हैकल सुलेमानी के बारे में जानने के लिए तारीख के पन्नों को पलटना ज़रूरी है इसलिए ये बात याद रखने के काबिल है के यहूदी हज़रत बीबी सायरा की औलाद हैं, जबकि नबी ए अकरम ﷺ इब्राहीम अलैहिसलाम की दूसरी बीबी हज़रत बीबी हाजरा की औलाद में से हैं और हज़रत इस्माइल अलैहिसलाम हज़रत बीबी हाजरा के बेटे हैं.
इब्राहिम अलैहिसलाम हज़रत बीबी हाजरा को हज़रत बीबी सायरा की ख्वाहिश और अल्लाह तआला के हुक्म पर मौजूदा मक्का की बे आबाद ज़मीन पर ले गए.
अल्लाह तआला को बीबी हाजरा और हज़रत इस्माइल अलैहि सलाम की न्याज़मन्दी और ख़ुशनूदी इतनी पसन्द आई की इस मकाम पर हज़रत हाजरा का नन्हे इस्माइल के लिए भाग दौड़ करना हज का रुकून बना दिया गया.
आबे ज़मज़म जारी कर दिया गया और हज़रत इस्माइल के अल्लाह की राह में कुरबान होने की अदा को कुर्बानी बना दिया गया
फिर इस मकाम को पहला बैतुल्लाह बना दिया गया ज़मीन पर
पहला बैतुल्लाह यही था और कयामत तक यही रहेगा
ये बीबी हाजरा और उनकी औलाद के लिए अल्लाह तआला की तरफ से बहुत बड़ी इज़्ज़त अफ़ज़ाई वाली बात थी ये ही बात आज तक यहूदियो को हज़म नही हुई.
वो ये समझते हैं की ये कैसे हो सकता है के हम अल्लाह की सबसे लाडली कौम होने के बावजूद हमे इस बैतुल्लाह की जानिब मुँह कर के इबादत करनी पड़े जिसे हज़रत इस्माइल अलैहिसलाम ने अपने वालिद हज़रत इब्राहीम अलैहिसलाम के साथ मिलकर बनाया हो.
वो हज़रत इस्माइल अलैहिसलाम को सिरे से नबी ही नही समझते हैं
वो समझते हैं की नबूवत पर सिर्फ उनका ही हक है
वो हज़रत हाजरा और हज़रत इस्माइल अलैहि सलाम की बेहद तौहीन करते हैं और बेहद गुस्ताखी भरे अल्फ़ाज़ इस्तेमाल करते हैं, मज़ाक उड़ाते हैं
आम तौर पर ख्याल किया जाता है की नबी करीम ﷺ के खाके व गुस्ताखाना कार्टून कुछ अखबार इत्तेफाक से बनाते हैं लेकिन ऐसा हरगिज़ नही है
इसके पीछे यहूदियो की सदियो पुरानी नफरत छुपी हुई है जो उनको बीबी हाजरा अलैहिस्लाम से थी
जैसा की ऊपर बताया गया है की यहूदियो को तास्सुब की वजह से बैतुल्लाह की तरफ मुह कर के इबादत करने से बहुत तकलीफ थी
इसलिए वो चाहते थे उनका क़िबला कोई और होना चाहिए, चुनांचे एक वक्त ऐसा आया के अल्लाह तआला ने उनकी आज़माइश के लिए के वो राहे रास्त पर आते हैं या नहीं, कुछ वक्त के लिए मौजूदा मक़ामे अक्सा की तरफ मुह कर के इबादत करने का हुक्म फ़रमाया
हैकल सुलेमानी की तामीर?
ये दरहक़ीक़त एक मस्जिद थी इस गलत फहमी का दूर होना भी बेहद ज़रूरी है क्योंकि बैतुल्लाह रोये ज़मीन पर सिर्फ एक ही तामीर किया गया था जो हज़रत इब्राहीम अलैहिसलाम ने मक्का में अल्लाह के हुक्म से तामीर किया था
इस के अलावा पूरे कुर्रा ए अर्ज़ पर कोई दूसरा क़िबला या बैतुल्लाह तामीर नही किया गया था
मैं मस्जिद ए अक्सा को हैकल के नाम से इसलिए लिखूंगा ताकि समझने में आसानी रहे
हैकल सुलेमानी की तामीर से पहले यहूदियो के यहां किसी भी बाकायदा हैकल का न तो कोई वुजूद और न इसका कोई तव्वुर था
इस कौम की बद्दुओं वाली खाना बदोश ज़िन्दगी थी उनका हैकल या माबद एक खेमा था
इस खेमे में ताबूत ए सकीना रखा होता था जिसकी जानिब ये रुख कर के इबादत किया करते थे
रवायत के मुताबिक़ के ताबूत जिस लकड़ी से तैयार किया गया था उसे शमशाद कहते हैं और उसे जन्नत से हज़रत आदम अलैहिसलाम के पास भेजा गया था
ये ताबूत नस्ल दर नस्ल अम्बिया से होता हुआ मूसा अलैहि सलाम तक पहुंचा था
इस मुक़द्दस सन्दूक में हज़रत मूसा अलैहिसलाम का असा (छड़ी) मन्ना वस सलवा और दूसरे अम्बिया अलैहिस्सलाम की यादगारें थी
यहूदी इस ताबूत की बरकत से हर मुसीबत और परेशानी का हल निकाल लिया करते थे
दूसरी कौमो के साथ जंगों में भी इस सन्दूक को लश्कर के आगे रखा करते थे
इसकी बरकत से जंगो में फतह हासिल किया करते थे
जब हज़रत दाऊद अलैहि सलाम को बादशाहत अता हुई तो आपने अपने लिए एक बाकायदा बेहतरीन महल तामीर करवाया
एक दिन उनके ज़हन में ख्याल आया के मैं तो खुद महल में रहता हूँ जब कि मेरी कौम का माबद आज भी खेमे में रखा हुआ है
“बादशाह ने कहा मैं तो देवदार की शानदार लकड़ी से बने महल में रहता हूँ मगर खुदा वन्द का ताबूत एक खेमे में पड़ा हुआ है ”
(स्मोवियल2:4)
चुनांचे आपने हैकल की तामीर का इरादा किया और उसके लिए एक जगह का चुनाव किया गया
विशेषज्ञयो ने आपको मशवरा दिया के इस हैकल की तामीर आपके दौर में नामुमकिन है
आप इसका जिम्मा अपने बेटे सुलेमान अलैहि सलाम को सौंप दीजिये
चुनांचे हज़रत सुलेमान अलैहि सलाम ने अपने दौरे हुकूमत के चौथे साल में इसकी तामीर का बाकायदा आगाज़ कर दिया
आज इसकी बनावट और मज़बूती से अंदाज़ा किया जा सकता है ये तामीर इंसानो के बस की बात नहीं थी
इतने भारी और बड़े पथरो को जिन्नातो की ताकत से चुना गया था जिन पर हज़रत सुलेमान अलैहि सलाम की हुकूमत थी ये हैकल माबद या मस्जिद बहुत ही आलिशान और वसीअ थी
इसमें तीन हिस्से थे
बेरूनी हिस्से में आम लोग इबादत किया करते थे
इससे अगले हिस्से में उलमा जो की अम्बिया की औलादो में से होते थे उनकी इबादत की जगह थी
इसके अगले हिस्से में जो की सबसे ज़्यादा मुक़द्दस समझा जाता था उसमे ताबूत ए सकीना रखा गया था
इस हिस्से में किसी को भी दाखिल होने की इजाज़त नही थी
सिवाय सबसे बड़े आलिम पेश इमाम के
वक्त गुज़रता रहा इस दौरान बनी इसराइल में पैगम्बर होते रहे लेकिन फिर भी ये कौम बद से बदतर होती रही
ये किसी भी तरह अपने गुनाहो से तौबा तायब होने या उनको तर्क करने के लिए तैयार नही थी
ये कौम बिलकुल आज हमारी उम्मते मुस्लिमा की तरह एक तरफ इबादतें किया करते थे तो दूसरी तरफ अल्लाह के अहकाम की खुली मुखालफत और खिलाफ वर्जि करते रहे
उनकी इस दोगली पॉलिसी से अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त नाराज़ हो गया
उनके पास सबसे पहले मूसा अलैहि सलाम रसूल बनाकर भेजे गए
और दुसरे रसूल हज़रत ईसा अलैहि सलाम थे
हज़रत मूसा से हज़रत ईसा के बीच का वक्त 14 सौ साल बनता है
उनके अलावा और बहुत बड़ी तादाद में अम्बिया भी भेजे गए, लेकिन ये कौम सुधरने को तयार न थी
यहां तक की उनकी शक्लों को अल्लाह पाक ने बन्दर और सूअर तक का बना दिया
लेकिन ये फिर भी बाज़ न आये
तब अल्लाह ने इन पर लानत कर दी
586 ईसा पूर्व में बख्त नसर ने उनके मुल्क पर हमला किया
उनका हैकल तबाह और बर्बाद कर दिया
हैकल में से ताबूत ए सकीना निकाल लिया
6 लाख से ज़्यादा यहूदियों को कत्ल कर डाला
2 लाख यहूदियो को कैद कर लिया
और अपने साथ बाबुल ईराक ले गया
शहर से बाहर यहूदीयो की एक बस्ती कायम की गई
जिसका नाम तेल अबीब रखा गया
70 साल तक हैकल सफा हस्ती से मिटा रहा दूसरी तरफ बख्त नसर ने ताबूत ए सकीना की शदीद बे हुरमती की और उसे कहीं फेंक दिया
कहा जाता है की इस बेहुरमती की हरकत का अज़ाब उसे इस तरह मिला के सन 539 ईसा पूर्व में ईरान के बादशाह सायरस ने बाबिल ईराक पर हमला कर दिया और बाबिल से उसकी सल्तनत का खात्मा कर दिया
सायरिस एक नरम दिल और इन्साफ पसंद हुक्मरान था
उसने तेल अबीब के तमाम कैदियों को आज़ाद कर के उनको वापस येरुशलम जाने की इजाज़त दे दी और साथ में उनको हैकल के नए सिरे से तामीर करने की भी इजाज़त दे दी और तामीर में हर तरह की मदद करने का वादा भी किया
अतः हैकल की दूसरी तामीर 537 ईसा पूर्व में शुरू हुई लेकिन तामीर का काम करने वालो को अपने ही हमवतन दुश्मनो की इतनी ज़्यादा मुखालफत झेलनी पड़ी के तामीर का काम बन्द करना पड़ा
और डेरियस 1 के दौरे हुकूमत तक बन्द रहा
उसकी हुकूमत के दुसरे साल में हज़रत ज़करिया अलैहि सलाम ने वहां के गवर्नर ज़रोबा बिल और सरदार काहिन यूशोवाह की हौसला अफ़ज़ाई की ताकि वो हैकल की तामीर की दुबारा कोशिश करें
जिस पर उन्होंने पॉजिटिव रद्द ए अमल का इज़हार किया और साढ़े चार में 515-520 में तयार हो गया लेकिन इस बार इसमें ताबूत ए सकीना नही था
इस के बारे में आजतक मालूम न हो स्का की बख्त नसर ने उसका क्या किया
कुछ लोगो का कहना है उसने मुक़द्दस सन्दूक को तौहीन से बचाने के लिए अल्लाह के हुक्म से कहीँ महफूज़ जगह पर दफना दिया या छिपा दिया जिसका किसी इंसान को पता नही लेकिन यहूदी इसकी खोज में पूरी दुनियां को खोद देना चाहते हैं
आम तौर पर इतिहासकार हैकल की दो बार तामीर और दो बार तबाही का ज़िक्र करते हैं लेकिन इतिहास को बारीकी से पड़ने पर पता चलता है की ऐसा नही है बल्कि हैकल को तीन बार तामीर किया गया
लेकिन इसके साथ भी एक दिलचस्प कहानी वजूद में आई
हैरोड्स ने जब इसकी बेहतरीन तरीके से तामीर की तो यहूदियो के दिल में एक खौफ पैदा हुआ की अगर इसको नए सिरे से तामीर के लिए गिराया गया तो दोबारा तामीर नही होगा
हैरोड्स ने उनको बहलाने के लिए कहा की वो सिर्फ इसकी मरम्मत करना चाहता है
उसे गिराना नही चाहता
चुनाचे सन् 19 ईसा पूर्व में उसने हैकल के एक तरफ के हिस्से को गिरा दिया और तब्दीली के साथ और बड़ा कर के तामीर करवाया ये तरीका कामयाब रहा और यहूदियो की इबादत में बिना खलल डाले हैकल के थोड़े थोड़े हिस्से को गिरा दिया जाता और उसकी जगह नया और पहले से अलग हैकल वुजूद में आता रहा
ये काम 18 महीने में मुकम्मल हुआ
इस तरह तीसरी बार हैरोड्स के ज़रिये एक नया हैकल वजूद में आगया
कुछ अरसे के बाद हज़रत ईसा अलैहि सलाम का ज़हूर हुआ
अल्लाह के इस रसूल पर यहूदियो ने अपने मामूल के मुताबिक़ ज़ुल्म के पहाड़ तोड़ने शुरू कर दिए
दरअसल यहूदी अपने मसीहा के इंतज़ार में थे जो दोबारा आकर उनको पहले जैसी शानो शौकत अता करता
हज़रत ईसा अलैहि सलाम के ज़हूर होने के 70 साल बाद एक बार फिर यहूदियो पर अल्लाह का अज़ाब नाज़िल हुआ
इस बार इस अज़ाब का नाम टाइट्स था ये रूमी जरनैल बाबिल के बादशाह बख्त नसर से भी ज़ालिम साबित हुआ
उसने एक एक दिन में लाखो यहूदियो को फना कर दिया
उसने हैरोड्स के तामीर किये गए अज़ीमुश शान हैकल की ईंट से ईट बजा दी और यहूदियो को हमेशा के लिए येरुशलम से निकाल बाहर किया
यहूदी पूरी दुनिया में बिखर कर रुस्वा होकर रह गए
लगभग 18 या 19 सौ साल तक भटकने के बाद ब्रिटेन ने जब फिलिस्तीन पर कब्जा किया तो साथ ही एक नाजायज़ बच्चे इस्राइल को फिलिस्तीन में जन्म दे दिया
इस तरह सदियो से दुखने खाने वाली अल्लाह की लानत ज़दा कौम को एक बार फिर से इस मुल्क इसराइल में इकट्ठे होने रहने की इजाज़त मिल गई लेकिन ये कौम अपनी हज़ारो साल पुरानी गन्दी फितरत से बाज़ न आई
ये ब्रिटेन के जन्म दिए हुए इस्राइल तक महदूद न रहे
एक बार फिर से अपने पड़ोसी मुल्को के लिए अपनी फितरत से मजबूर होकर मुसीबत बनने लगे
5 जून 1967 को इन्होंने सीरिया की गोलान पहाड़ी पर कब्जा कर लिया
1968 में अर्दन के मग़रिबी किनारे पर काबिज़ हो गए
इसी साल मिस्र के इलाके पर भी कब्जा कर लिया
आज इस कौम की शरारतें और फूर्तियां देखकर अंदाज़ा होता है की ये लोग आज से दो तीन हज़ार साल पहले भी किस कदर हारामी थे
जिसकी वजह से अल्लाह ने उन पर लानत कर दी थी
मुस्लिम मुल्को की बे गैरती और बुज़दिली की वजह से अब इसने पूरी दुनिया के मुस्लिम मुल्को में आग लगा कर रख दी है
अब इनका अगला मिशन जल्द से जल्द इस हैकल की तामीर है
और इस हैकल में तख्त ए दाऊद और ताबूत ए सकीना को दोबारा रखना है
इस हैकल की तामीर के नतीजे में ये पूरी दुनियां जंग की आग में लिपट जायेगी लेकिन इस कौम को इसकी कोई परवाह नहीं
यहूदियो को जिस बस्ती तेल अबीब में बख्त नसर ने बंधक बना कर रखा था वो इसको आजतक नही भूले
इन्होंने इस्राइल बनाने के बाद अपने एक शहर का नाम तेल अबीब रख दिया जो आज इस्राइल की राजधानी है, जबकि हम मुसलमान उस मस्जिदे अक्सा को भूल गए हैं जहाँ हमारे नबी सल्ल ने मेराज का सफर शुरू किया था
यहूदी आज तक बार बार गिराये गए हैकल को नही भूलते यहां तक की उसमे रखे गए ताबूत ए सकीना की तलाश में पूरी दुनिया को खोद देना चाहते हैं
इस तारीखी दुश्मनी और यहूदी साजिशो का अध्ययन करने पर आज ये महसूस होता है की वो वक्त बहुत करीब आ गया है जब मुसलमानो के खिलाफ यहूदी एक बहुत बड़ी खुली जंग का ऐलान करेंगे
क्यों कि ताबूत ए सकीना कहाँ है वो खुद नही जानते
और उनका शक है की ताबूत ए सकीना या तो मदीना मुनव्वरा में रोज़ा ए रशूल ﷺ के नीचे या फिर बैतुल्लाह के नीचे मुसलमानो ने छिपा रखा है
तारीख में ऐसी एक कोशिश की भी जा चुकी है.
आज से तक़रीबन 5000 साल पहले यानी 3000 BC की बात है. हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के दो बेटे थे, हज़रत इसहाक़ अलैहिस्सलाम जो फ़िलस्तीन में बसे और हज़रत इसमाईल अलैहिस्सलाम जो मक्का (अरब) में बसे
हज़रत इसहाक़ अलैहिस्सलाम के बेटे थे हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम और इनका एक लक़ब था इसराईल. इनके 12 बेटे थे, इन बेटों से जो generation आगे चली उनको बनी इसराईल (children of Israel) कहा गया
11 वें नंबर के बेटे हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम किसी तरह फ़िलस्तीन से मिस्र (Egypt) पहुँच जाते हैं और बाद में वहाँ के हुक्मरान बन जाते हैं और उसके बाद वह अपने सारे भाईयों को वहीं बुला लेते हैं और इस तरह बनी इसराइल मिस्र में हाकिम व ग़ालिब क़ौम बनकर रहने लगते हैं.
कई सौ सालों के बाद मिस्र की लोकल क़ौम (जो कि बुत परस्त थी) में एक revolution आया कि यह बाहर से आए हुए लोग हमारे देश में आकर हमारे ऊपर हुक्मरानी कर रहे हैं और उन लोगों ने बनी इसराईल को हुक्मरानी से हटाकर ख़ुद वहाँ के हुक्मरान बन गए और इस तरह बनी इसराईल वहाँ एक मग़लूब व महकूम क़ौम बनकर रह गए. फिर वहाँ की ग़ालिब अकसरियत क़ौम के ज़रिये बनी इसराईल पर भेदभाव और ज़ुल्मो सितम का दौर शुरू हुआ जो कई सौ सालों तक चलता रहा. मिस्र के बादशाह फ़िरऔन और उसकी क़ौम का ज़ुल्म जब सारी हदें तोड़ने लगा तब अल्लाह ने बनी इसराईल की निजात के लिये उनके बीच हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को मबऊस किया.
तक़रीबन 1400 BC, जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने बनी इसराईल (जो कि उस वक़्त के मुसलमान थे) को फ़िरऔन की ग़ुलामी से आज़ादी दिलाई, तो अल्लाह ने उनके आबाई वतन (native land) फ़िलस्तीन में फिर से आबाद होने के लिये कहा और इस बीच वहाँ पर जो क़ौम रहने लगी थी उस क़ाबिज़ कुफ़्फ़ार क़ौम से जिहाद करने का हुक्म दिया लेकिन बनी इसराईल ने जिहाद करने से मना कर दिया, तो अल्लाह ने उन पर अज़ाब नाज़िल किया, जिसके सबब 12 क़बीलों वाले क़रीब 6 लाख बनी इसराईल एक रेगिस्तान (सहरा-ए-सीना) में 40 साल तक भटकते रहे. फिर क़रीब एक नसल गुज़रने के बाद हज़रत यूशा बिन नून अलैहिस्सलाम के दौर में बनी इसराईल ने फ़िलस्तीन को फ़तह कर लिया और 12 कबीलों ने 12 हुकूमतें बना लीं, फिर ये आपस में लड़ने लगे. इनकी आपसी लड़ाई का फ़ायदा उठा कर आसपास के मुशरिक क़बीलों ने फ़िलस्तीन पर क़ब्ज़ा कर लिया और इनको इनके घरों से निकाल दिया. फिर ये तक़रीबन 300 साल तक फ़िलस्तीन के बाहर दूसरे इलाक़ों में पड़े रहे.
फिर इन्होंने उस वक़्त के नबी हज़रत समोएल अलैहिस्सलाम से कहा कि हमारे लिये कोई एक लीडर मुक़र्रर कर दें और अब हम मुत्तहिद होकर रहेंगे. फिर अल्लाह के हुक्म से वक़्त के नबी ने हज़रत तालूत को उनका लीडर बनाया और फिर हज़रत तालूत की क़यादत में बनी ईसराईल ने फिर से फ़िलस्तीन को फ़तह कर लिया. और अब बनी इसराईल का एक सुनहरा दौर आया. 16 साल हज़रत तालूत वहाँ के हुक्मरान रहे, फिर 40 साल हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम और 40 साल उनके बेटे हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम वहाँ के हुक्मरान रहे. इस तरह तक़रीबन 100 साल तक अल्लाह ने बनी इसराईल को उरूज दिया. इसी दौरान हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने 961 BC में उस मुक़र्रर जगह पर एक शानदार मस्जिद तामीर की, जिसकी बुनियाद हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम डाली थी. इसी मस्जिद को यहूदी हैकल सुलैमानी (Temple of Solomon) कहते हैं और मुसलमान मस्जिद ए अक्सा कहते हैं.
इस मस्जिद की वजह से ही इसके शहर को अलक़ुद्स और बैतुल मक़दिस कहा जाता है
हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के दो बेटे थे उन्होंने दो हुकूमतें बना ली, एक इसराईल और दूसरी यहूदा
100 साल के उरूज के बाद अब उनमें ज़वाल आना शुरू हुआ और वो फिर अल्लाह के अहकामात की ख़िलाफ़ वर्ज़ियाँ करने लगे. तक़रीबन 200 साल बाद 700 BC में अल्लाह के अज़ाब का शदीद कोड़ा उन पर पड़ा, सीरिया ने उन पर हमला किया और बनी इसराईल की एक सल्तनत इसराईल को तहस नहस कर के रख दिया. दूसरी सल्तनत यहूदा में में भी ज़वाल जारी रहा तो तक़रीबन सवा सौ साल के बाद अल्लाह के अज़ाब का अगला कोड़ा उन पर पड़ा और 586 BC में इराक़ के बादशाह बख़्त नसर ने उनकी दूसरी सल्तनत यहूदा को भी तहस नहस कर दिया, बैतुल मक़दिस की ईंट से ईंट बजा दी और मस्जिद ए अक़सा को जला कर राख कर दिया. 6 लाख यहूदियों को क़त्ल किया और 6 लाख यहूदियों को क़ैदी बना कर इराक़ ले गया.
फिर 100 साल के बाद फ़ारस (ईरान) के बादशाह #Cyrus (जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हीं को अल्लाह ने क़ुरआन में ज़ुल्क़रनैन कहा है) ने इराक़ को फ़तह कर लिया और यहूदियों को बैतुल मक़दिस वापस जाने की इजाज़त दे दी.
वापस आकर यहूदियों ने उस वक़्त के नबी हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम की क़यादत में फिर से फ़िलस्तीन को आबाद किया और हैकल (मस्जिदे अक़सा) को दोबारा तामीर किया. फिर अल्लाह ने उन्हें 100 साला एक और उरूज अता किया और इस बार बनी इसराईल ने हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम की सल्तनत से भी बड़ी एक सल्तनत क़ाएम की
सलमान सिद्दीकी✍️