पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा एएमयू जवाहरलाल मेडिकल कॉलेज, का इतिहास जानकर हो जाएंगे हैरान

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक़ मंसूर ने एक समारोह में यूनिवर्सिटी हेल्थ सर्विस के मुख्या स्वस्थ्य अधिकारी डॉ शारिक अकील द्वारा लिखित पुस्तक ‘जेएनएमसी, एएमयू, अलीगढ़ – ए ड्रीम दैट केम ट्रू’ का विमोचन किया।
डॉ अकील की पुस्तक जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के पांच दशकों से अधिक के आकर्षक इतिहास का वर्णन करती है जिसने जेएनएमसी को एक प्रसिद्ध संस्थान के रूप में आकार दिया। इस पुस्तक में विशिष्ट शिक्षकों की कहानियां और लोकप्रिय छात्रों के किस्से भी शामिल हैं।


पुस्तक के लेखक, डॉ शारिक अकील ने कहा कि एएमयू में एक मेडिकल कॉलेज शुरू करने का मिशन देश के इतिहास में एक नया अध्याय था और यह महसूस किया जा रहा था कि मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए प्रेम के साथ शुरू किये गए निरंतर संघर्ष को एक दस्तावेज़ी रूप प्रदान करने की जरूरत है और आखिरकार अब संभव हो पाया जब कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने मुझे इस पुस्तक को लिखने का काम सौंपा।

उन्होंने कहा कि मैंने प्रारंभिक दौर के शिक्षकों की 80 से अधिक असाधारण तस्वीरें एकत्र कीं और 1960 के दशक से लेकर आज तक के शिक्षकों और अकादमिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में उपलब्धि प्राप्त करने वाले विशिष्ट पूर्व छात्रों के बारे में जानकारी जुटाई जिसका नतीजा यह किताब है, और मुझे उम्मीद है कि दुनिया भर में फैले एएमयू बिरादरी के सदस्य इसे पढ़ना पसंद करेंगे।
उन्होंने कहा कि यह जीवित कौमों की पहचान है कि वे अपने इतिहास का दस्तावेजीकरण करते हैं। यह पुस्तक छात्रों की नई पीढ़ी को उनकी मातृसंस्था के गौरवशाली अतीत से परिचित कराएगी।

पुस्तक विमोचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए, एएमयू के कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि महामारी फैलने के कारण इस पुस्तक के विमोचन में एक वर्ष की देरी हुई। लेकिन, शुक्र है कि हम आज यहां अच्छे स्वास्थ्य के साथ इस समारोह के गवाह बन रहे हैं।
उनहोंने कहा कि इतिहास और उसके दस्तावेज़ीकरण का अत्यधिक महत्व है और विश्वविद्यालय के प्रकाशन विभाग द्वारा जारी अन्य पुस्तकों की तरह; यह पुस्तक हमें हमारे गौरवशाली अतीत का विवरण भी प्रदान करेगी।

इस पुस्तक में लेखक ने सभी छात्र बैचों की जानकारी को सावधानीपूर्वक लिखा है, जिस तारीख को विभिन्न सुविधाएं शुरू हुईं और जिन सत्रों में विभिन्न स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू हुए, उनका भी उल्लेख है।


उन्होंने आगे कहा कि यह पुस्तक हमें बताती है कि कैसे जेएनएमसी ने एक अलग मेडिकल कॉलेज की इमारत में जाने से पहले जैव रसायन विभाग के पुराने भवन में कार्य शुरू किया।
उनहोंने कहा कि ऐसी पुस्तकों के प्रकाशन द्वारा विश्वविद्यालय का प्रकाशन विभाग प्रशंसनीय कार्य कर रहा है। मुझे खुशी है कि हमारी किताबें अब ऑनलाइन खरीद के लिए उपलब्ध हैं और मौलाना आजाद पुस्तकालय और सर सैयद अकादमी दोनों में संरक्षित दस्तावेजों और पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण का काम सफलतापूर्वक चल रहा है।
के ए निजामी कुरानिक स्टडीज सेंटर के निदेशक प्रोफेसर अब्दुर रहीम किदवई ने कहा कि डॉ शारिक अकील की किताब एएमयू बिरादरी के सकारात्मक दृष्टिकोण, उनके लचीलेपन और राष्ट्र निर्माण में एक हितधारक के रूप में उनकी भूमिका का प्रमाण है। अपनी स्थापना के बाद से, जेएनएमसी ने संकट में फंसे लाखों लोगों की मदद की है।
फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के डीन, प्रोफेसर राकेश भार्गव ने हर वर्ष पुस्तक के नए संस्करणों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह पुस्तक हमें यह दिखती है कि कैसे जेएनएमसी ने निम्न आर्थिक स्तर के रोगियों को सर्वाेत्तम स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करके इस क्षेत्र में परिदृश्य को बदल दिया है।
जेएनएमसी के प्रिंसिपल, प्रोफेसर शाहिद ए सिद्दीकी ने जोर देकर कहा कि संस्थाएं रातोंरात नहीं बनती हैं और उन्हें किताबों में संकलित करने के लिए ऐतिहासिक रिकॉर्ड रखना आसान काम नहीं है।
स्वागत भाषण में, प्रकाशन विभाग के निदेशक, प्रोफेसर अली मोहम्मद नकवी ने बताया कि महामारी फैलने के बावजूद; पिछले दो वर्षों में बहुत से उपयोगी पुस्तकें प्रकाशित कि गयी हैं और प्रकाशन विभाग के नए शीर्षकों का विमोचन और एएमयू में अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम हुए हैं जिनमें प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी का ऑनलाइन भाषण, विभिन्न संकायों और विभागों की उपलब्धियों पर संगोष्ठी और ऑनलाइन बिक्री के लिए पुस्तकों की सूचीबद्धता शामिल हैं ।
प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर ज़हरा मोहसिन और सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद अतहर अंसारी ने पुस्तक की समीक्षा की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे इस पुस्तक ने उन्हें जेएनएमसी से जुडी जीवन भर की यादों को फिर से जीवित कर दिया है।
यूजीसी एचआरडी सेंटर की निदेशक, डॉ फायजा अब्बासी ने कार्यक्रम का संचालन किया और डॉ मोहम्मद शाहिद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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