New Delhi हज़रत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह में इफ्तार का ऐतिहासिक खूबसूरत मंज़र

Nizamuddin Dragah New Delhi हज़रत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह में इफ्तार का खूबसूरत मंज़र। निजामुद्दीन औलिया के पीर ओ मुर्शिद सूफी संत हज़रत फरीदुद्दीन गंज ए शकर जब तक हयात में थे तब तक निजामुद्दीन औलिया हर साल रमजान-उल मुबारक का महीना उनके साथ गुज़ारने अजोधन जाया करते थे। जब हज़रत निजामुद्दीन औलिया की उम्र महज़ 20 बरस थी तब वो पहली बार अजोधन गए थे।

और हज़रत फरीदुद्दीन गंज ए शकर के शागिर्द बन गए, निजामुद्दीन औलिया ने अजोधन में कभी रिहाईश इख़्तियार नहीं की, दिल्ली में अपनी तालीम को जारी रखा और साथ ही साथ सूफी अकीदत का आगाज किया। अजोधन का उनका तीसरा दौरा था, जब बाबा फरीद ने उन्हें अपना जानशीन बनाया था। इसके कुछ अरसे बाद जब निजामुद्दीन औलिया दिल्ली आये तो उन्हें खबर मिली की बाबा फरीद का इंतकाल हो गया है।

निज़ामुद्दीन औलिया दिल्ली के मुख्तलिफ मुक़ामात पर रहते हुए आखिरकार गियासपुर में आबाद हो गए। शहर के हंगामों से दूर उन्होंने यहां अपना खानकाह बनवाया, एक ऐसी जगह जहां हर तबके के लोगों को खाना खिलाया जाता था। यहां वो लोगों को तालीम भी देते थे। बहुत जल्द ये खानकाह एक ऐसी जगह बन गयी जहां अमीर-गरीब हर तरह के लोगों का हुजूम रहने लगा।

उनके कई शागिर्दों ने रूहानी उरूज हासिल किया जिनमे शेख नसीरुद्दीन चिरागे देहलवी और अमीर खुसरो (एक नामवर आलिम, गायक और दिल्ली सल्तनत के शाही शायर) शामिल हैं।

आज की तारिख में इनकी मजार, निजामुद्दीन दरगाह, दिल्ली में मौजूद है। असल में इस इलाके को पहले गयासपुर के नाम से जाना जाता था लेकिन हजरत के आबाद होने के बाद से इलाका उनके ही नाम पर आबाद हो गया। दरगाह के सफेद गुंबद व मरकजी ढांचे की तामीर उनकी वफ़ात के बाद मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने करवाई थी। फ़िरोज़ शाह तुगलक ने बाद में इस ढांचे की मरम्मत की और गुंबद के चारों तरफ से चार सुनहरी प्यालियों को हटा दिया। हैदराबाद के खुर्शीद जाह ने कब्र के चारों ओर संगमरमर का कटघरा तोहफे में दिया था। मौजूदा गुम्बद फरीदुन खान ने 1562 में तामीर करवाया था।

14वीं सदी के इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी का दावा है की दिल्ली के लोगों पर इनका असर इस कदर था की दुनियावी मुआमलात की तरफ से लोगों के नुक्तए नजर में एक मिसाली तब्दीली वाक्या हुयी लोग तसौउफ और नमाज की तरफ माएल होने लगे और दुनिया से दूर रहने लगे थे।

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