Amu Acting VC के एक Notice से भड़क उठा Alig बिरादरी

AMU VC News : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर ने कोरोना का बहाना लेते हुए अगले कुलपति की प्रक्रिया पूरे करने के लिए एक साल अतिरिक्त, सरकार से मांगा जो उन्हें दिया भी गया लेकिन उसके बाद भी नए कुलपति की प्रक्रिया पूरी किए बिना तारिक मंसूर रातों-रात विश्वविद्यालय को उसके हाल पर छोड़कर भाग गए।

उसके बाद कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर गुलरेज को चार्ज मिले तकरीबन 6 महीने हो चुके हैं मगर उसके बाद भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नए कुलपति के इलेक्शन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है और एग्जीक्यूटिव काउंसिल और यूनिवर्सिटी कोर्ट की ज्यादातर सीटें भी खाली पड़ी हैं, उनका भी इलेक्शन अभी तक नहीं हुआ है।

इन सब चीज़ों से विश्वविद्यालय परिसर में पहले ही अफवाहें गर्दिश कर रही थी के कार्यवाहक कुलपति के एक और गैर संवैधानिक कार्य ने आग में घी डालने का काम करते हुए पूरी अलीग बिरादरी को भड़का दिया।

AMU Acting VC कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर गुलरेज ने विश्वविद्यालय में परमानेंट अपॉइंटमेंट करने के लिए सलेक्शन कमेटी का नोटिस निकाल दिया जिस पर पूरी अलीग बिरादरी भड़क उठी, सबका कहना है कि यह सिलेक्शन कमिटी पूर्ण रूप से असंवैधानिक और गैरकानूनी है।

ज्ञात रहे की 9 अक्टूबर 2014 को एचआरडी मिनिस्ट्री की तरफ से एक लेटर विश्वविद्यालय को आया था जिसमें यह कहा गया था कि Acting VC AMU कार्यवाहक कुलपति यूनिवर्सिटी के स्टेट्यूट्स को नहीं बदल सकता, ना ही नए ऑर्डिनेंस ला सकता है, ना ही उनमें कोई बदलाव कर सकता है और इसके साथ-साथ टीचिंग और नॉन टीचिंग के परमानेंट अपॉइंटमेंट भी नहीं कर सकता, ना ही कोई नई पोस्ट लागू कर सकता है। इस पत्र को 22 मई 2015 में होने वाली एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में सहमति मिलने के बाद पारित किया गया और पारित करके यूनिवर्सिटी की सबसे बड़ी गवर्निंग बॉडी यूनिवर्सिटी कोर्ट को भेज दिया गया। उसके बाद यूनिवर्सिटी कोर्ट की 10 सितंबर 2016 में होने वाली स्पेशल मीटिंग के अंदर इस पत्र को सर्व सहमति से पारित कर दिया गया। इसके बाद यह पत्र यूनिवर्सिटी एक्ट के स्टेट्यूटस 2(7) में ऐड होकर अमुवी एक्ट का हिस्सा बन गया, जो आज तक लागू है और इस पत्र के हिसाब से कार्यवाहक कुलपति को परमानेंट अपॉइंटमेंट करने की पावर आज भी नहीं है।

Aligarh Muslim University Acting Vice Chancellor कार्यवाहक कुलपति ने कुलपति कार्यालय का काम काज संभालने के कुछ दिन बाद ही एचआरडी मिनिस्ट्री को पत्र लिखकर परमानेंट अपॉइंटमेंट करने की इजाजत मांगी थी, जिसके जवाब में 28 अगस्त को पत्र भेजकर उनको यह पावर दी गई। लेकिन यहां गौर करने की बात यह है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मिनिस्ट्री के पत्र को सीधे तौर पर स्वीकृत करके लागू नहीं किया जा सकता, जब तक वह यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल और कोर्ट से पारित होकर एक्ट का हिस्सा न बन जाए, इसलिए इस पत्र के आ जाने के बाद भी परमानेंट अपॉइंटमेंट करने की कार्यवाहक कुलपति को कोई पावर नहीं है।

इस पूरे प्रकरण को छात्रों ने पूर्ण रूप से AMU Act का उल्लंघन कहा है। छात्र AMU ACT बचाने की तैयारी शुरू करने की बात करने लगे हैं और इसके लिए आज दोपहर 1:00 बजे छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल कार्यकारी कुलपति से मिलने उनके दफ्तर पहुंचा जिस पर प्रॉक्टर भी वहां पहुंचे और उन्होंने बताया कि कुलपति अलीगढ़ से बाहर कुछ देर पहले ही चले गए हैं इसलिए मिल नहीं पाएंगे।

छात्रों की माने तो छात्रों ने AMU Proctor प्रॉक्टर वसीम अहमद से इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए कि आप कानून के प्रोफेसर हैं तो आप बताएं यह सही हो रहा है या गलत? तो प्रॉक्टर साहब छात्रों के सवालों से बचते हुए दिखाई दिए और कोई जवाब नहीं दे सके। इसके बाद छात्रों ने आज शाम 6:30 बजे मगरिब की नमाज के बाद लाइब्रेरी कैंटीन पर जनरल बॉडी मीटिंग का आह्वान किया, जिसमें AMU Campus परिसर में होने वाले इस गैर कानूनी कामों की जमकर विरोध किया गया।

विरोध करते हुए छात्रों ने निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित एक रेजोल्यूशन पास किया जो कार्यकारी कुलपति और देश के राष्ट्रपति के नाम संबोधित था। रेजोल्यूशन के बिंदु इस प्रकार हैं –

1) AMU एक्ट के तहत वाइस चांसलर का पैनल जानबूझकर टालना ना कबीले कुबूल है, इसको जल्दी बनाया जाए।
2) Amusu छात्र संघ का चुनाव न करना भी एएमयू एक्ट का उलझन है क्योंकि एएमयू एक्ट में साफ तौर पर लिखा है कि हर एकेडमिक सेशन में छात्र संघ का होना अनिवार्य है।
3) गैर कानूनी तरीके से होने वाली इस सिलेक्शन कमिटी को पूर्ण रूप से रोका जाए।
4) पीएचडी एडमिशन में होने वाली देरी भी छात्रों के गुस्से की वजह है।
5) एलॉटमेंट प्रोसेस को पारदर्शी बनाया जाए।
6) एडमिशन प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाया जाए।
7) गैरकानूनी तरीके से होने वाली इस सिलेक्शन कमिटी को अगर नहीं रोका गया तो छात्रों ने अल्टीमेटम देते हुए सातवें पॉइंट में विश्वविद्यालय इंतजामियां को यह धमकी भी दी है कि अगर कल शाम 5:00 बजे तक सिलेक्शन कमिटी कैंसिल होने का पत्र नहीं आता है तो छात्र संवैधानिक तरीके से क्लास बॉयकॉट कर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।

छात्रों ने जनरल बॉडी मीटिंग में यह रेजोल्यूशन पास होने के बाद रेजोल्यूशन की कॉपी कार्यवाहक कुलपति को देने का निर्णय किया, जिसके लिए सभी छात्र इकट्ठा होकर लाइब्रेरी कैंटीन से पीवीसी लॉज गए, लेकिन वहां पर किसी के ना आने की वजह से आगे बढ़ते हुए बाब-ए-सैयद गेट जाकर बंद किया, जिसपर आधे घंटे बाद डॉ वसीम अहमद वहां पहुंचे और छात्रों का रेजोल्यूशन राष्ट्रपति और कार्यवाहक कुलपति तक पहुंचाने का आश्वासन देते हुए प्राप्त किया।

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