विश्व पर्यावरण दिवस है. गर्म हो रही पृथ्वी के जो हिस्से क्लाइमेट चेंज के सबसे नाटकीय असर से गुजर रहे हैं, उनमें ध्रुवीय क्षेत्र भी शामिल है. पृथ्वी के ऊपरी और निचले सिरे पर सदियों से जमे इलाकों में बहुत तेजी से तब्दीली आ रही है.
उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव हमारे भविष्य की झलक दिखा रहे हैं. 2022 में आर्कटिक और अंटार्कटिक, दोनों जगहों पर तापमान रिकॉर्ड स्तर पर ऊंचा उठा. अंटार्कटिका के कॉनकॉर्डिया स्टेशन पर तापमान माइनस 11.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. यह मौसम के सामान्य औसत से 40 डिग्री ज्यादा था.
ध्रुवीय क्षेत्र के जिक्र से लोगों को पोलर बीअर याद आता है. पोलर बीअर उन प्रजातियों में से है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं. पिघलती बर्फ और गर्म हो रही आबोहवा से ना केवल इस प्रजाति का आवास छिन रहा है, बल्कि उनके आगे खाने का भी संकट है. उनका मुख्य आहार सील हैं.
बर्फ की मोटी परत की छेदों से सील सांस लेते हैं. पोलर बीअर सूंघते हुए इन ब्रीदिंग होल्स को खोजते हैं और वहां इंतजार करते हैं. जैसे ही सील पानी से बाहर दिखते हैं, पोलर बीअर उन्हें पकड़ लेते हैं. लेकिन पानी में सील अपनी तेज रफ्तार से पोलर बीअर को छका देते हैं. इसीलिए जमी हुई बर्फ की परत पोलर बीअर के लिए बहुत जरूरी है.
गर्म आबोहवा, गर्मियों का लंबा मौसम और तेजी से पिघलती बर्फ के कारण पोलर बीअर को पर्याप्त खाना नहीं मिल पा रहा है. भूखे पोलर बीअर खाने की तलाश में अपने कुदरती आवास से बाहर निकलकर इंसानी बसाहटों तक पहुंच रहे हैं. अनुमान है कि अगर जलवायु परिवर्तन का यही हाल रहा, तो 2050 तक इस प्रजाति की संख्या में भारी कमी आ जाएगी.
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