असद हयात साहब का जाना सिर्फ एक दोस्त या साथी का बिछड़ना नहीं, बल्कि इंसाफ की बुलंद आवाज़ का खामोश हो जाना है। उनकी पूरी अमली ज़िंदगी की जद्दोजहद मजलूमों, महरूमों और सताए गए अफराद को इंसाफ दिलाने के लिए थी। उन्होंने मुल्क भर में मज़लूमों के लिए बेखौफ संघर्ष किया, बिना किसी लालच के, सिर्फ इंसानियत और अदल (न्याय) के लिए।
पार्टी अध्यक्ष मौलाना आमीर रशादी मदनी ने कहा राष्ट्रिय ओलमा काउंसिल में उनकी खिदमात बुनियादी थी और उससे पहले भी हमने ज़ुल्म और नाइंसाफी के खिलाफ कई जदोजहद मिलकर किया। वे ना सिर्फ एक वकील और एक्टिविस्ट थे, बल्कि मजलूमों के लिए एक साया, एक उम्मीद थे। उनका हौसला, उनका अज़्म (संकल्प) और उनका जज़्बा हमेशा एक मिसाल रहेगा।
राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल (RUC) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी मदनी ने कहा आज हम ग़मगीन हैं, मगर उनके मक़सद को ज़िंदा रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। अल्लाह तआला उन्हें जन्नतुल फिरदौस में आला मक़ाम अता फरमाए और हमें उनके मिशन को जारी रखने की तौफीक दे।
असद भाई, आप हमारी यादों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे।
اِنّا لِلّٰهِ وَاِنّا اِلَيْهِ رَاجِعُوْن
आपको बता दे असद हयात पेसे से वकील जरूर थे लेकिन हमेशा लोगों के जरूरी मुद्दों को खास करके मुसलमान के हकुक के लिए कानूनी रहनुमाई फरमाया करते थे चाहे देंगे पीड़ित के लोग हो या मोब लिंचिंग शिकार हुए परिवार के लोग हो सब में वह बिना किसी लालच के अवाम के खिदमत के लिए नजर आया करते थे। इसलिए जो लोग असद हयात साहब को जानते हैं आज लंबी बीमारी के कारण दुनिया से छोड़ जाने का गम उन्हें सता रहा होगा।