सर सैयद अहमद खान KCSI, FRAS (17 अक्टूबर 1817 उन्नीसवीं शताब्दी के ब्रिटिश भारत में एक भारतीय समाज सुधारक, दार्शनिक और शिक्षाविद के रूप में देखा जाता है।
आपको बता दे सर सैयद अहमद खान का हर साल उनका Sir Syed Day के नाम से सालगिरह मनाया जाता है.
इस साल भी Sir Syed Day 2024 के मौके पर फ़जर की नमाज के बाद कुरान खानी, और फिर सर सैयद अहमद खान की कबर नूर पर चादरपोशी होती है और रात में उनके सालगिरह की खुशी के मौके पर रात में खाने का इंतजाम किया जाता है जिसे Sir Syed Dinner के नाम से जाना जाता है।
इस पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ (amusu) उपाध्यक्ष मोहम्मद नदीम अंसारी ने कहा की जो लोग बिदत बताते हैं वहीं हर साल इसका एहतमाम भी करते हैं। उन्होंने कहा कुरान खानी करते हैं और फिर चादरपोशी करते हैं और फिर उन्हीं के नाम का रात में लंगर खाते हैं और फिर पूरे साल यह कहते हैं कब्र पर फातिहा पढ़ना या किसी को हर साल अपने प्यारे महरुम को याद में खाने का एहतमाम करने पर यह कहते हैं बिदत है और मैं उन्हीं लोगों से यह सवाल करना चाहूंगा की बिदत कैसे हो गया?
AMUSU VP Nadeem Ansari ने कहा सर सैयद अहमद खान को हर साल हम याद तो करते हैं और उनके नाम पर डिनर करते तो हैं पर उनके महत्व को भी समझना जरूरी है.
जब मुग़ल सल्तनत अपने जावाल पर था 1857 विद्रोह की आंधी पूरे देश भर में थी तो मुगल सल्तनत के रूप में सबसे बड़ा नुकसान मुस्लिम समाज का हुआ और इस बात को सर सैयद ने समझ लिया की आधुनिक शिक्षा उतना ही जरूरी है जितना घुड़सवारी करना और तलवार बाजी करना.
और इसी मकसद के तहत उन्होंने मदरसे की बुनियाद रखी और बाद में वह मदरसा कॉलेज बना और इसी बीच दुनिया से 27 march 1898 रुखसत हो गए और उनके अधूरे काम को पूरा किया साहिबजादा आफताब और सर जियाउद्दीन जिन्हें बिना याद किये अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कहानी मुकम्मल नहीं हो सकती.
1863 में गाजीपुर में विक्टोरिया स्कूल, और 1864 में मुसलमानों के लिए एक वैज्ञानिक समाज। 1875 में, दक्षिणी एशिया के पहले मुस्लिम विश्वविद्यालय की और मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की।
साहिबजादा आफताब अहमद खान एक वकील और शिक्षक थे। वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति थे।
सर सैयद ने sahibazada aftab khan को कॉलेज से लगाव की वजह से मान्यता दी और 1897 में उन्हें ट्रस्टी नियुक्त किया। उस साल बाद में उन्हें कॉलेज में क़ानून का प्रोफ़ेसर नियुक्त किया गया.
1898 में सर सैयद के इंतकाल के बाद, कॉलेज के साथ खान की भागीदारी गहरी हो गई। उन्होंने कॉलेज को एक विश्वविद्यालय में बढ़ाने के लिए सर सैयद मेमोरियल फंड (sir syed memorial fund) का आयोजन किया।
1905 से 1917 तक साहिबजादा ने अपने संयुक्त सचिव के रूप में मोहम्मदन शिक्षा सम्मेलन को सक्रिय रूप से परोसा। 1923 में वे इसके अध्यक्ष बने।
खान ने छात्रों के स्वैच्छिक संगठन, अंजुमन अल-फर्ज़ या ड्यूटी सोसाइटी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसका उद्देश्य गरीब छात्रों को अलीगढ़ आने और भारतीय समुदाय, विशेष कर मुस्लिम समाज और देश के भीतर कॉलेज के हित को बढ़ावा देने के लिए धन इकट्ठा करना था।
Sahibzada Aftab Khan 1924 से दिसंबर 1926 तक विश्वविद्यालय के कुलपति थे। हालांकि उन्हें तीन साल की और अवधि के लिए जारी रखने के लिए राजी किया गया था, लेकिन उन्होंने खराब स्वास्थ्य के कारण प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
सर सैयद की मृत्यु के बाद अधिकांश इमारतों और छात्रावासों का निर्माण उनकी देखरेख में किया गया था, जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कैंपस को आकर्षण देता है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक छात्र आवास हाल है जो पूर्व कुलपति साहिबजादा आफताब खान के नाम पर है जो Amu Aftab Hall कहलाता है जिसका निर्माण AMU Old Boys Association ने करवाया था।
वही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का छात्र आवास है जिसे Sir Ziauddin Hall के नाम से जानते हैं। जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पहले प्रो वाइस चांसलर के नाम पर है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को वकार को बचाने में उनकी अहम भूमिका है।
सर सैयद अहमद खान के ख्वाबों को आगे बढ़ाने वाले दो अनमोल रतन साहिबजादा आफताब खान और सर जियाउद्दीन।
अगर खेलकूद की बात करें तो सर सैयद अहमद खान खुद भी घोड़ सवारी करना जानते थे, और उन्हें होकी जैसे चहल कदमी वाले खेलकूद काफी पसंद थे।
Siddon Debating Union Club, जिसे आमतौर पर ‘द सिडन्स यूनियन‘ के रूप में जाना जाता है, की स्थापना वर्ष 1884 में मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज, वर्तमान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में की गई थी। जिसे दुनिया आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ (Amu Student Union Hall) के नाम से जानती है. नदीम अंसारी ने कहा इस बात का गर्व है कि मैं एएमयु छात्रसंघ (amusu) का मेंबर हूं. छात्रसंघ के उपाध्यक्ष के तौर पर छात्रों के साथ मिलकर बहुत से संघर्ष किए हैं और मेरे जीवन में निखार के लिए इस बिल्डिंग की अहम भूमिका रही है।
इस बारे में छात्र संघ के उपाध्यक्ष ने भारत वासियों और दुनिया भर के लोगों को सर सैयद अहमद खान की सालगिरह पर बधाई दी है।