मुस्लिम विश्वविद्यालय से गांधी का अद्भुत रिश्ता 600 से अधिक पुस्तकें और दस्तावेज Amu Library में मौजूद,सैकड़ो की तादाद में प्रदर्शनी देखने आते हैं लोग

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एशिया के दुसरे सबसे बड़े लीब्रेरी मौलाना अज़ाद में गांधी जयंती पर उत्साहपूर्ण कार्यक्रम आयोजित

अलीगढ़, 2 अक्टूबरः दुनिया में बहुत कम लोगों ने सभ्यता के क्रम को महात्मा गांधी जितना व्यापक रूप से प्रभावित किया है, जो पिछले कई शताब्दियों में इस दुनिया में आए नेताओं में सबसे ऊंचा स्थान रखते हैं।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने आज विश्वविद्यालय के मौलाना आजाद (maulana azad library) पुस्तकालय में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाये जाने वाली उनकी 155 वीं जयंती को उत्साह के साथ मनाया।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने आज विश्वविद्यालय के मौलाना आजाद पुस्तकालय में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाये जाने वाली उनकी 155 वीं जयंती को उत्साह के साथ मनाया।

लाइब्रेरी के कल्चरल हॉल में एएमयू के शिक्षकों, छात्रों और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की एक सभा को संबोधित करते हुए, एएमयू की कुलपति, प्रोफेसर नईमा खातून ने बताया कि कैसे एक शिक्षक, लेखक, मित्र और प्रशासक के रूप में गांधी जी का जीवन आज भी नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में हमारी सोच को आकार दे रहा है।

छात्रों और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की एक सभा को संबोधित करते हुए, एएमयू की कुलपति, प्रोफेसर नईमा खातून ने बताया कि कैसे एक शिक्षक, लेखक, मित्र और प्रशासक के रूप में गांधी जी का जीवन आज भी नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में हमारी सोच को आकार दे रहा है।

उन्होंने कहा कि गांधी जी धर्म, जाति या वर्ग की बाधाओं से परे सभी के मित्र थे। मानव स्वभाव के बारे में उनकी समझ बहुत गहरी थी और वे जानते थे कि वास्तविक परिवर्तन बल से नहीं बल्कि सहानुभूति और करुणा से आता है। यही कारण है कि गांधी जी ने लोगों को आत्म-परीक्षण करने, अपने कार्यों पर चिंतन करने और खुद को प्रेम और शांति के उच्च आदर्शों के साथ जोड़ने के लिए आमंत्रित किया।

प्रोफेसर खातून ने कहा कि गांधी जी का शांत व्यक्तित्व, अहिंसक प्रतिरोध की ताकत में अटूट विश्वास से रेखांकित, इतिहास में सबसे सफल सविनय अवज्ञा आंदोलनों में से एक का कारण बना और उन्होंने सफलतापूर्वक दिखाया कि ईमानदारी के साथ नेतृत्व करना, साहस के साथ कार्य करना और परिस्थितियों की परवाह किए बिना दूसरों के साथ सद्भाव में रहना संभव है।

उन्होंने कहा कि उनका मानना था कि सीखना केवल ज्ञान प्राप्त करने का मामला नहीं होना चाहिए, बल्कि एक समग्र अनुभव होना चाहिए जो चरित्र को आकार दे और मूल्यों को विकसित करे।

प्रोफेसर खातून ने जोर देकर कहा कि जैसे-जैसे हम तेजी से जटिल और परस्पर जुड़ी दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं, गांधी जी के आदर्श और भी अधिक महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं।


ऐसे समय में जब प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया हमारी वास्तविकताओं को आकार देते हैं

अक्सर सत्य और भ्रम के बीच की रेखाओं को धुंधला कर देते हैं, ऐसे में सत्य के प्रति गांधी की अटूट प्रतिबद्धता आशा की किरण के रूप में हमारे समक्ष खड़ी होती है।

इस अवसर पर प्रोफेसर खातून (amu vc prof. naima khatoon) ने राष्ट्रीय एकता और स्वच्छता की शपथ भी दिलाई और लोगों से हिंसा का सहारा न लेने और सभी विवादों को शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीकों से निपटाने का आग्रह किया।
उन्होंने सभी से स्वच्छतम जीवन शैली अपनाने का भी आग्रह किया

उन्होंने सभी से स्वच्छतम जीवन शैली अपनाने का भी आग्रह किया

, जो राष्ट्र और दुनिया को स्वच्छ और स्वस्थ बनाती है, जो महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने का सबसे अच्छा तरीका है, जिन्होंने एक ऐसे देश का सपना देखा था जहां लोग अपने घरों, अपने आस-पास और अपने कार्यस्थल को हर तरह से साफ रखने के लिए खुद को तैयार करें।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता और स्वच्छता के प्रति महात्मा गांधी की प्रतिबद्धता उनके मिशन का केंद्र बिन्दु थी और आज, ये शपथ लेकर, हम उनकी स्मृति का सम्मान करते हैं और इन महत्वपूर्ण कारणों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।

हिंदी विभाग के प्रोफेसर मेराज अहमद ने वर्तमान विश्व में गांधी जी की प्रासंगिकता पर बात की। उन्होंने कहा कि गांधी जी का जीवन और उनके सिद्धांत मानव जीवन के व्यापक पहलुओं को समाहित करते हैं और आज वे विश्व शांति, मानवीय पीड़ा, बढ़ती सामाजिक और राजनीतिक बुराइयों और मानव जाति की निस्वार्थ सेवा सहित विभिन्न मामलों पर अधिक जोर देते हैं।

राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अर्शी खान ने अंग्रेजी में भाषण देते हुए वैश्विक शांति को बढ़ावा देने में गांधी जी की भूमिका का विश्लेषण किया तथा अहिंसा और सत्याग्रह के उनके विचारों के आलोक में वर्तमान संघर्षपूर्ण स्थितियों के समाधान के लिए सुझाव दिए।

एएमयू के छात्र सैयद फहीम अहमद (बीटेक) और मदीहा नाज (बीए अंग्रेजी) ने आज की दुनिया में महात्मा गांधी के महत्व तथा उनके करुणा और साहस के बारे में बताया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रोफेसर विभा शर्मा (अंग्रेजी विभाग) ने कहा कि गांधी जी का प्रभाव ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के साथ ही समाप्त नहीं हुआ, बल्कि पूरे विश्व में गूंजता रहा, जहां न्याय की मांग की गई, जहां शोषितों ने सम्मान और न्याय की लालसा की तथा जहां मानवता ने अपनी सबसे बुनियादी प्रवृत्ति से ऊपर उठने के लिए संघर्ष किया, वहां गांधी जी के आदर्शों ने विश्व को शांति और करूणा का मार्ग दिखाया।

इस अवसर पर एएमयू के रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) व अन्य अधिकारी और अतिथि मौजूद थे।

इससे पूर्व प्रातः काल में कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने महात्मा गांधी के जीवन और उनके समय के विभिन्न पहलुओं पर पुस्तकों, मोनोग्राफ और तस्वीरों की एक बड़ी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसे मौलाना आजाद लाइब्रेरी द्वारा आयोजित किया गया है और जो 3 अक्टूबर तक सुबह 9.45 बजे से शाम 5 बजे तक सभी के लिए खुला है।

यूनिवर्सिटी लाइब्रेरियन प्रोफेसर निशात फातिमा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रदर्शनी में महात्मा गांधी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाली कई भाषाओं में 600 से अधिक पुस्तकें और दस्तावेज प्रदर्शित किए गए हैं।

600 से अधिक पुस्तकें और दस्तावेज प्रदर्शित किए गए हैं।


सबसे प्रमुख दस्तावेजों में गांधीजी द्वारा लिखित पुस्तकें

, 100 खंडों में उनके संग्रहित कार्य और समाचार पत्र हरिजन के तीन अंक (1939, 1940 और 1946) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा हस्तलिखित पत्र, विशेष रूप से 20 जुलाई 1937 को पटियाला रियासत के वित्त मंत्री कर्नल मोहम्मद हमीद खान की बेटी लेडी उम्मत-उल-इस्लाम को लिखा गया पत्र, 29 जुलाई 1942 को एएमयू के एक पुरातन छात्र अब्दुल बारी को लिखा गया पत्र और 7 जनवरी 1937 को एएमयू छात्र संघ के महासचिव को लिखा गया पत्र आगंतुकों के लिए रुचिकर हैं।

आपको बता दे लगभग हर देश में हिंदुस्तान के गांधी को चाहने वाले लोग मिल जाएंगे यहां तक के साउथ अफ्रीका के नेल्सन मंडेला महात्मा गांधी से काफी प्रभावित रहे हैं आज हम आपको बताएंगे की महात्मा गांधी मुस्लिम विश्वाविद्यालय अलीगढ़ के संस्थापक सर सैयद अहमद खन से प्रभावित हुऎ थे और यहां तक के आधुनिक शिक्षा को लेकर उनको मैसेंजर आफ एजुकेशन का खिताब दिया था।

इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर उमर पीरज़ादा।

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