Amu Aligarh News : Aligarh Muslim University Executive Council में AMU Acting VC के शामिल होने पर सवालिया निशान क्योंकि वीसी पैनल के पांच नाम में से एक नाम Professor Naima Gulrez का है जो amu vc gulrez Professor Mohammad Gulrez की पत्नी है।
AMU VC Panel 2023 के लिए EC Members Executive Council से पांच नाम आ गए हैं 6 नवंबर को Court Member meeting में फाइनल होंगे आखिरी 3 नाम जो महामहिम राष्ट्रपति को जाएंगे।
प्रोफेसर एम यू रब्बानी – 12 वोट
प्रोफेसर फुरकान कमर – 09 वोट
प्रोफेसर फैजान मुस्तफा – 09 वोट
प्रोफेसर नईमा गुलरेज़ – 08 वोट
प्रोफेसर कय्यूम हसन – 08 वोट
हालांकि एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग के बाद यह बात चर्चा में आने लगी है प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज खुद एग्जीक्यूटिव काउंसिल के मेंबर हैं और उनकी पत्नी भी मेंबर हैं लेकिन वह वीसी कैंडिडेट होने के कारण वह जगह उन्हें छोड़नी पड़ी।
चर्चा का कारण है एग्जीक्यूटिव काउंसिल और प्रो वीसी एवं एक्टिंग वाइस चांसलर होने के कारण प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज क्या अपनी पत्नी प्रोफेसर नईमा गुलरेज के चुनाव में शामिल होने की वजह से वह अपने पद से क्या प्रभावित कर सकते हैं?
अंदर खाने इस पर चर्चा गर्म है, हालाकी सामने खुलकर बोलने से बहुत सारे लोग परहेज कर रहे हैं लेकिन किसी एक कोने से यह आवाज आ रही है की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के रूल के मुताबिक 27 रूल नंबर का वायलेशन हो रहा है।
हालांकि उसे दौरान क्या-क्या हुआ हम आपको एक-एक बात बताते हैं।
Details:
Prof. Faizan Mustafa – 09 Votes
Prof. Naima K Gulrez – 08 Votes
Prof. Qayyum Hussain – 08 Votes
Prof. Urooj Rabbani – 07 Votes
Prof. Furqan Qamar – 07 Votes
Prof. Rizwan Khan – 07 Votes
Prof. Abdul Aleem – 07 VotesVoting Procedure:
Prof. Faizan – 1st
Prof. Naima – 2nd
Prof. Qayyum – 3rd
For the 4th and 5th Position
There was Tie of 4 – Prof. Rabbani, Prof. Qamar, Prof. Rizwan and Prof. Aleem
For which voting was done again by all members to select 2 among these 4 in which out of these 4
Prof. Rabbani got highest 12 votes
and Prof. Furqan Qamar got 9 votes.So Final list is as follows –
1. Prof. Faizan Mustafa – 09 Votes
2. Prof. Naima K Gulrez – 08 Votes
3. Prof. Qayyum Hussain – 08 Votes
4. Prof. Urooj Rabbani – 07 Votes (12 votes in Tie Breaker)
5. Prof. Furqan Qamar – 07 Votes (09 votes in Tie Breaker)शुरू के नाम में डॉक्टर फैजान मुस्तफा सबसे आगे रहे और 20 में से जब पांच नाम तय हो गए और तीन नाम पहले जो तय हुई जिसमें डॉक्टर फैजान आगे चल रहे थे वैसे पांच नाम चाहिए होते हैं और उसके लिए दोबारा वोटिंग हुई जिसमें डॉक्टर रब्बानी का नाम सबसे आगे आ गया और 6 नवंबर 2023 में कोर्ट मीटिंग में पांच नाम में से तीन नाम तय होने हैं और फिर यह तीन नाम महामहिम राष्ट्रपति के पास जाएंगे और वह तीन नाम में से वह एक फाइनल होगा जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अगले 5 साल के लिए वाइस चांसलर बनेगा।
Ec Member Amu अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के विनियम’ के विनियम 27 का हवाला देते हुए कुछ मेंबर्स ने सवाल खड़े किए और उसके जवाब भी सामने आए।
ALIGARH MUSLIM UNIVERSITY MINUTES OF THE SPECIAL MEETING OF THE EXECUTIVE COUNCIL(No.733) के मुताबिक।
प्रोफेसर मोइनुद्दीन ने मुद्दा उठाया कि चूंकि प्रोफेसर नईमा खातून उम्मीदवारों में से एक थीं. प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ मतदान न करने पर विचार कर सकते हैं और खुद को मतदान से अलग कर सकते हैं।
उन्होंने कहा ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के विनियम’ के विनियम 27 का हवाला दिया।
जिसमें कहा गया है, ‘कोई भी सदस्य जिस पर किसी भी प्रस्ताव से व्यक्तिगत रूप से प्रभावित होने की संभावना है, चाहे वह अनुकूल हो या प्रतिकूल, उस पर वोट देने का हकदार नहीं होगा। संदेह की स्थिति में, अध्यक्ष कारणों सहित अपना निर्णय देगा जिसे दर्ज किया जाएगा।’ डॉ. मुराद अहमद खान ने भी ऐसा ही विचार साझा किया।
इस पर अध्यक्ष ने जवाब दिया कि उच्च शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के पत्र एफ.सं. के आलोक में पढ़ें, हितों के टकराव की सीमा के बाद से हितों का कोई टकराव नहीं है। 19-12/2015-डेस्क (यू) दिनांक 12* मार्च, 2015 केवल अभ्यर्थियों के लिए है।
उक्त पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है, ‘यदि कुलपति या कार्यकारी परिषद का कोई अन्य सदस्य, जो कुलपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के इच्छुक हैं, कार्यकारी परिषद की ऐसी बैठक में भाग लेते हैं। ‘कुलपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में अयोग्य माना जाएगा।’चूँकि amu vc gulrez प्रोफेसर गुलरेज़ उम्मीदवार नहीं हैं, इसलिए खुद को अलग करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
Ips Mohammad Imran रजिस्ट्रार एएमयू ने अध्यक्ष से बोलने की अनुमति मांगी और अनुमति दी गई, उन्होंने बताया कि भले ही उद्धृत विनियमन 27 की जांच की गई हो, लेकिन कार्यकारी परिषद के समक्ष विशेष रूप से ऐसा कुछ भी नहीं रखा गया है जिससे यह पता चले कि प्रोफेसर गुलरेज़ पर व्यक्तिगत, अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।
प्रोफेसर नईमा खातून amu के नामांकन से यदि ऐसी कोई बात है, तो माननीय ईसी सदस्य इसे रिकॉर्ड में रख सकते हैं। इसलिए, विनियम 27 इस मामले में लागू नहीं होता है। इनमें से किसी भी नियम/निर्देश के तहत रिश्तेदारों को प्रतिबंधित नहीं किया गया है।
विजिटर के नामांकित प्रोफेसर उमेश अशोक कदम ने कहा कि प्रोफेसर गुलरेज़ को वोट देना चाहिए क्योंकि हितों का कोई टकराव नहीं है – वह उम्मीदवार नहीं हैं। अन्यथा यह एक बुरी मिसाल कायम करेगा। उन्होंने एमएचआरडी के पत्र का भी हवाला दिया.
प्रोफेसर मो. वसीम अली सहमत हुए और बताया कि 12 मार्च, 2015 के एमएचआरडी पत्र के अनुसार, केवल वे ईसी सदस्य जो स्वयं उम्मीदवार हैं, उन्हें वोट देने की आवश्यकता नहीं है।
pro and acting vc amu प्रोफेसर गुलरेज़ उम्मीदवार नहीं हैं और इसलिए, इसमें हितों का कोई टकराव शामिल नहीं है। इन विचार-विमर्श के बाद, सदन ने समाधान निकाला और सभापति ने बताए गए कारणों के आधार पर फैसला सुनाया। प्रोफेसर गुलरेज़ मतदान कर सकते हैं.
पूर्व कार्यकारी परिषद सदस्य हसन मतीन उल इस्लाम ने जानकारी देते हुए कहा टेक्निकल फाल्ट होने की वजह से गवर्नमेंट की तरफ से दोबारा कार्यकारी परिषद की मीटिंग बुलाने के लिए दिशा निर्देश आ सकते हैं उन्होंने कहा pro vc or acting vc mohammd gulrez का वहां पर होना बिल्कुल प्रभाव डाल सकता है क्योंकि अगर उनका एक वोट ना होता तो नईमा गुलरेज का पैनल में नाम नहीं आता क्योंकि जो दूसरा होता उसको पूरा अधिकार होता कि अपना वोट कहीं भी कर सकता था वह किसी इमोशन और ब्लड रिलेशन के द्वारा उसका कोई ताल्लुक नहीं होता।
Amu Vc Candidate ने हिन्द राष्ट्र से बात करते हुए कहा सब कुछ गोपनीय तरीके से किया गया है और नईमा गुलरेज professor naima gulrez amu को 8 वोट मिले हैं अगर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ना होते तो वह एक वोट नहीं मिलता 7 रह जाते और वह फिर से दोबारा प्रक्रिया शुरू की जाती और यही कारण है कि मुझे वहां हार मिली और जब सवाल किया गया कि क्या कोई लिस्ट जारी हुई कि किस कैंडिडेट को किस राउंड में कितने वोट मिले तो उन्होंने कहा कि सब कुछ गोपनीय तरीके से किया गया है और हम लोगों को इसकी कोई जानकारी नहीं मिली और जितनी जानकारी थी वह यह थी कि मैं एक वोट से हार गया अगर वह ना होते यानी प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज (acting vc amu) तो यह प्रक्रिया दोबारा शुरू होती।
Pro Vc Amu एक्टिंग वीसी प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज मीडिया से बात करते हुए कहा जिस काम के लिए मुझे vc बनाया गया था और मैंने पहले भी कहा था जब सही टाइम होगा तो मैं करूंगा और मुझे खुशी है कि जो मैंने वादा किया था उसे मैंने सबके सहमति से पूरा किया। उन्होंने अपनी पत्नी के बारे में कहा बिना नाम लिए की एक कैंडिडेट इसी मेंबर भी थी और वीसी कैंडिडेट भी तो उन्होंने इसी के मीटिंग में भाग लेने से मना कर दिया।
Amu Ec Member कार्यकारी परिषद सदस्य dr mussavir ali ने कहा conflict of interest सिर्फ कैंडिडेट पर लगता है और उन्होंने जो हुआ हाउस के के सहमति से हुआ।
amu history में ऐसा पहली बार है वीसी पैनल के पांच नाम में शामिल किसी एक महिला का भी है। और पूरी प्रक्रिया को देखते हुए ऐतिहासिक संयोग भी हो सकता है या जो दूसरी आवाज सामने से आ रही है उसमें कुछ सच्चाई भी हो सकती है।
जिस रूल 27 का हवाला दिया जा रहा है उसके मुताबिक तो यही है कि किसी के होने से कोई प्रभाव हो या फिर कोई कैंडिडेट हो तो वह इसी के मीटिंग में नहीं बैठ सकता है। तो यह तय कैसे होगा कि किसी के होने से प्रभाव हुआ या नहीं हुआ और हुआ तो कितना हुआ।
आपको बता दे 6 नवंबर 2023 के कोर्ट मीटिंग में वह तीन नाम फाइनल हो जाएंगे अगर उसमें प्रोफेसर नईमा गुलरेज नाम जाता है तो बाजार में चर्चा गरम है कि मौजूदा सरकार पसमांदा और महिलाओं को कथित राजनीतिक रूप से बहुत अहमियत दे रही है अगर वह तीन नाम में शामिल हो सकती हैं तो इतिहास में पहली बार अगले 5 साल के लिए एएमयू की कुलपति हो सकती हैं।
पूरी प्रक्रिया को पढ़ने के बाद आपको क्या लगता है अपना फीडबैक कमेंट में जरूर दें हर किसी के सुझाव का स्वागत है।