IICC Election 2024 Sirajuddin Qureshi के पैनल से घबराई है विरोधी एक वीडियो जारी करके बताया कि आरएसएस का एजेंडा मस्जिद के चार दिवारी में फैलाया जा रहा है बल्कि साफ तौर पर मस्जिद परिसर और फंक्शन हॉल के बीच में काफी बड़ा गैप है।
हिंन्द राष्ट्र के एडिटर मुदस्सिर साहब ने हज मंजिल के सामने सैयद फैज इलाही मस्जिद के थोड़े फैसले पर एक फंक्शन हॉल है वहां पर खुद कवरेज किया और वहां मौजूद प्रेसिडेंट पद पर चुनाव लड़ रहे हैं कैंसर सर्जन मशहूर डॉक्टर माजिद अहमद तालिकोटि से गुफ्तगू किए कुछ सवाल जवाब हुआ। अल्लाह की यह बात सच है की अफवाह सच्चाई से ज्यादा फैलता है और अफवाह और सच्चाई में फर्क करना एक बेहतरीन इंसान की पहचान है।
नीचे वीडियो की लिंक है आप क्लिक करके लाइव कवरेज देखें की क्या कोई मस्जिद इंतजामियां किसी भी बड़े शख्सियत के लिए क्या इस्लाम और इंतजार में यह ऑफर करेगी की मस्जिद के अंदर बैनर पोस्टर लगाया जाए और कोई प्रोग्राम किया जाए और खाने-पीने का मेहमानों के लिए इंतजाम भी मस्जिद के अंदर क्या यह मुमकिन है?
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लाइव वीडियो में किसी तरह की एडिट की भी गुंजाइश नहीं है तो आप खुद देखकर फैसला करें कि क्या यह मस्जिद परिसर है या फिर फंक्शन हॉल!
हालांकि पुरानी दिल्ली से लगातार सिराजुद्दीन कुरैशी को जिस तरीके से समर्थन मिल रहा है अगर वह यह भी आरोप लगा दे कि इनका यह प्रोग्राम मस्जिद में नहीं बल्कि जमा मस्जिद में हुई थी तब भी पुरानी दिल्ली के मेंबर्स को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि सच्चाई और अफवाह में फर्क है और पुरानी दिल्ली की जनता यह फर्क करना जानती है।
India Islamic Cultural Center के मेंबर बैलेंट नंबर 10 एग्जीक्यूटिव में मेमबर के पद पर आ रहे हैं मोहम्मद कफिल ने कहा विरोधी सिराजुद्दीन कुरैशी के तजुर्बे और अध्यक्ष पद पर आ रहे उनके पैनल के मशहूर कैंसर सर्जन डॉक्टर माजिद तालिकोटि खूबियो को खूब जानते है और इसीलिए वह तिलमिलाई हुई है और अनाप-शनाप इल्जाम लगा रही है वह कितना भी दुष्प्रचार और अफवाह फैला ले अगर वह यह फर्क नहीं कर पा रहे हैं की मस्जिद परिसर और हाल फंक्शन में फर्क है तो फिर वह यह भी फर्क नहीं कर पाएंगे जिस तरह से पहले भी चुनाव हार गए हैं वह इस बार भी हारेंगे और इसीलिए उन्होंने आरोप लगा रहे हैं और अफसोस की बात है कि अल्लाह का घर को राजनीतिक अखाड़ा बनाने की कोशिश की जा रही है।
आपको बता दें आजाद हिंदुस्तान में जो तालीम की बेहतरीन रोशनी है वह सर सैयद अहमद खान ने 1875 में एक सम्मा मदरसा के रूप में अलीगढ़ के अंदर बुनियाद रखी थी फिर 1920 में यूनिवर्सिटी की शक्ल ली और उसे तर्ज पर भारत में कई यूनिवर्सिटी बने यानी गिरते मुसलमान का अस्तर तालीम ने बढ़ाने का काम किया इसकी बुनियाद सर सैयद अहमद खान ने रखा था इस बात का जिक्र करते हुए डॉक्टर मजीद तालिकोटि ने कहा की मौजूदा हालात में भी मुसलमान को बेहतर शिक्षा और सबको साथ लेकर चलने से ही समाज के अंदर अपने हालात में और दूसरों के हालात में सुधार हो पाएगा।
Editor Mudassir Sahab से Dr Majid Ahmed Talikoti की खास गुफ्तगू
उन्होंने बताया सिराजुद्दीन कुरैशी का पैनल डॉक्टर माजीद अहमद तालिकोटि उनकी टीम इतवार शाम को लेमन ट्री में अलीगढ़ पहुंच रही है। उन्होंने कहा अलीगढ़ तालीम और तहजीब का शहर है वहां जाकर सर सैयद अहमद खान के विचारों को देखने सोचने समझने का मौका मिलेगा और अपने देश के बदलाव समाज के अंदर बेहतरीन के लिए तभी आएगा जब हम अपने इतिहास के बुद्धिजीवीयों से सीखेंगे।