मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एएमयू को मिनी इंडिया बताया था.
Covid 19 महामारी के दौरान खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ कैंपस पहुंचे स्वास्थ्य व्यवस्था का निरीक्षण किया था.
मुख्यमंत्री योगी का प्रधानमंत्री मोदी के मिनी इंडिया एएमयु (mini india amu) पर धर्म के आधार पर रिजर्वेशन देने का आरोप.
मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ का मुख्यमंत्री योगी के लगाए आरोपों पर दिया जवाब।
एएमयू में मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए सीटें आरक्षित करने की खबरें झूठी और भ्रामक हैं।
एएमयू में धार्मिक आधार पर कोई आरक्षण नहीं है
Amu News अलीगढ़, 12 नवंबरः एएमयू के जनसंपर्क कार्यालय के प्रभारी सदस्य प्रोफेसर असीम सिद्दीकी ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मुस्लिम अभ्यार्थियों को विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश या भर्ती में कोई आरक्षण नहीं देता है, जैसा कि कुछ मीडिया आउटलेट्स ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सात न्यायाधीशों की पीठ के हालिया फैसले के बाद बताया गया है।
प्रोफेसर सिद्दीकी ने कहा कि एएमयू में विश्वविद्यालय द्वारा संचालित स्कूलों से पास होने वाले छात्रों के लिए एक आंतरिक कोटा प्रणाली है। प्रोफेसर सिद्दीकी ने जोर देकर कहा कि जब छात्र विश्वविद्यालय में प्रवेश चाहते हैं तो उन्हें आंतरिक माना जाता है और उनके लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाती हैं, चाहे उनका धर्म या आस्था कुछ भी हो, बशर्ते कि वह पात्रता आवश्यकताओं को पूरा करते हों। उन्होंने कहा कि एएमयू में मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए सीटें आरक्षित करने की खबरें झूठी और भ्रामक हैं।
मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी का चुनावी हमला खैर के उपचुनाव जीतने के लिए सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट का किया इस्तेमाल।
आए दिन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पर सत्ता पक्ष पार्टी द्वारा आरोप जिस तरह से लगाए जाते हैं उसे पर माननीय खुद ही बताइए क्या यह भाषा किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री की है क्या जनता में भारत का मुसलमान नहीं आता है क्या वह टैक्स नहीं देता है या सिर्फ एक माहौल बना दिया गया है कि टैक्स मुसलमान के अलावा सारे वर्ग देते हैं और वह मुसलमान का खर्चा उठाते हैं आप अपने इसी भाषण में एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले को टारगेट कर रहे हैं तो किसी मुसलमान ने यह आपसे पलट कर सवाल तो नहीं कहा क्या यह देश का संविधान मजबूत है !
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक प्रदेश का मुखिया उंगली उठाए शायद आप जिस समाज से आते हैं उस समाज में रहते हुए बहुत कुछ कहना आसान है पर आपकी बातों से ऐसा ना हो बरसों से आजादी के बाद सोया हुआ एक समाज नींद से उठे और उसकी इस बात पर यकीन हो जाए की हां हम भी टैक्स भरते हैं और उसके बावजूद हम देश के संवैधानिक पदों पर अपने आबादी के हिसाब से क्यों नहीं है और वह यह सोच ले कि देश की व्यवस्था और प्रशासनिक और न्यायपालिका व्यवस्था में हमारी भागीदारी नहीं है हमारी कोई भूमिका नहीं है जिससे समाज और देश को फायदा पहुंचे! और ऐसा हुआ तो जो लोग उनकी जगह लिए बैठे हैं उसमें कंपटीशन पैदा हो जाएगा शायद नौकरियां जो नहीं निकल रही है और जब निकलेंगी तो और निकालने पड़ेंगे और आपके ही के अंदाज में अगर बात की जाए तो हो सकता है टैक्स भरने वाले को तब इत्मीनान हो जाएगा कि वह अपने आबादी के हिसाब से देश के संवैधानिक पदों पर देश-परदेश की हितों की रक्षा कर रहा है। .