अन्य प्रयास किये जाने की अभी भी बहुत आवश्यकता है। महिलाओं को लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में 33% आरक्षण प्रदान करने संबंधी महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल पुरःस्थापित एवं पारित किये जाने की आवश्यकता है। यह कदम महिला सांसदों की संख्या में वृद्धि के संबंध में कोई ठोस आश्वासन प्रदान नहीं करता है किंतु राजनीति में महिलाओं की पर्याप्त संख्या सुनिश्चित करने के लिये यह ठोस प्रयास जरूर हो सकता है। 

 

महिलाओं के विकास हेतु माहौल प्रदान करना: 

 

महिलाओं को शिक्षा देने तथा सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिये जो सुधार आन्दोलन शुरू हुआ उससे समाज में एक नयी जागरूकता पैदा हुई है। शैक्षणिक गतिशीलता से पारिवारिक जीवन में परिवर्तन हुआ है। गाँधी जी ने कहा था कि एक लड़की की शिक्षा एक लड़के की शिक्षा की उपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण है क्यों लड़के को शिक्षित करने पर वह अकेला शिक्षित होता है किन्तु एक लड़की की शिक्षा से पूरा परिवार शिक्षित हो जाता है। शिक्षा ही वह कुंजी है जो जीवन के वह सभी द्वार खोल देती है। शिक्षित महिलाओं को राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय होने में बहुत मदद मिली। महिलाएएं अपनी स्थिति व अपने अधिकारों के विषय में सचेत होने लगी हैं, आज देखने में आया है कि महिलाओं ने स्वयं के अनुभव के आधार पर, अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के आधार पर अपने लिए नई मंजिलें, नये रास्तों का निर्माण किया है। 

 

 

स्वामी विवेकानन्द का मानना है — “कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति का सर्वोत्तम थर्मामीटर है, वहाँ की महिलाओं की स्थिति।”  

ऐसा मेरा मानना है कि हमें महिलाओं को ऐसी स्थिति में पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए, जहाँ वे अपनी समस्याओं को अपने ढंग से ख़ुद सुलझा सकें। हमारी भूमिका महिलाओं की ज़िंदगी में उनका उद्धार करने वाले की न होकर उनका साथी बनने और सहयोगी की होनी चाहिए। क्योंकि भारत की महिला इतनी सक्षम है कि वे अपनी समस्याओं को ख़ुद सुलझा सकें। कमी अगर कहीं है तो बस इस बात की, हम एक समाज के तौर पर उनकी क़ाबलियत पर भरोसा करना सीखें। ऐसा करके ही हम भारत को उन्नति के रास्ते पर ले जा पाएंगे। वर्तमान केंद्र सरकार ने भारतीय राजनैतिक परिवेश में थोड़ा बदलाव कर फ़िलहाल इस वक्त़ जो 78 महिला सांसद चुन कर आई हैं उन्हें देश की अन्य महिलाओं कि आवाज को संसद में मज़बूती से उठाना चाहिए। इसके साथ ही सालों से सदन में जो महिला आरक्षण बिल लंबित है उसको भी पारित कराने की कोशिश करनी चाहिए। यह देश कि एक बड़े नागरिक वर्ग के साथ न्याय होगा ही साथ ही भारतीय लोकतंत्र को और मज़बूती प्रदान करेगा जो देश और समाज सभी के हित में होगा। 

 

अधिकार अपना जानती, अपनी डोर खुद थामती 

अपमान कभी ये न सहती, है आचरण से स्वाभिमानी।।” 

 

By:Tanwi Mishra 

Current News और रोचक खबर पढ़ने के लिए hindrashtra के सोशल मीडिया को फॉलो करें और हम से जुड़े और अपना फीडबैक वहां जरूर दें। 

Open chat
1
हमसे जुड़ें:
अपने जिला से पत्रकारिता करने हेतु जुड़े।
WhatsApp: 099273 73310
दिए गए व्हाट्सएप नंबर पर अपनी डिटेल्स भेजें।
खबर एवं प्रेस विज्ञप्ति और विज्ञापन भेजें।
hindrashtra@outlook.com
Website: www.hindrashtra.com
Download hindrashtra android App from Google Play Store