मऊ से विधायक अब्बास अंसारी साहब की सदस्यता बहाल, हाईकोर्ट की याचिका के बाद सचिवालय ने आदेश जारी किया।

मऊ से विधायक अब्बास अंसारी साहब की सदस्यता बहाल

हाईकोर्ट से मिली राहत के बाद विधानसभा सचिवालय ने जारी की अधिसूचना

उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम घटनाक्रम सामने आया है। मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक अब्बास अंसारी साहब की विधानसभा सदस्यता बहाल कर दी गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने उनकी सदस्यता बहाली की अधिसूचना जारी की।

अदालत का पिछला आदेश और सदस्यता समाप्ति

31 मई 2024 को मऊ की विशेष अदालत ने एक मामले में अब्बास अंसारी साहब को दो वर्ष की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद विधानसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी और सदर सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया था।

हाईकोर्ट में अपील और राहत

स्थानीय अदालत के फैसले को अब्बास अंसारी साहब ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने 20 अगस्त को निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए उनकी सजा को निलंबित कर दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि किसी भी जनप्रतिनिधि की अयोग्यता न केवल उसके व्यक्तिगत अधिकारों को प्रभावित करती है बल्कि उन मतदाताओं के अधिकार को भी प्रभावित करती है जिन्होंने उसे अपना प्रतिनिधि चुना है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी हवाला दिया जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अयोग्यता के मामले पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की गई थी।

विधानसभा सचिवालय की अधिसूचना

हाईकोर्ट से मिले निर्देशों के बाद विधानसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर दी। आदेश में कहा गया कि अदालत द्वारा दोषसिद्धि रद्द किए जाने के बाद पहले जारी किए गए आदेश प्रभावहीन हो जाएंगे और अब्बास अंसारी साहब की सदस्यता बहाल मानी जाएगी।

राजनीतिक सरगर्मी और जनता की प्रतिक्रिया

सदस्यता बहाल होने के साथ ही मऊ की राजनीति में चल रही हलचल थम गई है। उपचुनाव की संभावनाओं पर भी विराम लग गया है। स्थानीय स्तर पर उनके समर्थकों ने इस फैसले का स्वागत किया और इसे न्याय की जीत बताया।

जनता का मानना है कि अदालत ने जनादेश का सम्मान किया है और अब उनके विधायक क्षेत्र की समस्याओं को पहले की तरह विधानसभा में उठा सकेंगे।

आरोप और पृष्ठभूमि

प्रॉसिक्यूशन के अनुसार, 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अब्बास अंसारी साहब ने एक जनसभा में प्रशासन के खिलाफ टिप्पणी की थी। इसी मामले में उन्हें निचली अदालत ने दोषी करार दिया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस फैसले को स्थगित कर दिया और सजा पर रोक लगा दी।

आगे की स्थिति

अब्बास अंसारी साहब की सदस्यता बहाल हो गई है, लेकिन उनके खिलाफ कुछ अन्य मुकदमों की सुनवाई अभी जारी है। फिलहाल इस फैसले से उनकी राजनीतिक सक्रियता पर से रोक हट गई है और वे दोबारा विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा ले सकेंगे।