Amu News Aligarh 28 नवंबर Aligarh Muslim University के विभिन्न स्कूलों, विभागों और आवासीय हॉलों में शिक्षकों और छात्रों ने कई कार्यकर्मों के साथ संविधान दिवस मनाया जिसमें लोकतंत्र के महान गढ़, भारतीय गणराज्य के संविधान का सम्मान, इसकी प्रस्तावना का पाठ, और भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाले संविधान सभा के महान सदस्यों को भावभीनी श्रद्धांजलि का अर्पण शामिल है।
AMU Law Aligarh विधि संकाय में ‘संविधान दिवस समारोह, 2023’ के अंतर्गत संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा तैयार भारत के मूल संविधान की असली प्रति का अनावरण करके यह दिन मनाया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि, श्री संजीव कुमार सिंह, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, अलीगढ़ ने मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के महत्व पर प्रकाश डाला, जबकि विशिष्ट अतिथि, प्रोफेसर निशात फातिमा, यूनिवर्सिटी लाइब्रेरियन, मौलाना आजाद लाइब्रेरी ने जनता की संवैधानिक साक्षरता के लिए पुस्तकालयों की भूमिका पर जोर दिया।
इससे पूर्व, अपने स्वागत भाषण में, डीन, प्रो. एम जेड एम नोमानी ने संवैधानिक विकास के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं, विशेष रूप से भारत सरकार अधिनियम, 1935 से लेकर 1950 में संविधान को अपनाने तक, का उल्लेख किया।
बीएएलएलबी की छात्रा आलिया सरफराज खान, अरहम खान, फिदा फातिमा के.के. और मोहम्मद जावेद आलम ने संविधान और उसके विकास के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मो. अशरफ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में स्थित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय केंद्र में छात्रों और शिक्षकों ने इस दिन को जोश और उत्साह के साथ मनाया।
‘भारतः लोकतंत्र की जननी’ और ‘संवैधानिक आकांक्षाएँ बनाम वास्तविकता’ विषय पर पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता में सावरा परवीन की टीम ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया, जबकि विभा सिंह और समन अतीक की टीमों को क्रमशः दूसरा और तीसरा पुरस्कार मिला।
‘भारत का संविधान’ विषय पर नारा-लेखन प्रतियोगिता में औन उल्लाह खान, गुल निगार और साइबा खान को पहला दूसरा और तीसरा पुरस्कार मिला। सुश्री शैला महमूद और डॉ. मसूद अहमद ने क्रमशः कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया।
इस अवसर पर ‘भारत का संविधानः कानूनों का कानून’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में, यूनिट समन्वयक (एमबीए) डॉ. सैयद आतिफ जिलानी ने वक्ताओं का स्वागत किया और इस अवसर के महत्व पर प्रकाश डाला।
यूनिट प्रभारी (बीएएलएलबी) श्री अखलाकुल आजम ने लोगों में राष्ट्रवाद विकसित करने में संविधान की भूमिका को रेखांकित किया और सभी से संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने के लिए काम करने का आग्रह किया।
डॉ. राशिद उस्मान अंसारी ने संविधान की प्रमुख विशेषताओं के बारे में बताया।
इस अवसर पर बीएएलएलबी की छात्रा समन परवीन ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का संचालन अहमद सईद और तुबा सुहैल ने किया, जबकि कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मोहम्मद आरिफ और डॉ. रशीद अहमद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई और उपस्थितजनों को संविधान के संरक्षण की शपथ दिलाई गयी।
इस अवसर को चिह्नित करने के लिए बेगम सुल्तान जहां हॉल में, ‘भारत के संविधान को सही मायनों में देश का सर्वोच्च कानून होने का सम्मान प्राप्त है’ विषय पर एक निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई।
पहला पुरस्कार नबा नसीम खान को, दूसरा पुरस्कार अक्सा महक को और तीसरा पुरस्कार हफसा बानो को मिला। सांत्वना पुरस्कार रोजी परवीन और अलीमा निशात को दिया गया।
जे.एन. मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग में शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने भारतीय संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए ‘ई-प्रतिज्ञा’ समारोह में भाग लेकर यह दिन मनाया। उन्होंने भारत के संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ी और सभी व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के अनुरूप मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए अपने समर्पण की पुष्टि की।
ई-प्रतिज्ञा समारोह में विभाग की अध्यक्ष प्रो वीणा माहेश्वरी के साथ प्रो राकेश कुमार गौड़, डॉ देवश्री अखौरी, डॉ मोहम्मद रेयाजुद्दीन, डॉ जितेंद्र कुमार और डॉ फैसल शान ने हिस्सा लिया।
सेंटर ऑफ कंटीन्यूइंग एंड एडल्ट एजुकेशन एंड एक्सटेंशन में इस दिन को प्रोफेसर असमर बेग, डीन, सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा एक स्मारक व्याख्यान के साथ चिह्नित किया गया, जिन्होंने संविधान की प्रस्तावना में निहित समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के स्वर्णिम सिद्धांतों को संरक्षित करने के लिए संवैधानिक दायित्वों की याद दिलाने के रूप में इस दिन के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने न्याय, समानता और स्वतंत्रता को बनाए रखने और संरक्षित करने के लिए आम लोगों में तर्कसंगत सोच विकसित करने के महत्व पर जोर दिया, जो वास्तव में संविधान और इस प्रकार भारत के गणतंत्र की भावना का निर्माण करते हैं।
इससे पूर्व, अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए, केंद्र के निदेशक डॉ. शमीम अख्तर ने शिक्षार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने अधिकारों का दावा करने से पहले अपने कर्तव्यों के बारे में सोचें क्योंकि यह एक का कर्तव्य ही है जो दूसरे के अधिकार को सुनिश्चित करता है।
भाषाविज्ञान विभाग में, अध्यक्ष प्रोफेसर एम.जे. वारसी ने शिक्षकों, शोधार्थियों, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की एक सभा में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा। उन्होंने कहा कि आज के दिन हम 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को अपनाने का जश्न मनाते हैं।
भूविज्ञान विभाग में अध्यक्ष प्रोफेसर राशिद उमर ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और छात्रों और कर्मचारियों को संविधान की पवित्रता को बनाए रखने और जीवन में इसके सिद्धांतों को अपनाकर इसकी सुरक्षा करने की प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने और मजबूत करने की शपथ दिलाई।